अगली पीढ़ी को शशक्त करने के तीन तरीके
परिचय
जोनाथन फ्लेचर के प्रति मैं बहुत आभारी हूँ. जब 1974 में मैं पहली बार यीशु से मिला, जोनाथन मुझसे साल भर हर सप्ताह में तीन घंटे के लिए मिला करते थे, और इसके बाद यूनिवर्सिटी से चले जाने के बाद नियमित रूप से. वह एक महान मित्र बन गए. उन्होंने मुझे मसीह विश्वास सिखाया. उन्होंने मुझे समझाया कि कैसे बाईबल पढ़नी है और कैसे प्रार्थना करनी है. उन्होंने मसीह पुस्तकों की सलाह दी और मेरे प्रश्नों के उत्तर दिए.
यद्पिपि मैंने अभी – अभी यीशु से मुलाकात की थी, तब भी उन्होंने मुझे दूसरों को यीशु में विश्वास में लाने के लिए उत्साहित किया और जो मैं सीख रहा था उसे दूसरों को सिखाने के लिए उत्साहित किया.
यूनिवर्सिटी से निकलने के बाद, सैन्डि मिलर ने वही किया जो योनाथन ने किया था, एक अलग तरीके से. उन्होंने मुझे एक नमूना दिखाया कि कैसे मसीह जीवन जीना है, जिसे मैं अभी पाने की आशा करता हूँ.
तब से, मेरे जीवन में हमेशा ऐसे लोग रहे हैं जिनसे मैं सीख रहा हूँ और ऐसे दूसरे लोग जिन्हें मैं यह सिखाने की कोशिश कर रहा हूँ. जैसा कि रिले दौड़ में होता है, हमें छड़ी को दूसरों को देने का उत्तरदायित्व सौंपा गया है.
भजन संहिता 78:1-8
आसाप का एक गीत।
78मेरे भक्तों, तुम मेरे उपदेशों को सुनो।
उन बातों पर कान दो जिन्हें मैं बताना हूँ।
2 मैं तुम्हें यह कथा सुनाऊँगा।
मैं तुम्हें पुरानी कथा सुनाऊँगा।
3 हमने यह कहानी सुनी है, और इसे भली भाँति जानते हैं।
यह कहानी हमारे पूर्वजों ने कही।
4 इस कहानी को हम नहीं भूलेंगे।
हमारे लोग इस कथा को अगली पीढ़ी को सुनाते रहेंगे।
हम सभी यहोवा के गुण गायेंगे।
हम उन के अद्भुत कर्मो का जिनको उसने किया है बखान करेंगे।
5 यहोवा ने याकूब से वाचा किया।
परमेश्वर ने इस्राएल को व्यवस्था का विधान दिया,
और परमेश्वर ने हमारे पूर्वजों को आदेश दिया।
उसने हमारे पूर्वजों को व्यवस्था का विधान अपने संतानों को सिखाने को कहा।
6 इस तरह लोग व्यवस्था के विधान को जानेंगे। यहाँ तक कि अन्तिम पीढ़ी तक इसे जानेगी।
नयी पीढ़ी जन्म लेगी और पल भर में बढ़ कर बड़े होंगे, और फिर वे इस कहानी को अपनी संतानों को सुनायेंगे।
7 अत: वे सभी लोग यहोवा पर भरोसा करेंगे।
वे उन शाक्तिपूर्ण कामों को नहीं भूलेंगे जिनको परमेश्वर ने किया था।
वे ध्यान से रखवाली करेंगे और परमेश्वर के आदेशों का अनुसरण करेंगे।
8 अत: लोग अपनी संतानों को परमेश्वर के आदेशों को सिखायेंगे,
तो फिर वे संतानें उनके पूर्वजों जैसे नहीं होंगे।
उनके पूर्वजों ने परमेश्वर से अपना मुख मोड़ा और उसका अनुसरण करने से इन्कार किया, वे लोग हठी थे।
वे परमेश्वर की आत्मा के भक्त नहीं थे।
समीक्षा
बताएं
आपके पास बताने के लिए एक कहानी है. हर परिवार के पास कहानी है. हर चर्च के पास अपनी कहानी है कि परमेश्वर ने क्या किया है. हर मसीह के पास एक कहानी है – एक गवाही. हम सभी के पास महान कहानी है कि परमेश्वर ने मसीह में क्या कर दिया है. हमें 'कहानी को बताना है' (व.6, एम.एस.जी.).
