दिन 186

परमेश्वर की मुस्कान की आशीष का प्रकाश आप पर है

बुद्धि भजन संहिता 80:8-19
नए करार प्रेरितों के काम 24:1-27
जूना करार 2 राजा 10:1-11:21

परिचय

हॉंल ही में, पीपा और मैं सॅल्जबर्ग, ऑस्ट्रिया में थे, लोरेटो समुदाय के द्वारा संगठित एक कार्यक्रम में भाग लेते हुए। यह एक बहुत ही उत्साहित करने वाला अवसर था। पिंतेकुस्त के उत्सव में 6000 जवान लोग, पवित्र आत्मा से भरे हुए और यीशु की आराधना करते हुए, सॅल्जबर्ग चर्च में भर गए थे। यह उस आत्मिक अंधकार के बीच में एक उज्ज्वल प्रकाश की तरह था, जो आज हम यूरोप में बहुत अधिक देखते हैं।

मैं अपने जीवन में अंधकारमय समयों से गुजरा हूँ। क्रूस के संत जॉन ने 'प्राण की अंधेरी रात' के बारे में बताया। पुराने और नये नियम के दोनों समयों में परमेश्वर के लोगों के लिए अंधकार समय थे। चर्च के इतिहास में अंधकार समय थे। लेकिन सुसमाचार का प्रकाश कभी टला नहीं। यीशु का प्रकाश हमेशा आस-पास के अंधकार में अत्यधिक चमकेगा (यूहन्ना 1:5)। पवित्र आत्मा के द्वारा आपमें वह प्रकाश है और जहाँ कही आप जाते हैं, वहाँ पर आप अपने आसपास के अंधकार से बढ़कर प्रकाश को लाते हैं।

बुद्धि

भजन संहिता 80:8-19

8 प्रचीन काल में, तूने हमें एक अति महत्वपूर्ण पौधे सा समझा।
 तू अपनी दाखलता मिस्र से बाहर लाया।
 तूने दूसरे लोगों को यह धरती छोड़ने को विवश किया
 और यहाँ तूने अपनी निज दाखलता रोप दी।
9 तूने दाखलता रोपने को धरती को तैयार किया, उसकी जड़ों को पक्की करने के लिये तूने सहारा दिया
 और फिर शीघ्र ही दाखलता धरती पर हर कहीं फैल गई।
10 उसने पहाड़ ढक लिया।
 यहाँ तक कि उसके पतों ने विशाल देवदार वृक्ष को भी ढक लिया।
11 इसकी दाखलताएँ भूमध्य सागर तक फैल गई।
 इसकी जड़ परात नदी तक फैल गई।

12 हे परमेश्वर, तूने वे दीवारें क्यों गिरा दी, जो तेरी दाखलता की रक्षा करती थी।
 अब वह हर कोई जो वहाँ से गुजरता है, वहाँ से अंगूर को तोड़ लेते हैं।
13 बनैले सूअर आते हैं, और तेरी दाखलता को रौदते हुए गुजर जाते हैं।
 जंगली पशु आते हैं, और उसकी पत्तियाँ चर जाते हैं।
14 सर्वशक्तिमान परमेश्वर, वापस आ।
 अपनी दाखलता पर स्वर्ग से नीचे देख, और इसकी रक्षा कर।
15 हे परमेश्वर, अपनी उस दाखलता को देख जिसको तूने स्वयं निज हाथों से रोपा था।
 इस बच्चे पौधे को देख जिसे तूने बढ़ाया।
16 तेरी दाखलता को सूखे हुए उपलों सा आग में जलाया गया।
 तू इससे क्रोधित था और तूने उजाड़ दिया।

17 हे परमेश्वर, तू अपना हाथ उस पुत्र पर रख जो तेरे दाहिनी ओर खड़ा है।
 उस पुत्र पर हाथ रख जिसे तूने उठाया।
18 फिर वह कभी तुझको नहीं त्यागेगा।
 तू उसको जीवित रख, और वह तेरे नाम की आराधना करेगा।

19 सर्वशक्तिमान यहोवा परमेश्वर, हमारे पास लौट आ
 हमको अपना ले, और हमारी रक्षा कर।

समीक्षा

परमेश्वर की मुस्कान का प्रकाश

फादर रेनियरो कॅन्टालमेसा, दूसरी चीजों के साथ-साथ अपनी मुस्कान के लिए प्रसिद्ध हैं। उनका चेहरा एक प्रकाश के समान चमकता है – विशेषरूप से जब वह मुस्कराते हैं। जैसा कि मदर टेरेसा इसे बताती हैं, 'मुस्कुराहट प्रेम की शुरुवात है।'

यह सोचना कितना अद्भुत है कि परमेश्वर की मुस्कान का प्रकाश आप पर चमक रहा है! ना केवल परमेश्वर आपके साथ हैं, लेकिन आप उनकी कृपादृष्टि का भी आनंद ले सकते हैं। भजनसंहिता के लेखक प्रार्थना करते हैं:

अपने मुख का प्रकाश हम पर चमकाः

तब हमारा उद्धार हो जाएगा (व.19, एम.एस.जी.)।

इस्राएल के लोग स्पष्ट रूप से अंधकारमय समयों का सामना कर रहे थे। 'दाखलता' (वव.8,14) इस्राएल देश का एक चित्र है। परमेश्वर इस्राएल के लोगों को मिस्त्र से बाहर ले आये। एक दाखलता के रूप में उन्होंने इसकी देखभाल की।

