दिन 196

अपने हृदय को नरम और अपने पैरों को कड़क कीजिए

बुद्धि नीतिवचन 17:5-14
नए करार रोमियों 2:17-3:8
जूना करार आमोस 1:1-2:16

परिचय

एक इक्कीस वर्षीय म्यूसिक कॉलेज विद्यार्थी ने सबसे सस्ता जहाज लिया, सबसे बड़े देशों के नाम पुकारते हुए और यह जानने के लिए उसने प्रार्थना की कि कहाँ पर उतरना है। 1966 में वह हॉंगकाँग पहुँची और वाल्ड सिटी नामक एक स्थान में पहुँची। यह एक छोटा, लोगों से भरा हुआ, कानून न माननेवाला क्षेत्र था जो कि ना तो चाइना, नाही हाँगकाँग के द्वारा नियंत्रित किया जाता था। यह ड्रग लेने वाले, गैंग और वेश्याओं की ऊँची बस्ती थी। उन्होंने लिखाः

'मुझे इस अंधकारमय स्थान से प्रेम है। जो यहाँ पर हो रहा है, उससे मुझे नफरत है लेकिन मैं कही और नहीं जाना चाहती थी। यह ऐसा था जैसे कि मैं इस स्थान में पहले ही दूसरा शहर देख पायी और वह शहर प्रकाश से चमक रहा था। यह मेरा सपना था। वहाँ पर अब कोई रोना, कोई मृत्यु या दर्द नहीं था। बीमार चंगे होते थे, व्यसनी मुक्त होते, भूखे तृप्त किए जाते। वहाँ पर अनाथों के लिए परिवार था, बेघरों के लिए घर, और जो शर्म में जीते थे उनके लिए नया सम्मान था। मुझे नहीं पता था कि कैसे पूरा करना है लेकिन 'दार्शनिक जोश' के साथ मैंने सोचा कि वाल्ड शहर के लोगों को उससे मिलाऊँ जो यह सब बदल सकते हैं: यीशु'

जॅकी पुलिंगर ने लगभग आधी शताब्दी वेश्याओं, नशे के व्यसनी और गैंग के सदस्यों के साथ काम करते हुए बिताया। मुझे अच्छी तरह से याद है कि कुछ सालों पहले उन्होंने एक भाषण दिया था। उन्होंने यह कहकर शुरुवात की, 'परमेश्वर चाहते हैं कि हमारे पास कोमल हृदय और कठोर पैर हो। हममें से बहुतों के साथ परेशानी यह हे कि हमारे हृदय कठोर और पैर कोमल है।'

जॅकी इसका एक चमकदार उदाहरण हैं, बिना नींद, भोजन और आराम के, दूसरों की सेवा करती हैं। परमेश्वर चाहते हैं कि हमारे हृदय कोमल हो – प्रेम और करुणा का हृदय। लेकिन यदि हमें विश्व में कोई प्रभाव बनाना है, तो यह हमारे पैरों को कठोर करेगा, जैसा कि हम कठोर रास्ते से गुजरेंगे और चुनौतियों का सामना करेंगे।

बुद्धि

नीतिवचन 17:5-14

5 ऐसा मनुष्य जो गरीब की हंसी उड़ाता,
 उसके सृजनहार से वह घृणा दिखाता है। वह दुःख में खुश होता है।

6 नाती—पोते वृद्ध जन का मुकुट होते हैं,
 और माता—पिता उनके बच्चों का मान हैं।

7 मूर्ख को जैसे अधिक बोलना नहीं सजता है
 वैसे ही गरिमापूर्ण व्यक्ति को झूठ बोलना नहीं सजता।

8 घूँस देने वाले की घूँस महामंत्र जैसे लगती है,
 जिससे वह जहाँ भी जायेगा, सफल ही हो जायेगा।

9 वह जो बुरी बात पर पर्दा डाल देता है, उघाड़ता नहीं है,
 प्रेम को बढ़ाता है। किन्तु जो बात को उघाड़ता ही रहता है, गहरे दोस्तों में फूट डाल देता है।