यह भजन हमें राजा दाऊद तक इब्रानी इतिहास का एक चित्र प्रदान करता है, और इसे अगली पीढ़ी तक पहुँचाने की महत्ता पर जोर देता हे. हम इस्राएल के पापों और परमेश्वर की भलाई के बीच में एक अंतर को देखते हैं. स्वयं यीशु ने इस भजन को दोहराया (मत्ती 13:35).
भजनसंहिता के लेखक कहते हैं, 'उन्हें हम उनकी संतान से गुप्त न रखेंगे, परंतु होनहार पीढ़ी के लोगों से, यहोवा का गुणानुवाद और उनकी सामर्थ और आश्चर्यकर्मों का वर्णन करेंगे...कि आने वाली पीढ़ी के लोग, अर्थात् जो बच्चे उत्पन्न होने वाले हैं, वे इन्हें जाने...और अपने बाल-बच्चों से इसको बताने में उत्सुक हो, जिससे वे परमेश्वर पर भरोसा रखें' (भजनसंहिता 78:4-7).
यूआन कार्लोस ओर्टिज एक कहानी बताते हैं कि वह अपने गाँव अर्जेंटीना में एक बूढ़ी महिला से मिले, जिसने उन्हें एक छोटी लड़की से मिलाया, जो उनकी परपोती थी. वह आगे बताने लगी कि उनके छ बच्चे थे और छत्तीस पोते-पोतियाँ थी. उनका परिवार संख्या में बड़ा था और उनके पोते-पोतियों में बहुत से शिक्षित और पेशेवर लोग थे. कार्लोस ने उनसे पूछा, 'कैसे आप इतनी बड़ी, अच्छी तरह से पोषित, अच्छी पोषाक वाले, अच्छी रीति से शिक्षित, विस्तारित परिवार को बढ़ा पायी?' महिला ने उत्तर दिया, 'मैंने नहीं किया. मैंने केवल छह का ध्यान रखा. और हर एक ने उनके छह बच्चों का ध्यान रखा.'
हर एक पीढ़ी के पास उत्तरदायित्व है कि अगली पीढ़ी को परमेश्वर की भलाई के विषय में बताये और उस गड़बडी के विषय में बताये जो हम अपने जीवन में कर लेते हैं जब हम परमेश्वर की भलाई से दूर हो जाते हैं.
प्रार्थना
प्रेरितों के काम 16:1-15
तिमुथियुस का पौलुस और सिलास के साथ जाना
16पौलुस दिरबे और लुस्तरा में भी आया। वहीं तिमुथियुस नामक एक शिष्य हुआ करता था। वह किसी विश्वासी यहूदी महिला का पुत्र था किन्तु उसका पिता यूनानी था। 2 लिस्तरा और इकुनियुम के बंधुओं के साथ उसकी अच्छी बोलचाल थी। 3 पौलुस तिमुथियुस को यात्रा पर अपने साथ ले जाना चाहता था। सो उसे उसने साथ ले लिया और उन स्थानों पर रहने वाले यहूदियों के कारण उसका ख़तना किया; क्योंकि वे सभी जानते थे कि उसका पिता एक यूनानी था।
4 नगरों से यात्रा करते हुए उन्होंने वहाँ के लोगों को उन नियमों के बारे में बताया जिन्हें यरूशलेम में प्रेरितों और बुजुर्गो ने निश्चित किया था। 5 इस प्रकार वहाँ की कलीसिया का विश्वास और सुदृढ़ होता गया और दिन प्रतिदिन उनकी संख्या बढ़ने लगी।
पौलुस का एशिया से बाहर बुलाया जाना
6 सो वे फ्रूगिया और गलातिया के क्षेत्र से होकर निकले क्योंकि पवित्र आत्मा ने उन्हें एशिया में वचन सुनाने को मना कर दिया था। 7 फिर वे जब मूसिया की सीमा पर पहुँचे तो उन्होंने बितुनिया जाने का जतन किया। किन्तु यीशु की आत्मा ने उन्हें वहाँ भी नहीं जाने दिया। 8 सो वे मूसिया होते हुए त्रोआस पहुँचे।