लेकिन अब बाड़ा तोड़ दिया गया (व.12)। ऐसा लगता है कि दाखलता को काट दिया गया और आग से जला दिया गया (व.16अ)। 'सब बटोही उसके फलों को तोड़ते हैं...मैदान के सब पशु उसे चर जाते हैं' (वव.12-13, एम.एस.जी.)। लोग नष्ट हो रहे हैं।

भजनसंहिता के लेखक परमेश्वर को पुकारते हैं:'तू हम को जिला, और हम तुझ से प्रार्थना कर सकेंगे। हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, हम को ज्यों का त्यों कर दीजिए; और अपने मुख का प्रकाश हम पर चमका, तब हमारा उद्धार हो जाएगा' (वव.18-19)।

जैसे ही हम इस देश में चर्च की स्थिति को देखते हैं, इसकी दीवारें टूट चुकी हैं। यह एक निराशाजनक स्थिति में दिखाई देता है। फिर भी परमेश्वर ने भूतकाल में अपने लोगों को फिर जिलाया और उन्हें ज्यों का त्यों कर दिया। वह आज इसे फिर से कर सकते हैं। फिर से जिलाने के लिए पुकारिये।

प्रार्थना

हे परमेश्वर हम प्रार्थना करते हैं, हमें फिर से जिलाइए। अपने लोगों को अपनी पवित्र आत्मा से भर दीजिए। होने दीजिए कि चर्च फिर से उन लोगों से भर जाएँ जो अपने पूरे दिल से यीशु की सेवा करते हैं। अपने मुख का प्रकाश हम पर चमकाइए।
नए करार

प्रेरितों के काम 24:1-27

यहूदियों द्वारा पौलुस पर अभियोग

24पाँच दिन बाद महायाजक हनन्याह कुछ बुजुर्ग यहूदी नेताओं और तिरतुल्लुस नाम के एक वकील को साथ लेकर कैसरिया आया। वे राज्यपाल के सामने पौलुस पर अभियोग सिद्ध करने आये थे। 2 फेलिक्स के सामने पौलुस की पेशी होने पर मुकदमे की कार्यवाही आरम्भ करते हुए तिरतुल्लुस बोला, “हे महोदय, तुम्हारे कारण हम बड़ी शांति के साथ रह रहे हैं और तुम्हारी दूर-दृष्टि से देश में बहुत से अपेक्षित सुधार आये हैं। 3 हे सर्वश्रेष्ट फेलिक्स, हम बड़ी कृतज्ञता के साथ इसे हर प्रकार से हर कहीं स्वीकार करते हैं। 4 तुम्हारा और अधिक समय न लेते हुए, मेरी प्रार्थना है कि कृपया आप संक्षेप में हमें सुन लें। 5 बात यह है कि इस व्यक्ति को हमने एक उत्पाती के रूप में पाया है। सारी दुनिया केयहूदियों में इसनेदंगे भड़कवाए हैं। यह नासरियों के पंथ का नेता है। 6-8 इसने मन्दिर को भी अपवित्र करने का जतन किया है। हमने इसे इसीलिए पकड़ा है। हम इस पर जो आरोप लगा रहे हैं, उनसबको आप स्वयं इससे पूछताछ करके जान सकते हो।” 9 इस अभियोग में यहूदी भी शामिल हो गये। वे दृढ़ता के साथ कह रहे थे कि ये सब बातें सच हैं।

पौलुस का अपने आपको फेलिक्स के सामने बचाव करना

10 फिर राज्यपाल ने जब पौलुस को बोलने के लिये इशारा किया तो उसने उत्तर देते हुए कहा, “तू बहुत दिनों से इस देश का न्यायाधीश है। यह जानते हुए मैं प्रसन्नता के साथ अपना बचाव प्रस्तुत कर रहा हूँ। 11 तू स्वयं यह जान सकता है कि अभी आराधना के लिए मुझे यरूशलेम गये बस बारह दिन बीते हैं। 12 वहाँ मन्दिर में मुझे न तो किसी के साथ बहस करते पाया गया है और न ही आराधनालयों या नगर में कहीं और लोगों को दंगों के लिए भड़काते हुए 13 और अब तेरे सामने जिन अभियोगों को ये मुझ पर लगा रहे हैं उन्हें प्रमाणित नहीं कर सकते हैं।

14 “किन्तु मैं तेरे सामने यह स्वीकार करता हूँ कि मैं अपने पूर्वजों के परमेश्वर की आराधना अपने पंथ के अनुसार करता हूँ, जिसे ये एक पंथ कहते हैं। मैं हर उस बात में विश्वास करता हूँ जिसे व्यवस्था बताती है और जो नबियों के ग्रन्थों में लिखी है। 15 और मैं परमेश्वर में वैसे ही भरोसा रखता हूँ जैसे स्वयं ये लोग रखते हैं कि धर्मियों और अधर्मियों दोनों का ही पुनरुत्थान होगा। 16 इसीलिये मैं भी परमेश्वर और लोगों के समक्ष सदा अपनी अन्तरात्मा को शुद्ध बनाये रखने के लिए प्रयत्न करता रहता हूँ।