10 विवेकी को धमकाना उतना ही प्रभावित करता है
 जितना मूर्ख को सौ—सौ कोड़े भी नहीं करते।

11 दुष्ट जन तो बस सदा विद्रोह करता रहता,
 उसके लिये दया हीन अधिकारी भेजा जायेगा।

12 अपनी मूर्खता में चूर किसी मूर्ख से मिलने से अच्छा है,
 उस रीछनी से मिलना जिससे उसके बच्चों को छीन लिया गया हो।

13 भलाई के बदले में यदि कोई बुराई करे
 तो उसके घर को बुराई नहीं छोड़ेगी।

14 झगड़ा शुरू करना ऐसा है जैसे बाँध का टूटना है,
 इसलिये इसके पहले कि तकरार शुरू हो जाये बात खत्म करो।

समीक्षा

दूसरों के लिए प्रेम

यदि आपके पास परमेश्वर के द्वारा कोमल बनाया गया एक हृदय है, तो आप अपरिहार्य रूप से दूसरों के प्रति प्रेम को दर्शायेंगे। हमारा लक्ष्य होना चाहिए कि ऐसा जीवन जीएं जो 'प्रेम को प्रमोट' करता है (व.9अ)।

  1. गरीबों से प्रेम करें

गरीबों के प्रति आपका बर्ताव, परमेश्वर के प्रति आपके बर्ताव को दर्शाता हैः'जो निर्धन को ठट्ठो में उड़ाता है, वह उसके कर्ता की निंदा करता है' (व.5अ)। परमेश्वर के लोगों के रूप में हम गरीबों के साथ मित्रता और उनकी सेवा के लिए बुलाए गए हैं।

  1. अपने परिवार से प्रेम करें

परमेश्वर चाहते हैं कि आप माता-पिता, दादा-दादी और बच्चों के साथ घनिष्ठ और प्रेमी संबंध का आनंद लें:'बूढ़ो की शोभा उनके नाती पोते हैं; और बाल-बच्चों की शोभा उनके माता-पिता हैं' (व.6)।

  1. अपने मित्रों से प्रेम करो

घनिष्ठ मित्रों के बीच में प्रेम बहुत ही मूल्वान है। अपनी मित्रता की रक्षा करो। इसका अर्थ है जल्दी से बुरा न मानना या दुर्भावना न रखनाः'जो दूसरे के अपराध को ढाँप देता, वह प्रेम का खोजी ठहरता है, परंतु जो बात की चर्चा बार बार करता है, वह परम मित्रों में भी फूट करा देता है' (व.9, एम.एस.जी)।

  1. अपने आलोचकों से प्रेम करो

यीशु ने हमसे कहा, 'अपने शत्रुओं से प्रेम करो' (मत्ती 5:44)। एक कोमल हृदय आलाचना को लेने के लिए तैयार रहता है, चाहे यह एक मित्र से आये या एक शत्रु से। 'एक घुड़की समझने वाले के मन में जितनी गड़ जाती है, उतना सौ बार मार खाना मूर्ख के मन में नहीं गड़ता' (नीतिवचन 17:10)।

वाद-विवाद से बचने के लिए सभी प्रयास करेः'झगड़े का आरंभ बाँध के छेद के समान है, झगड़ा ब़ढ़ने से पहले उसको छोड़ देना उचित है' (व.14)।

प्रार्थना

परमेश्वर, इस तरह से प्रेम करने में मेरी सहायता करिए। मेरी सहायता करिए कि मेरे परिवार में, मेरे मित्रों के साथ और मेरे आलोचकों के साथ अपने संबंध की रक्षा कर सकूं। मेरी सहायता करिए कि मैं गरीबों से प्रेम करूं और उनके जीवन में एक वास्तविक बदलाव लाऊँ।
नए करार