9 रात के समय पौलुस ने दिव्यदर्शन में देखा कि मकिदुनिया का एक पुरुष उस से प्रार्थना करते हुए कह रहा है, “मकिदुनिया में आ और हमारी सहायता कर।” 10 इस दिव्यदर्शन को देखने के बाद तुरन्त ही यह परिणाम निकालते हुए कि परमेश्वर ने उन लोगों के बीच सुसमाचार का प्रचार करने हमें बुलाया है, हमने मकिदुनिया जाने की ठान ली।
लीदिया का ह्रदय परिवर्तन
11 इस प्रकार हमने त्रोआस से जल मार्ग द्वारा जाने के लिये अपनी नावें खोल दीं और सीधे समोथ्रोके जा पहुँचे। फिर अगले दिन नियापुलिस चले गये। 12 वहाँ से हम एक रोमी उपनिवेश फिलिप्पी पहुँचे जो मकिदुनिया के उस क्षेत्र का एक प्रमुख नगर है। इस नगर में हमने कुछ दिन बिताये।
13 फिर सब्त के दिन यह सोचते हुए कि प्रार्थना करने के लिये वहाँ कोई स्थान होगा हम नगर-द्वार के बाहर नदी पर गये। हम वहाँ बैठ गये और एकत्र स्त्रियों से बातचीत करने लगे। 14 वहीं लीदिया नाम की एक महिला थी। वह बैंजनी रंग के कपड़े बेचा करती थी। वह परमेश्वर की उपासक थी। वह बड़े ध्यान से हमारी बातें सुन रही थी। प्रभु ने उसके ह्रदय के द्वार खोल दिये थे ताकि, जो कुछ पौलुस कह रहा था, वह उन बातों पर ध्यान दे सके। 15 अपने समूचे परिवार समेत बपतिस्मा लेने के बाद उसने हमसे यह कहते हुए विनती की, “यदि तुम मुझे प्रभु की सच्ची भक्त मानते हो तो आओ और मेरे घर ठहरो।” सो उसने हमें जाने के लिए तैयार कर लिया।
समीक्षा
प्रशिक्षित करें
पौलुस ने समझा कि उनके पास दूसरों को प्रशिक्षित करने का उत्तरदायित्व था. उन्हें तीमुथियुस मिला - 'एक अच्छा जवान व्यक्ति' (वव.1-2, एम.एस.जी). पौलुस ने तिमुथियुस को अनुशासित किया, प्रशिक्षित किया और सिखाया. पौलुस तीमुथियुस का एक शिक्षक था. वे एक महान उदाहरण हैं कि हम सभी को क्या करना चाहिए. एक पौलुस को ढूँढे जिनसे आप सीख सकते हैं और एक तीमुथियुस को ढूंढे जिसे आप सिखा सकें.
बिल हिबेल ने कहा कि हर मुख्य युक्तिकारक कदम या निर्णय जो उन्होंने लिया वह ऐसे व्यक्ति के द्वारा उत्साहित और प्रोत्साहित था जो उनसे तीन फिट की दूरी पर थे नाकि जब वह हजारों लोगों की भीड़ में थे. जबकि प्रचार करना एक बड़ा अंतर पैदा कर सकता है, उपदेशक अक्सर इस सच्चाई को बड़ा महत्व देते हैं जो कि मंच और बेंच के बीच में अपना लिया गया है. उनके जीवन में, 'एक मेज के परे लगाया गया सत्य' उनकी व्यक्तिगत वृद्धि के लिए एक कुँजी रही है. यह तीमुथियुस के लिए भी पूँजी लगती है
पौलसु के द्वारा तीमुथियुस एक मसीह बन गए और वे बहुत ही घनिष्ठ मित्र बन गए. पौलुस तीमुथियुस से उम्र में बड़े थे और उन्होंने अपनी मित्रता का वर्णन एक पिता और पुत्र के रूप में किया (फिलिप्पियों 2:22). पौलुस ने तीमुथियुस का वर्णन किया 'मेरा पुत्र जिससे मैं प्रेम करता हूँ' (1कुरिंथियो 4:17).
वे एक साथ बहुत दूर तक गए. 'वे नगर-नगर फिरे' (प्रेरितों के कार्य 16:4). यहाँ तक कि उन्होंने बंदीगृह में एक साथ समय बिताया. इन सब चीजों के दौरान तीमुथियुस पौलुस को देख रहे थे, और उनके वारिस के रूप में प्रशिक्षित हो रहे थे.