17-18 “बरसों तक दूर रहने के बाद मैं अपने दीन जनों के लिये उपहार ले कर भेंट चढ़ाने आया था। और जब मैं यह कर ही रहा था उन्होंने मुझे मन्दिर में पाया, तब मैं विधि-विधान पूर्वक शुद्ध था। न वहाँ कोई भीड़ थी और न कोई अशांति। 19 एशिया से आये कुछ यहूदी वहाँ मौजूद थे। यदि मेरे विरुद्ध उनके पास कुछ है तो उन्हें तेरे सामने उपस्थित हो कर मुझ पर आरोप लगाने चाहियें। 20 या ये लोग जो यहाँ हैं वे बतायें कि जब मैं यहूदी महासभा के सामने खड़ा था, तब उन्होंने मुझ में क्या खोट पाया। 21 सिवाय इसके कि जब मैं उनके बीच में खड़ा था तब मैंने ऊँचे स्वर में कहा था, ‘मरे, हुओं में से जी उठने के विषय में आज तुम्हारे द्वारा मेरा न्याय किया जा रहा है।’”

22 फिर फेलिक्स, जो इस-पंथ की पूरी जानकारी रखता था, मुकदमे की सुनवाई को स्थगित करते हुए बोला, “जब सेनानायक लुसिआस आयेगा, मैं तभी तुम्हारे इस मुकदमे पर अपना निर्णय दूँगा।” 23 फिर उसने सूबेदार को आज्ञा दी कि थोड़ी छूट देकर पौलुस को पहरे के भीतर रखा जाये और उसके मित्रों को उसकी आवश्यकताएँ पूरी करने से न रोका जाये।

पौलुस की फेलिक्स और उसकी पत्नी से बातचीत

24 कुछ दिनों बाद फेलिक्स अपनी पत्नी द्रुसिल्ला के साथ वहाँ आया। वह एक यहूदी महिला थी। फेलिक्स ने पौलुस को बुलवा भेजा और यीशु मसीह में विश्वास के विषय में उससे सुना। 25 किन्तु जब पौलुस नेकी, आत्मसंयम और आने वाले न्याय के विषय में बोल रहा था तो फेलिक्स डर गया और बोला, “इस समय तू चला जा, अवसर मिलने पर मैं तुझे फिर बुलवाऊँगा।” 26 उसी समय उसे यह आशा भी थी कि पौलुस उसे कुछ धन देगा इसीलिए फेलिक्स पौलुस को बातचीत के लिए प्राय: बुलवा भेजता था।

27 दो साल ऐसे बीत जाने के बाद फेलिक्स का स्थान पुरुखियुस फेस्तुस ने ग्रहण कर लिया। क्योंकि फेलिक्स यहूदियों को प्रसन्न रखना चाहता था इसीलिये उसने पौलुस को बंदीगृह में ही रहने दिया।

समीक्षा

सुसमाचार का प्रकाश

जहॉं कही पौलुस गए, वहाँ पर उन्होने 'सुसमाचार के प्रकाश' को चमकाया। लेकिन हर कोई इसे नहीं देख सका। उन्होंने लिखा, ' और उन अविश्वासियों के लिये, जिन की बुध्दि इस संसार के ईश्वर ने अंधी कर दी है, ताकि मसीह जो परमेश्वर का प्रतिरूप हैं, उसके तेजोमय सुसमाचार का प्रकाश उन पर न चमके' (2कुरिंथियो 4:4)।

पौलुस के जीवन में यें अंधकारमय समय थे। उन्हें बंदीगृह में डाल दिया गया था और उनकी जाँच की जा रही थी। अभियोग चलाने वाला वकील, तिरतुल्लुस, चापलूस वकील का एक उदाहरण है। उसने गवर्नर की चापलूसी कीः'तेरे द्वारा हम में बड़ा कुशल होता है; और तेरे प्रबंध से इस जाति के लिये अनेक बुराईयाँ सुधरती जाती हैं' (प्रेरितों के काम 24:2, एम.एस.जी.)।

पौलुस पर झूठा आरोप लगाने के बाद उसने चापलूसी की, यह बताते हुए कि ' हम ने इस मनुष्य को उपद्रवी और जगत के सारे यहूदियों में बलवा कराने वाला, और नासरियों के कुपन्थ का मुखिया पाया है' (व.5, एम.एस.जी.)। मसीह विश्वास का वर्णन एक 'पंथ' के रूप में किया गया था (व.5) – आज कुछ लोग शायद से चर्च को एक 'पूजा-पद्धति' के रूप में समझें।

पौलुस अपना बचाव करते हैं (व.10 से पढ़ते हुए)। वह पहले निश्चित आरोप से निपटते हैं, जो सच नहीं है उसे अस्वीकार करते हुए, और जो सच है उसे मानते हुए। वह मानते हैं कि वह यीशु के एक अनुयायी हैं ('रास्ता' व.14)। वह स्पष्ट करते हैं कि महासभा के सामने उनकी सुनवाई में क्या हुआ (व.21)। (कभी कभी वास्तविक तथ्यों को प्रस्तुत करना सहायक साबित होता है।)