रोमियों 2:17-3:8

यहूदी और व्यवस्था

17 किन्तु यदि तू अपने आप को यहूदी कहता है और व्यवस्था में तेरा विश्वास है और अपने परमेश्वर का तुझे अभिमान है 18 और तू उसकी इच्छा को जानता है और उत्तम बातों को ग्रहण करता है, क्योंकि व्यवस्था से तुझे सिखाया गया है, 19 तू यह मानता है कि तू अंधों का अगुआ है, जो अंधेरे में भटक रहे हैं उनके लिये तू प्रकाश है, 20 अबोध लोगों को सिखाने वाला है, बच्चों का उपदेशक है क्योंकि व्यवस्था में तुझे साक्षात् ज्ञान और सत्य ठोस रूप में प्राप्त है, 21 तो तू जो औरों को सिखाता है, अपने को क्यों नहीं सिखाता। तू जो चोरी नहीं करने का उपदेश देता है, स्वयं चोरी क्यों करता है? 22 तू जो कहता है व्यभिचार नहीं करना चाहिये, स्वयं व्यभिचार क्यों करता है? तू जो मूर्तियों से घृणा करता है मन्दिरों का धन क्यों छीनता है? 23 तू जो व्यवस्था का अभिमानी है, व्यवस्था को तोड़ कर परमेश्वर का निरादर क्यों करता है? 24 “तुम्हारे कारण ही ग़ैर यहूदियों में परमेश्वर के नाम का अपमान होता है?” जैसा कि शास्त्र में लिखा है।

25 यदि तुम व्यवस्था का पालन करते हो तभी ख़तने का महत्व है पर यदि तुम व्यवस्था को तोड़ते हो तो तुम्हारा ख़तना रहित होने के समान ठहरा। 26 यदि किसी का ख़तना नहीं हुआ है और वह व्यवस्था के पवित्र नियमों पर चलता है तो क्या उसके ख़तना रहित होने को भी ख़तना न गिना जाये? 27 वह मनुष्य जिसका शरीर से ख़तना नहीं हुआ है और जो व्यवस्था का पालन करता है, तुझे अपराधी ठहरायेगा। जिसके पास लिखित व्यवस्था का विधान है, और जिसका ख़तना भी हुआ है, और जो व्यवस्था को तोड़ता है,

28 जो बाहर से ही यहूदी है, वह वास्तव में यहूदी नहीं है। शरीर का ख़तना वास्तव में ख़तना नहीं है। 29 सच्चा यहूदी वही है जो भीतर से यहूदी है। सच्चा ख़तना आत्मा द्वारा मन का ख़तना है, न कि लिखित व्यवस्था का। ऐसे व्यक्ति की प्रशंसा मनुष्य नहीं बल्कि परमेश्वर की ओर से की जाती है।

3सो यहूदी होने का क्या लाभ या ख़तने का क्या मूल्य? 2 हर प्रकार से बहुत कुछ। क्योंकि सबसे पहले परमेश्वर का उपदेश तो उन्हें ही सौंपा गया। 3 यदि उनमें से कुछ विश्वासघाती हो भी गये तो क्या है? क्या उनका विश्वासघातीपन परमेश्वर की विश्वासपूर्णता को बेकार कर देगा? 4 निश्चय ही नहीं, यदि हर कोई झूठा भी है तो भी परमेश्वर सच्चा ठहरेगा। जैसा कि शास्त्र में लिखा है:

“ताकि जब तू कहे तू उचित सिद्ध हो
और जब तेरा न्याय हो, तू विजय पाये।”

5 सो यदि हमारी अधार्मिकता परमेश्वर की धार्मिकता सिद्ध करे तो हम क्या कहें? क्या यह कि वह अपना कोप हम पर प्रकट करके अन्याय नहीं करता? (मैं एक मनुष्य के रूप में अपनी बात कह रहा हूँ।) 6 निश्चय ही नहीं, नहीं तो वह जगत का न्याय कैसे करेगा।