केवल यह आशा करना पर्याप्त नहीं है कि 'तीमुथियुस' हमें देख रहे हैं. हमें अवश्य ही युक्तिकारक रूप से जवान चेलों को अगुवाई करने के महत्वपूर्ण अवसरों को प्रदान करना चाहिए. पौलुस ने तीमुथियुस को वास्तविक उत्तरदायित्व सौंपा. वह उस पर भरोसा कर सकते थे क्योंकि वह उसे अच्छी तरह से जानते थे.
शुरुवात से ही पौलुस ने तीमुथियुस को काम में शामिल किया. उन्होंने एक साथ निर्णय लिये (व.4). एक साथ उनकी सेवकाई के द्वारा, ' इस प्रकार कलीसियाँ विश्वास में स्थिर होती गई और संख्या में प्रतिदिन बढ़ती गईं' (व.5, एम.एस.जी.).
तीमुथियुस ने पवित्र आत्मा के मार्गदर्शन के विषय में सीखा. जब उन्होंने बेतनिय्याह में प्रवेश करने की कोशिश की, पवित्र आत्मा ने 'उस मार्ग को रोका.' ' उन्होंने मूसिया के निकट पहुँचकर, बितूनिया में जाना चाहा; परन्तु यीशु की आत्मा ने उन्हें जाने न दिया' (वव.6-7, एम.एस.जी). यह जीवन में एक महत्वपूर्ण सीख हैं. मैं अपने जीवन में पाँच ऐसे समय के बारे में सोच सकता हूँ जहाँ पर मैंने महसूस किया कि मुझे किसी एक दिशा में जाना चाहिए, 'लेकिन यीशु के आत्मा ने जाने न दिया' (व.7). जैसे ही मैं पीछे की ओर देखता हूँ, मैं बहुत ही धन्यवादित हूँ कि आत्मा ने उन योजनाओं को रोका, क्योंकि बाद में समझ आया कि यह सही नहीं था.
तब परमेश्वर पौलुस और तीमुथियुस को एक नई दिशा में ले गएः वहाँ पौलुस ने रात को एक दर्शन देखा कि एक मकिदूनी पुरुष खड़ा हुआ उससे विनती करके कह रहा है, 'पार उतरकर मकिदुनिया में आ, और हमारी सहायता कर' (व.9). आश्चर्य न करते हुए पौलुस ने इसे स्पष्ट मार्गदर्शन के रूप में लिया कि उन्हें मकिदूनिया में जाना थाः ' यह समझकर कि परमेश्वर ने हमें उन्हें सुसमाचार सुनाने के लिये बुलाया है' (व.10, एम.एस.जी).
फिलिप्पियों में, तीमुथियुस ने पौलुस को देखा कि पहले शनिवार को वह वहाँ पर थे, नदी के पास गए जहाँ पर महिलाओं का एक समूह प्रार्थना कर रहा था (व.13).
जैसे ही पौलुस ने यीशु के विषय में बताया, लुदिया नामक एक व्यापारी महिला ने विश्वास किया. उसने पौलुस और उनके साथियों को अपने घर में आमंत्रित किया. अवश्य ही यह उनके लिए एक असाधारण और अद्भुत अनुभव रहा होगा, कि यह देखें कि कैसे 'परमेश्वर ने पौलुस के संदेश को उत्तर देने के लिए उसके हृदय को खोला है' (व.14).
पौलुस का अंतिम पत्र है 2 तीमुथियुस. अपने जीवन के अंत तक, पौलुस की प्राथमिकता थी अगली पीढ़ी को उत्साहित करना और मुक्त करना. आओ इसे अपनी भी प्राथमिकता बनायें!