पौलुस रूढ़िवादियों को अपनी धारणाएँ दिखाते हैं। वह इतिहास के परमेश्वर की आराधना करते हैं (व.14अ)। वह वचनों की हर बात पर विश्वास करते हैं (व.14ब)। वह पुनरुत्थान की यहूदी आशा के बारे में बताते हैं (व.15)। वह बताते हैं कि वह नियम से मेल रखने वाली हर चीज पर विश्वास करते हैं और जो कुछ भविष्यवक्ताओं की पुस्तक में लिखा है और फरीसीयों के समान ही वह पमरेश्वर में आशा रखते हैं, कि 'सत्यनिष्ठ और दुष्ट दोनों फिर जी उठेंगे' (व.15)। वह बताते हैं कि उनका विवेक शुद्ध है (व.16), 'गरीबों के लिए उनका दान' (व.17) और उनका निर्दोष होना (व.18)।

उनके न्यायाधीश, फेलिक्स, आवश्यक रूप से बुरे नहीं थे, लेकिन वह कमजोर, अनिश्चित, और राजनैतिक रूप से उत्साहित थे। वह एक निर्दोष व्यक्ति पर दोष नहीं लगाना चाहते थे, लेकिन उन्हें मुक्त करने का साहस उनमें नही था। एक कमजोर न्यायाधीश के रूप में, पौलुस के वचनों के द्वारा भयभीत होकर, जब वह नहीं जानते थे कि क्या करना है, उन्होंने बस सभा बर्खास्त कर दी (व.25)।

एक रिश्वत की आशा करते हुए उन्होंने पौलुस को दो वर्षों तक बंदीगृह में रखा। फिर जब एक नये गवर्नर को नियुक्त किया गया और पौलुस को कोई आर्थिक लाभ नहीं मिलने वाला था, तब भी फेलिक्स ने राजनैतिक कारणों से पौलुस को मुक्त नहीं किया (व.27)। एक निर्णय लेने को नजरअंदाज करने के लिए उन्होंने देरी करने को एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया।

लेकिन एक निर्णय को नजरअंदाज करना, अपने आपमें एक निर्णय है। एक निर्दोष व्यक्ति को बंदीगृह में रखने का एक निर्णय। निर्णय न लेने के द्वारा हम उत्तरदायित्व से भाग नहीं सकते हैं। निर्णय न लेना अपने आपमें कार्य न करने का एक निर्णय है। यह एक निर्णय है कि वही स्तर बनाए रखे। यह एक कार्य है जिसके परिणाम होते हैं।

पौलुस ने सुसमाचार के प्रकाश को चमकाने के हर अवसर का लाभ लिया। जब कभी मौका मिला, 'तब उन्होंने यीशु मसीह में विश्वास के बारे में बताया' (व.24)।

प्रार्थना

परमेश्वर, हमारी सहायता करिए कि हम हर अवसर का लाभ ले सकें। जब हमारा विरोध होता है, हम पर झूठा आरोप लगाया जाता है और हम निराश होते हैं, तब हमारी सहायता कीजिए कि पौलुस प्रेरित की तरह अंधकार में सुसमाचार के प्रकाश को चमकाने के हर अवसर का इस्तेमाल करें।
जूना करार

2 राजा 10:1-11:21

येहू शोमरोन के प्रमुखों को लिखता है

10अहाब के सत्तर पुत्र शोमरोन में थे। येहू ने पत्र लिखे और उन्हें शोमरोन में यिज्रैल के शासकों और प्रमुखों को भेजा। उसने उन लोगों को भी पत्र भेजे जो अहाब के पुत्रों के अभिभावक थे। पत्र में येहू ने लिखा, 2-3 “ज्योंही तुम इस पत्र को पाओ तुम अपने स्वामी के पुत्रों में से सर्वाधिक योग्य और उत्तम व्यक्ति को चुनो। तुम्हारे पास रथ और घोड़े हैं और तुम एक दृढ़ नगर में रह रहे हो।। तुम्हारे पास अस्त्र—शस्त्र भी है। जिस पुत्र को चुनो उसे उसके पिता के सिंहासन पर बिठाओ। तब अपने स्वामी के परिवार के लिये युद्ध करो।”

4 किन्तु यिज्रैल के शासक और प्रमुख बहुत भयभीत थे। उन्होंने कहा, “दोनो राजा (योराम और अहज्याह) येहू को रोक नहीं सके। अतः हम भी उसे रोक नहीं सकते!”

5 अहाब के महल का प्रबन्धक, नगर प्रशासक, प्रमुख वरिष्ठ—जन और अहाब के बच्चों के अभिभावकों ने येहू के पास एक सन्देश भेजा! “हम आपके सेवक हैं। हम वह सब करेंगे जो आप कहेंगे। हम किसी व्यक्ति को राजा नहीं बनाएंगे। वही करें जो आप ठीक समझते हैं।”

शोमरोन के प्रमुख अहाब के बच्चों को मार डालते हैं

6 तब येहू ने एक दूसरा पत्र इन प्रमुखों को लिखा। येहू ने कहा, “यदि तुम मेरा समर्थन करते हो और मेरा आदेश मानते हो तो अहाब के पुत्रों का सिर काट डालो और लगभग इसी समय कल यिज्रैल में मेरे पास उन्हें ले आओ।”

अहाब के सत्तर पुत्र थे। वे नगर के उन प्रमुखों के पास थे जो उनकी सहायता करते थे। 7 जब नगर के प्रमुखों ने पत्र प्राप्त किया तब उन्होंने राजा के पुत्रों को लिया और सभी सत्तर पुत्रों को मार डाला। तब प्रमुखों ने राजपुत्रों के सिर टोकरियों में रखे। उन्होंने टोकरियों को यिज्रैल में येहू के पास भेज दिया। 8 सन्देशवाहक येहू के पास आए और उससे कहा, “वे राजपुत्रों का सिर लेकर आए हैं।”