7 किन्तु तुम कह सकते हो: “जब मेरी मिथ्यापूर्णता से परमेश्वर की सत्यपूर्णता और अधिक उजागर होती है तो इससे उसकी महिमा ही होती है, फिर भी मैं दोषी करार क्यों दिया जाता हूँ?” 8 और फिर क्यों न कहे: “आओ! बुरे काम करें ताकि भलाई प्रकट हो।” जैसा कि हमारे बारे में निन्दा करते हुए कुछ लोग हम पर आरोप लगाते हैं कि हम ऐसा कहते हैं। ऐसे लोग दोषी करार दिये जाने योग्य है। वे सभी दोषी हैं।

समीक्षा

परमेश्वर के लिए प्रेम

इससे अंतर नहीं पडता है कि बाहर क्या हो रहा है यदि हमारे पास एक 'कोमल हृदय' नहीं है। यहाँ पर, पौलुस हृदय की महत्ता को देखते हैं। वह समझाते हैं कि यह योजना बनायी गई थी कि यहूदी, परमेश्वर के चुने हुए लोग, परमेश्वर के साथ एक संबंध में चले। इसलिए उन्हें नियम दिया गया। वे परमेश्वर की इच्छा को जानते थे (2:17-18)। वे ' अंधो का अगुवा, और अंधकार में पड़े हुओं की ज्योति, और बुद्धिहीनों के सिखाने वाले, और बालकों का उपदेशक बनने के लिए थे' (वव.19-20)।

भौतिक खतना, बाहरी और दिखने वाला चिह्न था, जो हृदय के आंतरिक और अदृश्य बर्ताव को दिखाने के लिए था। पौलुस बताते हैं कि दुखद रूप से वे (हम सभी की तरह) परमेश्वर के नियम को मानने में असफल हो गए (वव.21-27)।

फिर पौलुस उस बात पर ध्यान देते हैं जो अति महत्वपूर्ण हैः'पर यहूदी वही है जो मन में है; और खतना वही है जो हृदय का और आत्मा में है, न कि लेख का : ऐसे की प्रशंसा मनुष्यों की ओर से नहीं, परन्तु परमेश्वर की ओर से होती है' (व.29, एम.एस.जी.)।

परमेश्वर के लिए हृदय महत्वपूर्ण है। हर व्यक्ति जिसके हृदय में पवित्र आत्मा रहते हैं, उसी उत्तराधिकार को ग्रहण करता है, जैसा कि पुराने नियम में यहूदी करते थे। इसमें हर सच्चा मसीह शामिल है।

क्या इसका यह अर्थ है कि यहूदियों को जो दिया गया था उसका कोई मोल नहीं? नहीं। वह बताते हैं कि यहूदी बनने के बहुत लाभ हैं। उदाहरण के लिए, 'उन्हें परमेश्वर के वचन सौंपे गए थे' (3:2)। कितनी महान सुविधा! किंतु, अब आपके पास उनकी तरह केवल पवित्र शास्त्र में परमेश्वर का वचन नहीं है, आपके पास यीशु का वचन और नया संपूर्ण नया नियम है। आपके पास और भी अधिक बड़ा लाभ है।

रोमियों में आगे वह इसे संक्षेप में समझाएँगे (रोमियो 9-11)। इसी बीच, वह उस वादविवाद से निपटते हैं जो उनके विरोधियों ने उनके विरूद्ध कहा था (3:3-8)। वह फिर से परमेश्वर की वफादारी पर जोर देते हैं। यहॉं तक कि जब हम बेईमानी करते हैं, तब भी परमेश्वर हमारे प्रति वफादार रहते हैं। बुराई करने के द्वारा इस चीज का लाभ लेना बेतुकी बात होगी। इसके बजाय परमेश्वर की वफादारी हमें उत्साहित करती है कि उनके प्रति हम वफादार रहें।

प्रार्थना

परमेश्वर, आज मेरे हृदय को अपनी आत्मा से, प्रेम और करुणा से भर दीजिए, हर उस व्यक्ति के प्रति जिससे मैं मिलता हूँ। आपका धन्यवाद क्योंकि आपने हम पर परमेश्वर के वचन के साथ भरोसा किया है। आज मेरी सहायता कीजिए कि आपके प्रति वफादार बनूँ।
जूना करार