प्रार्थना
1 राजा 12:25-14:20
25 शकेम, एप्रैम के पहाड़ी प्रदेश में एक नगर था। यारोबाम ने शकेम को एक सुदृढ़ नगर बनाया और उसमें रहने लगा। इसके बाद वह पनूएल नगर को गया और उसे भी सुदृढ़ किया।
26-27 यारोबाम ने अपने मन में सोचा, “यदि लोग यरूशलेम में यहोवा के मन्दिर को जाते रहे तो वे दाऊद के परिवार द्वारा शासित होना चाहेंगे। लोग फिर यहूदा के राजा रहूबियाम का अनुसरण करना आरम्भ कर देंगे। तब वे मुझे मार डालेंगे।” 28 इसलिये राजा ने अपने सलाहकारों से पूछा कि उसे क्या करना चाहिये उन्होंने उसे अपनी सलाह दी। अत: यारोबाम ने दो सुनहले बछड़े बनाये। राजा यारोबाम ने लोगों से कहा, “तुम्हें उपासना करने यरूशलेम नहीं जाना चाहिये। इस्राएलियो, ये देवता हैं जो तुम्हें मिस्र से बाहर ले आए।” 29 राजा यारोबाम ने एक सुनहले बछड़े को बेतेल में रखा। उसने दूसरे सुनहले बछड़े को दान में रखा। 30 किन्तु यह बहुत बड़ा पाप था। इस्राएल के लोगों ने बेतेल और दान नगरों की यात्रा बछड़ों की पूजा करने के लिये की। किन्तु यह बहुत बड़ा पाप था।
31 यारोबाम ने उच्च स्थानों पर पूजागृह भी बनाए। उसने इस्राएल के विभिन्न परिवार समूहों से याजक भी चुने। (उसने केवल लेवी परिवार समूह से याजक नहीं चुने।) 32 और राजा यारोबाम ने एक नया पर्व आरम्भ किया। यह पर्व यहूदा के “फसहपर्व” की तरह था। किन्तु यह पर्व आठवें महीने के पन्द्रहवें दिन था—पहले महीने के पन्द्रहवें दिन नहीं। उस समय राजा बेतेल नगर की वेदी पर बलि भेंट करता था और वह बलि उन बछड़ों को भेंट करता था जिन्हें उसने बनवाया था। राजा यारोबाम ने बेतेल में उन उच्चस्थानों के लिये याजक भी चुने, जिन्हें उसने बनाया था। 33 इसलिये राजा यारोबाम इस्राएलियों के लिये पर्व के लिये अपना ही समय चुना। यह आठवें महीने का पन्द्रहवाँ दिन था। उन दिनों वह उस वेदी पर बलि भेंट करता था और सुगन्धि जलाता था जिसे उसने बनाया था। यह बेतेल नगर में था।
परमेश्वर बेतेल के विरुद्ध घोषणा करता है
13यहोवा ने यहूदा के निवासी परमेश्वर के एक व्यक्ति (नबी) को यहूदा से बेतेल नगर में जाने का आदेश दिया। राजा यारोबाम उस समय सुगन्धि भेंट करता हुआ वेदी के पास खड़ा था जिस समय परमेश्वर का व्यक्ति (नबी) वहाँ पहुँचा। 2 यहोवा ने उस परमेश्वर के व्यक्ति को आदेश दिया था कि तुम वेदी के विरुद्ध बोलना। उसने कहा,
“वेदी, यहोवा तुमसे कहता है: ‘दाऊद के परिवार में एक पुत्र योशिय्याह नामक उत्पन्न होगा। ये याजक अब उच्च स्थानों पर पूजा कर रहे हैं। किन्तु वेदी, योशिय्याह उन याजकों को तुम पर रखेगा और वह उन्हें मार डालेगा। अब वे याजक तुम पर सुगन्धि जलाते हैं। किन्तु योशिय्याह तुम पर नर—अस्थियाँ जलायेगा। तब तुम्हारा उपयोग दुबारा नहीं हो सकेगा।’”
3 परमेश्वर के वयक्ति ने यह सब घटित होगा, इसका प्रमाण लोगों को दिया। उसने कहा, यहोवा ने जिसके विषय में मुझसे कहा है उसका प्रमाण यह है। यहोवा ने कहा, “यह वेदी दो टुकड़े हो जायेगी और इसकी राख जमीन पर गिर पड़ेगी।”