तब येहू ने कहा, “नगर—द्वार पर, प्रातःकाल तक उन सिरों की दो ढेरें बना कर रखो।”

9 सुबह को येहू बाहर निकला और लोगों के सामने खड़ा हुआ। उसने लोगों से कहा, “तुम लोग निरपराध लोग हो। देखो, मैंने अपने स्वामी के विरुद्ध योजनाएं बनाई। मैंने उसे मार डाला। किन्तु अहाब के इन सब पुत्रों को किसने मारा तुमने उन्हें मारा! 10 तुम्हें समझना चाहिये कि यहोवा जो कुछ कहता है वह घटित होगा और यहोवा ने एलिय्याह का उपयोग अहाब के परिवार के लिये इन बातों को कहने के लिये किया था। अब यहोवा ने वह कर दिया जिसके लिये उसने कहा था कि मैं करूँगा।”

11 इस प्रकार येहू ने यिज्रैल में रहने वाले अहाब के पूरे परिवार को मरा डाला। येहू ने सभी महत्वपूर्ण व्यक्तियों, जिगरी दोस्तों और याजकों को मार डाला। उसने अहाब के एक भी व्यक्ति को जीवित नहीं छोड़ा।

येहू अहज्याह के सम्बन्धियों को मार डालता है

12 येहू यिज्रैल से चला और शोमरोन पहुँचा। रास्ते में येहू “गड़रियों का डेरा” नामक स्थान पर रुका। जहाँ गड़रिये अपनी भेड़ों का ऊन कतरते थे। 13 येहू यहूदा के राजा अहज्याह के सन्बन्धियों से मिला। येहू ने उनसे पूछा, “तुम कौन हो”

उन्होंने उत्तर दिया, “हम लोग यहूदा के राजा अहज्याह के सम्बन्धि हैं। हम लोग यहाँ राजा के बच्चों और राजमाता के बच्चों से मिलने आए हैं।”

14 तब येहू ने अपने लोगों से कहा, “इन्हें जीवित पकड़ लो।”

येहू के लोगों ने अहज्याह के सम्बन्धियों को जीवित पकड़ लिया। वे बयालीस लोग थे। येहू ने उन्हें बेथ—एकद के पास कुँए पर मार डाला। येहू ने किसी व्यक्ति को जीवित नहीं छोड़ा।

येहू यहोनादाब से मिलता है

15 येहू जब उस स्थान से चला तो रेकाब के पुत्र यहोनादाब से मिला। येहोनादाब येहू से मिलने आ रहा था। येहू ने यहोनादाब का स्वागत किया और उससे पूछा, “क्या तुम मेरे उतने ही विश्वसनीय मित्र हो जितना मैं तुम्हारा हूँ।”

यहोनादाब ने उत्तर दिया, “हाँ, मैं तुम्हारा विश्वासपात्र मित्र हूँ।”

येहू ने कहा, “यदि तुम हो तो, तुम अपना हाथ मुझेदो।”

तब येहू बाहर झुका और उसने यहोनादाब को अपने रथ में खींच लिया।

16 येहू ने कहा, “मेरे साथ आओ। तुम देखोगे कि यहोवा के लिये मेरी भावनायें कितनी प्रबल हैं।”

इस प्रकार यहोनादाब येहू के रथ में बैठा। 17 येहू शोमरोन में आया और अहाब के उस सारे परिवार को मार डाला जो अभी तक शोमरोन में जीवित था। येहू ने उन सभी को मार डाला। येहू ने वही काम किये जिन्हें यहोवा ने एलिय्याह से कहा था।

येहू बाल के उपासकों को बुलाता है

18 तब येहू ने सभी लोगों को एक साथ इकट्ठा किया। येहू ने उनसे कहा, “अहाब ने बाल की सेवा नहीं के बराबर की। किन्तु येहू बाल की बहुत अधिक सेवा करेगा। 19 अब बाल के सभी याजकों और नबियों को एक साथ बुलाओ और उन सभी लोगों को एक साथ बुलाओ जो बाल की उपासना करते हैं। किसी व्यक्ति को इस सभा में अनुपस्थित न रहने दो। मैं बाल को बहुत बड़ी बलि चढ़ाने जा रहा हूँ। मैं उस किसी भी व्यक्ति को मार डालूँगा जो इसमें उपस्थित नहीं होगा!”

किन्तु येहू उनके साथ चाल चल रहा था। येहू बाल के पूजकों को नष्ट कर देना चाहता था। 20 येहू ने कहा, “बाल के लिये एक धर्मसभा करो” और याजकों ने धर्मसभा की घोषणा कर दी। 21 तब येहू ने पूरे इस्राएल देश में सन्देश भेजा। बाल के सभी उपासक आए। कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं था जो घर पर रह गया हो। बाल के उपासक बाल के मन्दिर में आए। मन्दिर लोगों से भर गया।

22 येहू ने लबादे रखने वाले व्यक्ति से कहा, “बाल के सभी उपासकों के लिये लबादे लाओ।” अतः वह व्यक्ति बाल पूजकों के लिये लबादे लाया।