आमोस 1:1-2:16

प्रस्तावना

1आमोस का सन्देश। आमोस तकोई नगर का गड़ेरिया था। यहूदा पर राजा उज्जिय्याह के शासन काल और इस्राएल पर योआश के पुत्र राजा यारोबाम के शासन काल में आमोस को इस्राएल के बारे में (अन्त) दर्शन हुआ। यह भूकम्प के दो वर्ष पूर्व हुआ।

अराम के विरूद्ध दण्ड

2 आमोस ने कहा:
“यहोवा सिय्योन में सिंह की तरह दहाड़ेगा।
यहोवा की दहाड़ यरूशलेम से होगी।
गड़ेरियों के हरे मैदान सूख जायेंगे।
यहाँ तक कि कर्म्मेल पर्वत भी सूखेगा।”

3 यह सब यहोवा कहता है: “मैं दमिश्क के लोगों को उनके द्वारा किये गये अनेक अपराधों का दण्ड अवश्य दूँगा। क्यों क्योकि उन्होंने गिलाद को, अन्न को भूसे से अलग करने वाले लोहे के औजारों से पीटा। 4 अत: मैं हजाएल के घर (सिरिया) में आग लगाऊँगा, और वह आग बेन्हदद के ऊँचे किलों को नष्ट केरेगी।”

5 “मैं दमिश्क क द्वार की मजबूत छड़ों को भी तोड़ दूँगा। आवेन की घाटी में सिंहासन पर बैठाने वाले व्यक्ति को भी मैं नष्ट करुँगा। एदेन में राजदण्ड धारण करने वाले राजा को भी मैं नष्ट करुँगा। अराम के लोग पराजित होंगे। लोग उन्हें बन्दी बनाकर कीर देश में ले जाएंगे।” यहोवा ने वह सब कहा।

पलिश्तियों को दण्ड

6 यहोवा यह कहता है: “मैं निश्चय ही अज्जा के लोगों द्वारा किये गये अनेक पापों के लिये उन्हें दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि उन्होंने लोगों के एक पूरे राष्ट्र को पकड़ा और दास के रूप में एदोम को भेजा था। 7 इसलिये मैं अज्जा नगर की दीवार पर आग लगाऊँगा। यह आग अज्जा के महत्वपूर्ण किलों को नष्ट करेगी। 8 मैं अशदोद में राजसिंहासन पर बैठने वाले व्यक्ति को नष्ट करूँगा। मैं अश्कलोन में राजदण्ड धारण करने वाले राजा को नष्ट करूँगा। मैं एक्रोन के लोगों को दण्ड दूँगा। तब अभी तक जीवित बचे पलिश्ती मरेंगे।” परमेश्वर यहोवा ने यह सब कहा।

फनूशिया को दण्ड

9 यहोवा यह सब कहता है: “मैं निश्चय ही सोर के लोगों को उनके द्वारा किये गए अनेक अपराधों के लिए दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि उन्होंने लोगों के एक पूरे राष्ट्र को पकड़ा और एदोम को दास के रूप में भेजा था। उन्होंने उस वाचा को याद नहीं रखा जिसे उन्होंने अपने भाईयों (इस्राएल) के साथ किया था 10 अत: मैं सोर की दीवारों पर आग लगाऊँगा। वह आग सोर की ऊँची मीनारों को नष्ट करेगी।”

एदोमियों को दण्ड

11 यहोवा यह सब कहता है: “मैं निश्चय ही एदोम के लोगों को उनके द्वारा किये गए अनेक अपराधों के लिये दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि एदोम ने अपने भाई (इस्राएल) का पीछा तलवार लेकर किया। एदोम ने तनिक भी दया न दिखाई। एदोम का क्रोध बराबर बना रहा। वह जंगली जानवर की तरह इस्राएल को चीर—फाड़ करता रहा। 12 अत: मैं तेमान में आग लगाऊँगा। वह आग बोस्रा के ऊँचे किलों को नष्ट करेगी।”