4 राजा यारोबाम ने परमेश्वर के व्यक्ति से बेतेल में वेदी के प्रति दिया सन्देश सुना। उसने वेदी से हाथ खींच लिया और व्यक्ति की ओर संकेत किया। उसने कहा, “इस व्यक्ति को बन्दी बना लो!” किन्तु राजा ने जब यह कहा तो उसके हाथ को लकवा मार गया। वह उसे हिला नहीं सका। 5 वेदी के भी टुकड़े—टुकड़े हो गए। उसकी सारी राख जमीन पर गिर पड़ी। यह इसका प्रमाण था कि परमेश्वर के व्यक्ति ने जो कहा वह परमेश्वर की तरफ से था। 6 तब राजा यारोबाम ने परमेश्वर के व्यक्ति से कहा, “कृपया यहोवा अपने परमेश्वर से मेरे लिये प्रार्थना करें। कि वह मेरी भुजा स्वस्थ कर दे।”
अत: “परमेश्वर के व्यक्ति” ने यहोवा से प्रार्थना की और राजा की भुजा स्वस्थ हो गई। यह वैसी ही हो गई जैसी पहले थी। 7 तब राजा ने परमेश्वर के व्यक्ति से कहा, “कृपया मेरे साथ घर चलें। आएं और मेरे साथ भोजन करें मैं आपको एक भेंट दूँगा।”
8 किन्तु परमेश्वर के व्यक्ति ने राजा से कहा, “मैं आपके साथ घर नहीं जाऊँगा। यदि आप मुझे अपना आधा राज्य भी दें तो भी मैं नहीं जाऊँगा। मैं इस स्थान पर न कुछ खाऊँगा, न ही कुछ पीऊँगा। 9 यहोवा ने मुझे आदेश दिया है कि मैं कुछ न तो खाऊँ न ही पीऊँ। यहोवा ने यह भी आदेश दिया है कि मैं उस मार्ग से यात्रा न करूँ जिसका उपयोग मैंने यहाँ आते समय किया।” 10 इसलिये उसने भिन्न सड़क से यात्रा की। उसने उसी सड़क का उपयोग नहीं किया जिसका उपयोग उसने बेतेल को आते समय किया था।
11 बेतेल नगर में एक वृद्ध नबी रहता था। उसके पुत्र आए और उन्होंने उसे बताया कि परमेश्वर के व्यक्ति ने बेतेल में क्या किया। उन्होंने अपने पिता से वह भी कहा जो परमेश्वर के व्यक्ति ने राजा यारोबाम से कहा था। 12 वृद्ध नबी ने कहा, “जब वह चला तो किस सड़क से गया” अत: पुत्रों ने अपने पिता को वह सड़क दिखाई जिससे यहूदा से आने वाला परमेश्वर का व्यक्ति गया था। 13 वृद्ध नबी ने अपने पुत्रों से अपने गधे पर काठी रखने के लिये कहा। अत: उन्होंने काठी गधे पर डाली। तब नबी अपने गधे पर चल पड़ा।
14 वृद्ध नबी परमेश्वर के व्यक्ति के पीछे गया। वृद्ध नबी ने परमेश्वर के व्यक्ति को एक बांजवृक्ष के नीचे बैठे देखा। वृद्ध नबी ने पूछा, “क्या आप वही परमेश्वर के व्यक्ति हैं जो यहूदा से आए हैं”
परमेश्वर के व्यक्ति ने उत्तर दिया, “हाँ, मैं ही हूँ।”
15 इसलिये वृद्ध नबी ने कहा, “कृपया घर चलें और मेरे साथ भोजन करें।”
16 किन्तु परमेश्वर के व्यक्ति ने उत्तर दिया, “मैं तुम्हारे साथ घर नहीं जा सकता। मैं इस स्थान पर तुम्हारे साथ खा—पी भी नहीं सकता। 17 यहोवा ने मुझसे कहा, ‘तुम उस स्थान पर कुछ खाना पीना नहीं और तुम्हें उसी सड़क से वापस लौटना भी नहीं है जिससे तुम वहाँ आए।’”
18 तब वृद्ध नबी ने कहा, “किन्तु मैं भी तुम्हारी तरह नबी हूँ।” तब वृद्ध नबी ने एक झूठ बोला। उसने कहा, “यहोवा के यहाँ से एक स्वर्गदूत मेरे पास आया। स्वर्गदूत ने मुझसे तुम्हें अपने घर लाने और तुम्हें मेरे साथ भोजन पानी करने की स्वीकृति दी है।”