23 तब येहू और रेकाब का पुत्र यहोनादाब बाल के मन्दिर के अन्दर गये। येहू ने बाल के उपासकों से कहा, “अपने चारों ओर देख लो और यह निश्चय कर लो कि तुम्हारे साथ कोई यहोवा का सेवक तो नहीं है। यह निश्चय कर लो कि केवल बालपूजक लोग ही हैं।” 24 बाज—पूजक बाल के मन्दिर में बलि और होमबिल चढ़ाने गए।

किन्तु बाहर येहू ने अस्सी व्यक्तियों को प्रतीक्षा में तैयार रखा था। येहू ने कहा, “किसी व्यक्ति को बचकर निकलने न दो। यदि कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति को बच निकलने देगा तो उसका भुगतान उसे अपने जीवन से करना होगा।”

25 येहू ने ज्योंही बलि और होमबलि चढ़ाना पूरा किया त्योंही उसने रक्षकों और सेनापतियों से कहा, “अन्दर जाओ और बाल—पूजकों को मार डालो! पूजागृह से किसी जीवित व्यक्ति को बाहर न आने दो!”

अतः सेनापतियों ने पतली तलवारों का उपयोग किया और बाल पूजकों को मार डाला। रक्षकों और सेनापतियों ने बाल पूजकों के शवों को बाहर फेंक दिया। तब रक्षक और सेनापति बाल के पूजागृह के के भीतरी कमरे में गए। 26 वे बाल के पूजागृह के स्मृति—पाषाणों को बाहर ले आए और पूजागृह को जला दिया। 27 तब उन्होंने बाल के स्मृति—पाषाण को नष्ट—भ्रष्ट कर दिया। उन्होंने बाल के पूजागृह को भी ध्वस्त कर दिया। उन्होंने बाल के पूजागृह को एक शौचालय में बदल दिया। आज भी उसका उपयोग शौचालय के लिये होता है।

28 इस प्रकार येहू ने इस्राएल में बाल—पूजा को समाप्त कर दिया। 29 किन्तु येहू, नबात के पुत्र यारोबाम के उन पापों से पूरी तरह अपने को दूर न रख सका, जिन्होंने इस्राएल से पाप कराया था। येहू ने दान और बेतेल में सोने के बछड़ों को नष्ट नहीं किया।

इस्राएल पर येहू का शासन

30 यहोवा ने येहू से कहा, “तुमने बहुत अच्छा किया है। तुमने वह काम किया है जिसे मैंने अच्छा बाताया है। तुमने अहाब के परिवार को उस तरह नष्ट किया है जैसा तुमसे मैं उसको नष्ट कराना चाहता था। इसलिये तुम्हारे वंशज इस्राएल पर चार पीढ़ी तक शासन करेंगे।”

31 किन्तु येहू पूरे हृदय से यहोवा के नियमों का पालन करने में सावधान नहीं था। येहू ने यारोबाम के उन पापों को करना बन्द नहीं किया जिन्होंने इस्राएल से पाप कराए थे।

हजाएल इस्राएल को पराजित करता है

32 उस समय यहोवा ने इस्राएल के हिस्सों को अलग करना आरम्भ किया। अराम के राजा हजाएल ने इस्राएलियों को इस्राएल की हर एक सीमा पर हराया। 33 हजाएल ने यरदन नदी के पूर्व के गिलाद प्रदेश को, गाद, रूबेन और मनश्शे के परिवार समूह के प्रदेशों सहित जीत लिया। हजाएल ने अरोएर से लेकर अर्नोन घाटी के सहारे गिलाद और बाशान तक की सारी भूमि जीत ली।

येहू की मृत्यु

34 वे सभी बड़े कार्य, जो येहू ने किये, इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखे गए हैं। 35 येहू मरा और उसे उसके पूर्वजों के साथ दफना दिया गया। लोगों ने येहू को शोमरोन में दफनाया। उसके बाद येहू का पुत्र यहोआहाज इस्राएल का नया राजा हुआ। 36 येहू ने शोमरोन में इस्राएल पर अट्ठाईस वर्ष तक शासन किया।

अतल्याह यहूदा के सभी राजपुत्रों को नष्ट कर देती है

11अहज्याह की माँ अतल्याह ने देखा कि उसका पुत्र मर गया। तब वह उठी और उसने राजा के पूरे परिवार को मार डाला।

2 यहोशेबा राजा योराम की पुत्री और अहज्याह की बहन थी। योआश राजा के पुत्रों में से एक था। यहोशेबा ने योआश को तब छिपा लिया जब अन्य बच्चे मारे जा रहे थे। यहोशेबा ने योआश को छिपा दिया। उसने योआश और उसकी धायी को अपने सोने के कमरे में छिपा दिया। इस प्रकार यहोशेबा और धायी ने योआश को अतल्याह से छिपा लिया। इस प्रकार योआश मारा नहीं गया।

3 तब योआश और यहोशेबा यहोवा के मन्दिर में जा छिपे। योआश वहाँ छः वर्ष तक छिपा रहा और अतल्याह ने यहूदा प्रदेश पर शासन किया।

4 सातवें वर्ष प्रमुख याजक यहोयादा ने करीतों के सेनापतियों और रक्षकों को बुलाया और वे आए। यहोयादा ने यहोवा के मन्दिर में उन्हें एक साथ बिठाया। तब यहोयादा ने उनके साथ एक वाचा की। मन्दिर में यहोयादा ने उन्हें प्रतिज्ञा करने को विवश किया। तब उसने राजा के पुत्र (योआश) को उन्हें दिखाया।