अम्मोनियों को दण्ड

13 यहोवा यह सब कहता है: “मैं निश्चय ही अम्मोन के लोगों को उनके द्वारा किये गये अनेक अपराधों के लिये दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि उन्होंने गिलाद में गर्भवती स्त्रियों को मार डाला। अम्मोनी लोगों ने यह इसलिये किया कि वे उस देश को ले सकें और अपने देश को बड़ कर सकें। 14 अत: मैं रब्बा की दीवार पर आग लगाऊँगा। यह आग रब्बा के ऊँचे किलों को नष्ट करेगी। युद्ध के दिन यह आग लगेगी। यह आग एक ऐसे दिन लगेगी जब तूफ़ानी दिन में आंधियाँ चल रही होंगी। 15 तब इनके राजा और प्रमुख पकड़े जायेंगे। वे सब एक साथ बन्दी बनाकर ले जाए जाएंगे।” यहोवा ने वह सब कहा है।

मोआब को दण्ड

2यहोवा यह सब कहता है: “मैं मोआब के लोगों को इनके द्वारा किये गए अपराधों के लिये अवश्य दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि मोआब ने एदोम के राजा की हड्डियों को जलाकर चूना बनाया। 2 अत: मैं मोआब में आग लगाऊँगा और वह आग करिय्योत के ऊँचे किलों को नष्ट करेगी। वहाँ भयंकर चिल्लाहट और तुही का घोष होगा, और मोआब मर जाएगा। 3 अत: मैं मोआब के राजाओ को समाप्त कर दूँगा और मैं मोआब के सभी प्रमुखों को मार डालूँगा।” यहोवा ने वह सब कहा।

यहूदा को दण्ड

4 यहोवा यह कहता है: “मैं यहूदा को उसके द्वारा किये अनेकों अपराधों के लिये अवश्य दण्ड दूँगा। क्यों क्योंकि उन्होंने यहोवा के आदेशों को मानने से इनकार किया। उन्होंने उनके आदेशों का पालन नहीं किया। उनके पूर्वजों ने झूठ पर विश्वास किया और उन झूठी बातों ने यहूदा के लोगों से परमेश्वर का अनुसरण करना छुड़ाया। 5 इसलिये मैं यहूदा में आग लगाऊँगा और यह आग यरूशलेम के ऊँचे किलों को नष्ट करेगी।”

इस्राएल को दण्ड

6 यहोवा यह कहता है: “मैं इस्राएल को उनके द्वारा किये गए अनेकों अपराधों के लिये दण्ड अवश्य दूँगा। क्यों क्योंकि उन्होंने चाँदी के चन्द टुकड़ों के लिये अच्छे और भोले—भाले लोगों को दास के रूप में बेचा। उन्होंने एक जोड़ी जूते के लिये गरीब लोगों को बेचा। 7 उन्होंने उन गरीब लोगों को धक्का दे मुँह के बल गिराया और वे उनको कुचलते हुए गए। उन्होंने कष्ट भोगते लोगों की एक न सुनी। पिताओं और पुत्रों ने एक ही युवती के साथ शारीरिक सम्बंध किया। उन्होंने मेरे पवित्र नाम को अपवित्र किया है। 8 उन्होंने गरीब लोगों के वस्त्रों को लिया और वे उन पर गलीचे की तरह तब तक बैठे जब तक वे वेदी पर पूजा करते रहे। उन्होंने गरीबों को उनके वस्त्र गिरवी रख कर सिक्के उधार दिये। उन्होंने लोगों को जुर्माना देने को मजबूर किया और उस जुर्माने की रकम से अपने परमेश्वर के मन्दिर में पीने के लिये दाखमधु खरीदी।

9 “किन्तु मैंने ही उनके पहले एमोरियों को नष्ट किया था। एमोरी ऊँचे बरगद के पेड़ की तरह थे। वे उतने शक्तिशाली थे जितने बांज के पेड़। किन्तु मैंने उनके ऊपर के फल तथा उनके नीचे की जड़ें नष्ट कीं।