19 इसलिये परमेश्वर का व्यक्ति वृद्ध नबी के घर गया और उसके साथ खाया—पीया। 20 जब वे मेज पर बैठे थे, यहोवा ने वृद्ध नबी से कहा। 21 और वृद्ध नबी ने यहूदा के निवासी परमेश्वर के व्यक्ति के साथ बातचीत की। उसने कहा, “यहोवा ने कहा, कि तुमने उसकी आज्ञा का पालन नहीं किया। तुमने वह नहीं किया जिसके लिये यहोवा का आदेश था। 22 यहोवा ने आदेश दिया था कि तुम्हें इस स्थान पर कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिये। किन्तु तुम वापस लौटे और तुमने खाया पीया। इसलिये तुम्हारा शव तुम्हारे परिवार की कब्रगाह में नहीं दफनाया जाएगा।”
23 परमेश्वर के व्यक्ति ने भोजन करना और पीना समाप्त किया। तब वृद्ध नबी ने उसके लिये गधे पर काठी कसी और वह चला गया। 24 घर की ओर यात्रा करते समय सड़क पर एक सिंह ने आक्रमण किया और परमेश्वर के व्यक्ति को मार डाला। नबी का शव सड़क पर पड़ा था। गधा और सिंह शव के पास खड़े थे। 25 कुछ अन्य व्यक्ति उस सड़क से यात्रा कर रहे थे। उन्होंने शव को देखा और शव के पास सिंह को खड़ा देखा। वे व्यक्ति उस नगर को आए जहाँ नबी रहता था और वहाँ वह बताया जो उन्होंने सड़क पर देखा था।
26 वृद्ध नबी ने उस व्यक्ति को धोखा दिया था और उसे वापस ले गया था। उसने जो कुछ हुआ था वह सुना और उसने कहा, “वह परमेश्वर का व्यक्ति है जिसने यहोवा के आदेश का पालन नहीं किया। इसलिये यहोवा ने उसे मारने के लिये एक सिंह भेजा। यहोवा ने कहा कि उसे यह करना चाहिये।” 27 तब नबी ने अपने पुत्रों से कहा, “मेरे गधे पर काठी डालो।” अत: उसके पुत्रों ने उसके गधे पर काठी डाली। 28 वृद्ध नबी गया और उसके शव को सड़क पर पड़ा पाया। गधा और सिंह तब भी उसके पास खड़े थे। सिंह ने शव को नहीं खाया था और गधे को चोट नहीं पहुँचाई थी।
29 वृद्ध नबी ने शव को अपने गधे पर रखा। वह शव को वापस ले गया जिससे उसके लिये रो सके और उसे दफना सके।
30 वृद्ध नबी ने उसे अपने परिवार की कब्रगाह में दफनाया। वृद्ध नबी उसके लिये रोया। वृद्ध नबी ने कहा, “ऐ मेरे भाई मैं तुम्हारे लिये दुःखी हूँ।” 31 इस प्रकार वृद्ध नबी ने शव को दफनाया। तब उसने अपने पुत्रों से कहा, “जब मैं मरुँ तो मुझे इसी कब्र में दफनाना। मेरी अस्थियों को उसकी अस्थियों के समीप रखना। 32 जो बातें यहोवा ने उसके द्वारा कहलवाई हैं वे निश्चित ही सत्य घटित होंगी। यहोवा ने उसका उपयोग बेतेल की वेदी और शोमरोन के अन्य नगरों में स्थित उच्च स्थानों के विरुद्ध बोलने के लिये किया।”
33 राजा यारोबाम ने अपने को नहीं बदला। वह पाप कर्म करता रहा। वह विभिन्न परिवार समूहों से लोगों को याजक बनने के लिये चुनता रहा। वे याजक उच्च स्थानों पर सेवा करते थे। जो कोई याजक होना चाहता था याजक बन जाने दिया जाता था। 34 यही पाप था जो उसके राज्य की बरबादी और विनाश का कारण बना।
यारोबाम का पुत्र मर जाता है
14उस समय यारोबाम का पुत्र अबिय्याह बहुत बीमार पड़ा। 2 यारोबाम ने अपनी पत्नी से कहा, “शीलो जाओ। जाओ और अहिय्याह नबी से मिलो। अहिय्याह वह व्यक्ति है जिसने कहा था कि मैं इस्राएल का राजा बनूँगा। अपने वस्त्र ऐसे पहनों कि कोई न समझे कि तुम मेरी पत्नी हो। 3 नबी को दस रोटियाँ, कुछ पुऐ और शहद का एक घड़ा दो। तब उससे पूछो कि हमारे पुत्र का क्या होगा। अहिय्याह नबी तुम्हें बतायेगा।”