5 तब यहोयादा ने उनको आदेश दिया। उसने कहा, “तुम्हें यह करना होगा। प्रत्येक सब्त—दिवस के आरम्भ होने पर तुम लोगों के एक तिहाई को यहाँ आना चाहिए। तुम लोगों को राजा की रक्षा उसके घर में करनी होगी। 6 दूसरे एक तिहाई को सूर—द्वार पर रहना होगा और बचे एक तिहाई को रक्षकों के पीछे, द्वार पर रहना होगा। इस प्रकार तुम लोग योआश की रक्षा में दीवार की तरह रहोगे। 7 प्रत्येक सब्त—दिवस के अन्त में तुम लोगों के दो तिहाई यहोवा के मन्दिर की रक्षा करते हुए राजा योआश की रक्षा करेंगे। 8 जब कभी वह कहीं जाये तुम्हें राजा योआश के साथ ही रहना चाहिये। पूरे दल को उसे घेरे रखना चाहिये। प्रत्येक रक्षक को अपने अस्त्र—शस्त्र अपने हाथ में रखना चाहिये और तुम लोगों को उस किसी भी व्यक्ति को मार डालना चाहिये जो तुम्हारे अत्याधिक करीब पहुंचे।”

9 सेनापतियों ने याजक यहोयादा के दिये गए सभी आदेशों का पालन किया। हर एक सेनापति ने अपने सैनिकों को लिया। एक दल को राजा की रक्षा शनिवार को करनी थी और अन्य दलों को सप्ताह के अन्य दिनों में राजा की रक्षा करनी थी। वे सभी पुरुष याजक यहोयादा के पास गए 10 और याजक ने सेनापतियों को भाले और ढाले दीं। ये वे भाले और ढालें थीं जिन्हें दाऊद ने यहोवा के मन्दिर में रखा था। 11 ये रक्षक अपने हाथों में अपने शस्त्र लिये मन्दिर के दायें कोने से लेकर बायें कोने तक खड़े थे। वे वेदी और मन्दिर के चारों ओर और जब राजा मन्दिर में जाता तो उसके चारों ओर खड़े होते थे। 12 ये व्यक्ति योआश को बाहर ले आए। उन्होंने योआश के सिर पर मुकुट पहनाया और परमेश्वर तथा राजा के बीच की वाचा को उसे दिया। तब उन्होंने उसका अभिषेक किया और उसे नया राजा बनाया। उन्होंने तालियाँ बजाईं और उद्घोष किया, “राजा दीर्घायु हो!”

13 रानी अतल्याह ने रक्षकों और लोगों का यह उद्घोष सुना। इसलिये वह यहोवा के मन्दिर में लोगों के पास गई। 14 अतल्याह ने उस स्तम्भ के सहारे राजा को देखा जहाँ राजा प्रायः खड़े होते थे। उसने प्रमुखों और लोगों को राजा के लिये तुरही बजाते हुये भी देखा। उसने देखा कि सभी लोग बहुत प्रसन्न थे। उसने तुरही को बजते हुए सुना और उसने अपने वस्त्र यह प्रकट करने के लिये फाड़ डाले कि उसे बड़ी घबराहट है। तब अतल्याह चिल्ला उठी, “षडयन्त्र! षडयन्त्र!”

15 याजक यहोयादा ने सैनिकों की व्यवस्था के अधिकारी सेनापतियों को आदेश दिया। यहोयादा ने उनसे कहा, “अतल्याह को मन्दिर के क्षेत्र से बाहर ले जाओ। उसके किसी भी साथ देने वाले को मार डालो। किन्तु उन्हें यहोवा के मन्दिर में मत मारो।”

16 जैसे ही वह महल के अश्व—द्वार से गई सैनिकों ने उसे पकड़ लिया और मार डाला। सैनिकों ने अतल्याह को वहीं मार डाला।

17 तब यहोयादा ने यहोवा, राजा और लोगों के बीच एक सन्धि कराई। इस वाचा से यह पता चलता था कि राजा और लोग यहोवा के अपने ही हैं। यहोयादा ने राजा और लोगों के बीच भी एक वाचा कराई। इस वाचा से यह पता चलता था कि राजा लोगों कि लिये कार्य करेगा और इससे यह पता चलता था कि लोग राजा का आदेश मानेंगे और उसका अनुसरण करेंगे।

18 तब सभी लोग असत्य देवता बाल के पूजागृह को गए। लोगों ने बाल की मूर्ति और उसकी वेदियों को नष्ट कर दिया। उन्होंने उनके बहुत से टुकड़े कर डाले। लोगों ने बाल के याजक मत्तन को भी वेदी के सामने मार डाला।

तब याजक यहोयादा ने कुछ लोगों को यहोवा के मन्दिर की व्यवस्था के लिये रखा। 19 याजकों, विशेष रक्षकों और सेनापतियों के अनुरक्षण में राजा यहोवा के मन्दिर से राजमहल तक गया और अन्य सभी लोग उनके पीछे—पीछे गए। वे राजा के महल के द्वार तक गए। तब राजा योआश राजसिंहासन पर बैठा। 20 सभी लोग प्रसन्न थे। नगर शान्त था। रानी अतल्याह, राजा के महल के पास तलवार के घाट उतार दी गई थी।