10 “वह मैं ही था जो तुम्हें मिस्र देश से निकाल कर लाया। चालीस वर्ष तक मैं तुम्हें मरूभूमि से होकर लाया। मैंने तुम्हें एमोरियों की भूमि पर कब्जा कर लेने में सहायता दी। 11 मैंने तुम्हारे कुछ पुत्रों को नबी बनाया। मैंने तुम्हारे युवकों में से कुछ को नाजीर बनाया। इस्राएल के लोगों, यह सत्य है।” यहोवा ने यह सब कहा। 12 “किन्तु तुम लोगों ने नाजीरों को दाखमधु पिलाई। तुमने नबियों को भविष्यवाणी करने से रोका। 13 तुम लोग मेरे लिये भारी बोझ की तरह हो। मैं उस गाड़ी की तरह हूँ जो अत्याधिक अनाज से लदी होने के कारण झुकी हो। 14 कोई भी व्यक्ति बच कर नहीं निकल पाएगा, यहाँ तक कि सर्वाधिक तेज दौड़ने वाला भी। शक्तिशाली पुरूष भी पर्याप्त शक्तिशाली नहीं रहेंगे। सैनिक अपने को नहीं बचा पाएँगे। 15 धनुष और बाण वाले भी नहीं बच पाएंगे। तेज दौड़ने वाले भी नहीं बच निकलेंगे। घुड़सवार भी जीवित भाग नहीं पाएंगे। 16 उस समय, बहुत वीर योद्धा भी नंगे हाथों भाग खड़े होंगे। उन्हें अपने वस्त्र पहनने तक का समय भी नहीं मिलेगा।” यहोवा ने यह सब कहा है!

समीक्षा

3. कठोर पैर

परमेश्वर के लोगों के हृदय कोमल और पैर कठोर अवश्य ही होने चाहिए, जो गरीबों और लाचारों के लिए काम करने के लिए तैयार हो, अन्याय के विरूद्ध लड़ने और कुचले हुओं के लिए खड़े रहने के लिए तैयार हो।

यह इस्राएल और यहूदा के लिए महान समृद्धि का एक समय था (760 -750 बी.सी.)। लेकिन भौतिक समृद्धि हमेशा परमेश्वर की आशीष का एक चिह्न नहीं है। इस समय, यह आत्मसंतोष, भ्रष्टाचार, अनैतिकता और भयानक अन्याय में बदल गया था।

आमोस एक भविष्यवक्ता हैं। वह एक याजक या एक नियुक्त सेवक नहीं थे। वह एक भेजे गए व्यक्ति थे – एक भेड़ को चरवाहा, जो समृद्धि, सामर्थ और पदवी के द्वारा मोहित नहीं थे। वह दलितों और पीडितों को बचाने वाले और सुविधा में रहने वाले ऐसे अमीरों पर दोष लगाने वाले व्यक्ति थे, जो अन्याय और अत्याचार करने के लिए परमेश्वर के नाम का इस्तेमाल कर रहे थे।

पौलुस प्रेरित की तरह, आमोस नास्तिक और धार्मिक दोनों के विरूद्ध परमेश्वर के न्याय की घोषणा करते हैं।

वह नास्तिक से शुरुवात करते हैं जो 'नियम के बाहर पाप करते हैं'। इस्राएल के पडोसी राज्यों ने भयानक पाप किए। उनकी अत्यधिक क्रूरता और भयानक सताव के लिए उन पर दोष लगाया गया (1:3), लोगों को दास बनाने और दासों का व्यापार करने के लिए (व.6), 'कोई दया न दिखाने के लिए' (व.11), गर्भिणी स्त्रियों का पेट चीर डालने (व.13) और मरे हुओं को अपवित्र करने के लिए (2:1)। ऐसे भयानक पापों के लिए आमोस परमेश्वर के क्रोध को बताते हैं (1:3,6,9,11,13)।