21 जब योआश राजा हुआ, वह सात वर्ष का था।

समीक्षा

युवा लोगों का प्रकाश

आत्माएँ बचाने वाले युवाओं के लिए कई मसीह ग्रीष्म उत्सव का निरीक्षण करते हैं। केवल इस वर्ष में यूके में 30000 से अधिक लोग उपस्थित होंगे। चार साल पहले, उनके एक कार्यक्रम में जाने के लिए पीपा और मेरे पास सुविधा थी। इन युवा लोगों का विश्वास, जोश और उत्साह को देखना बहुत ही उत्साहजनक था। यह भविष्य के लिए आशा का एक बड़ा चिह्न है।

जैसा कि सॅल्जबर्ग चर्च की सभा के साथ था, यह क्षितिज रेखा पर यह एक उज्जवल प्रकाश है। चीजें चाहे कितनी ही बुरी दिखाई दें, यह आशा है कि अगली पीढ़ी बेहतर करेगी।

यदि आप सोचते हैं कि आप एक अंधकारमय विश्व में रहते हैं, तो इस लेखांश का अध्ययन कीजिए और आप देखेंगे कि इतिहास में ऐसे समय थे जो उतने ही बुरे या उससे भी बदतर थे।

इस्राएल के लोगों के इतिहास में यह दूसरा अंधकारमय समय था। यह एक समय था जब भयानक घटनाएँ घटी, जैसे ही सत्तर राजपुत्रों की हत्या, जिनके सिर फाटक में द़ो ढ़ेर करके रखे गए थे (10:7-8)। और वहाँ पर और भी सामूहिक हत्याएँ हुई (व.17, एम.एस.जी.)। राजा अहाब के कामों के अनुसार, इस्राएल के बुरे राजाओं की तरह बर्ताव न करने के कारण येहू की प्रशंसा हुई। विशेषरूप से, येहू ने इस्राएल में बाल की उपासना को नष्ट कर दिया।

किंतु, राजा यारोबाम के द्वारा बछड़ो की पूजा, ऐसे काम से येहू अलग न हुआ (व.29)। येहू ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की व्यवस्था पर पूर्ण मन से चलने की चौकसी नहीं की (व.31अ, एम.एस.जी.)।

यहूदा में चीजे कुछ बेहतर दिखाई नहीं देती थी। अतल्याह ने संपूर्ण राज घराने की हत्या करने की कोशिश की (11:1, एम.एस.जी.)। लेकिन परमेश्वर ने योआश को सुरक्षित रखा, उसी तरह से जैसे उन्होंने मूसा और यीशु को सुरक्षित रखा थाः यहोशेबा ने 'उसे धाई समेत बिछौने रखने की कोठरी में छिपा दिया और उसे अतल्याह से छिपाएँ रखा। उसकी हत्या न हो पायी। वह उसके पास भवन में छह वर्ष छिपा रहा और अतल्याह देश पर राज्य करती रही' (वव.2-3, एम.एस.जी.)।

बाद में, 'यहोयादा ने राजा के पुत्र को बाहर निकाला और उस पर मुकुट रखा; और साक्षीपत्र रख दिया; तब लोगों ने उसका अभिषेक करके उसको राजा बनाया; फिर ताली बजा बजाकर बोल उठे, 'राजा जीवित रहे' (व.12)। इसके बाद, राजा 'राजगद्दी पर विराजमान हुआ, तब सब लोग आनंदित हुए, और नगर में शांति हुई। अतल्याह तो राजभवन के पास तलवार से मार डाली गई थी' (वव.19-20)।

योआश केवल सात वर्ष के थे जब वह राजा बने (व.21) लेकिन इस युवा पुरुष ने भविष्य की आशा लायी (2राजाओं 12 और 2 इतिहास 24 देखें), जैसे कि अक्सर हम युवाओं में आशा को देखते हैं। एक बार फिर परमेश्वर ने अंधकारमय समय में प्रकाश को चमकाएँ रखा।

प्रार्थना

परमेश्वर, हमारे चर्च में बच्चों और युवाओं के लिए आपका धन्यवाद और उस आशा के लिए जो वे लाते हैं। आपका धन्यवाद विश्वभर में युवाओं के अभियानों के लिए और उस प्रकाश के लिए जो उनके द्वारा चमकता है। आपका धन्यवाद क्योंकि अंधकारमय समय में भी, आप हमेशा अपने प्रकाश को चमकाते हैं और आपके मुख का प्रकाश हमारे ऊपर है।

पिप्पा भी कहते है

2 राजाओं 10:31

'परंतु येहू ने इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की व्यवस्था पर पूर्ण मन से चलने की चौकसी नहीं की।'

हर समय पूर्ण हृदय से कटिबद्ध रहना कठिन बात है। सोचिये कि उसने क्या प्राप्त कर लिया होता, यह वह कटिबद्ध रहता।

दिन का वचन

भजन संहिता 80:19

“हे सेनाओं के परमेश्वर यहोवा, हम को ज्यों का त्यों कर दे! और अपने मुख का प्रकाश हम पर चमका, तब हमारा उद्धार हो जाएगा!“

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

नोट्स

'एक मुस्कान आपकी खिड़की में वह प्रकाश है जो दूसरों को बताती है कि अंदर एक चिंता करनेवाला, बाँटनेवाला व्यक्ति है।' डेनिस वेटले

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