आमोस और पौलुस (रोमियों 1:1ö20) दोनों एक 'स्वाभाविक नियम' के लिए विवाद करते हैं। यद्यपि अगर उनके पास परमेश्वर का लिखा हुआ वचन नहीं है, तो एक 'स्वाभाविक नियम है' - 'जो उनके हृदय पर लिखा हुआ है' (2:15)। वे जानते हैं कि कुछ चीजें गलत है। यह प्रभावी रूप से वह आधार था जिस पर नसी के लीडर्स पर दूसरे विश्व युद्ध के बाद नुरेम्बर्ग पर दोष लगाया गया था।

पौलुस की तरह आमोस (2:12), कहते हैं कि परमेश्वर के लोग जिनके पास लिखा हुआ नियम है, उनका और भी कड़ा न्याय होगा। आमोस अन्यजातियों के न्याय से निकलकर यहूदा और इस्राएल के न्याय पर आते हैं क्योंकि 'उन्होंने परमेश्वर के प्रकटीकरण को नकार दिया, मेरे नियमों को मानना अस्वीकार कर दिया' (आमोस 2:4, एम.एस.जी)।

यद्यपि परमेश्वर ने उनके पक्ष में कार्य कियाः'मैं हमेशा तुम्हारी ओर था' (व.9, एम.एस.जी.), वे उनके नियमों को मानने में असफल हो गए। विशेष रूप से, परमेश्वर के लिए यह बात महत्वपूर्ण थी कि गरीबों और जरुरतमंदो के प्रति उनका बर्ताव कैसा था। उनके हृदय कठोर हो गए थे। 'उन्होंने निर्दोष को रूपये के लिये और दरिद्र को एक जोड़ी जूतियों के लिये बेच डाला था। वे कंगालों के सिर पर की धूल का भी लालच करते, और नम्र लोगों को मार्ग से हटा देते थे' (वव.6क -7ब, एम.एस.जी)। वे दासत्व और यौन-संबंधी पाप भी करते थे (व.7क)।

जब यह सब चल रहा था, 'वे हर एक वेदी के पास बंधक के वस्त्र पर सोते थे, और दंड के रूपये से मोल लिया हुआ दाखमधु अपने देवता के घर में पी लेते थे' (व.8, एम.एस.जी.)।

परमेश्वर के लोगों के पाप अविश्वासीयों जितना भयानक नहीं था। फिर भी उनके विरूद्ध न्याय तीक्ष्ण होगा (वव.13,16) क्योंकि परमेश्वर ने उन्हें महान रूप से आशीष दी है (वव.10-11)। हमें अपने आपको बधाई नहीं देनी है कि हमारे पाप दूसरों से कम हैं। शायद से हमारे पाप कम हो, लेकिन वह परमेश्वर की नजरों में उतने ही बड़े हो सकते हैं। क्षमा और अनुग्रह के लिए परमेश्वर का धन्यवाद दीजिए, जो हम यीशु से ग्रहण करते हैं।

प्रार्थना

परमेश्वर, हमारे विश्व में अत्यधिक गरीबी के मामलों और अन्याय के प्रति हमें करुणा और प्रेम का कोमल हृदय दीजिए –और कठोर पैर और साहस दीजिए कि बाहर जाकर इसके विषय में कुछ करूं।

पिप्पा भी कहते है

नीतिवचन 17:6

'बाल-बच्चों की शोभा उनके माता-पिता हैं।'

नीतिवचन 17:14

'झगड़े का आरंभ बाँध के छेद के समान है, झगड़ा बढ़ने से पहले उसको छोड़ देना उचित है'

जब झगड़ा हो रहा है, तब अंतिम शब्द कहने का प्रलोभन आता है। असहमति आसानी से बढ़ सकती है। यह नीतिवचन कहता हैः मामले को खत्म करो, इसे जाने दो और आगे बढ़ो।

दिन का वचन

नीतिवचन 17:9

“जो दूसरे के अपराध को ढांप देता, वह प्रेम का खोजी ठहरता है, परन्तु जो बात की चर्चा बार बार करता है, वह परम मित्रों में भी फूट करा देता है।“

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संदर्भ

जॅकी पुलिंगर, व्रॅक इन द वॉल, (हॉडर एण्ड स्टॉटन, 1993)

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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