4 इसलिये राजा की पत्नी ने वह किया जो उसने कहा। वह शीलो गई। वह अहिय्याह नबी के घर गई। अहिय्याह बहुत बूढ़ा और अन्धा हो गया था। 5 किन्तु यहोवा ने उससे कहा, “यारोबाम की पत्नी तुमसे अपने पुत्र के बारे में पूछने के लिये आ रही है। वह बीमार है।” यहोवा ने अहिय्याह को बताया कि उसे क्या कहना चाहिये।
यारोबाम की पत्नी अहिय्याह के घर पहुँची। वह प्रयत्न कर रही थी कि लोग न जानें कि वह कौन है। 6 अहिय्याह ने उसके द्वार पर आने की आवाज सुनी। अत: अहिय्याह ने कहा, “यारोबाम की पत्नी, यहाँ आओ। तुम क्यों यह प्रयत्न कर रही हो कि लोग यह समझें कि तुम कोई अन्य हो मेरे पास तुम्हारे लिये कुछ बुरी सूचनायें हैं। 7 वापस लौटो और यारोबाम से कहो कि यहोवा इस्राएल का परमेश्वर, जो कहता है, वह यह है। यहोवा कहता है, ‘यारोबाम इस्राएल के सभी लोगों में से मैंने तुम्हें चुना। मैंने तुम्हें अपने लोगों का शासक बनाया। 8 दाऊद के परिवार ने इस्राएल पर शासन किया किन्तु मैंने उनसे राज्य ले लिये और उसे तुमको दे दिया। किन्तु तुम मेरे सेवक दाऊद के समान नहीं हो। उसने मेरे आदेशों का सदा पालन किया। उसने पूरे हृदय से मेरा अनुसरण किया। उसने वे ही काम किये जिन्हें मैंने स्वीकार किया। 9 किन्तु तुमने बहुत से भीषण पाप किये हैं। तुम्हारे पाप उन सभी के पापों से अधिक हैं जिन्होंने तुम से पहले शासन किया। तुमने मेरा अनुसरण करना बन्द कर दिया है। तुमने मूर्तियाँ और अन्य देवाता बनाये। इसने मूझे बहुत क्रोधित किया। इससे मैं बहुत क्रुद्ध हुआ हूँ। 10 अत: यारोबाम, मैं तुम्हारे परिवार पर विपत्ति लाऊँगा। मैं तुम्हारे परिवार के सभी पुरुषों को मार डालूँगा। मैं तुम्हारे परिवार को पूरी तरह वैसे ही नष्ट कर डालूँगा जैसे आग उपलों को नष्ट करती है। 11 तुम्हारे परिवार का जो कोई नगर में मरेगा उसे कुत्ते खायेंगे और तुम्हारे परिवार का जो कोई व्यक्ति मैदान में मरेगा उसे पक्षी खायेंगे। यहोवा ने यह कहा है।’”
12 तब अहिय्याह नबी यारोबाम की पत्नी से बात करता रहा। उसने कहा, “अब तुम घर जाओ। जैसे ही तुम अपने नगर में प्रवेश करोगी तुम्हारा पुत्र मरेगा। 13 सारा इस्राएल उसके लिये रोएगा और उसे दफनाएगा। मात्र तुम्हारा पुत्र ही यारोबाम के परिवार में ऐसा होगा जिसे दफनाया जाएगा। इसका कारण यह है कि यारोबाम के परिवार में केवल वही ऐसा व्यक्ति है जिसने यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर को प्रसन्न किया है। 14 यहोवा इस्राएल का एक नया राजा बनायेगा। वह नया राजा यारोबाम के परिवार को नष्ट करेगा। यह बहुत शीघ्र होगा। 15 तब यहोवा इस्राएल को चोट पहुँचायेगा। इस्राएल के लोग बहुत डर जायेंगे वे जल की लम्बी घास की तरह काँपेंगे। यहोवा इस्राएलियों को इस अच्छे प्रदेश से उखाड़ देगा। यह वही भूमि है जिसे उसने उनके पूर्वजों को दिया था। वह उनको फरात नदी की दूसरी ओर बिखेर देगा। यह होगा, क्योंकि यहोवा लोगों पर क्रोधित है। लोगों ने उसको तब क्रोधित किया जब उन्होंने अशेरा की पूजा के लिये विशेष स्तम्भ खड़े किये। 16 यारोबाम ने पाप किया और तब यारोबाम ने इस्राएल के लोगों से पाप करवाया। अत: यहोवा इस्राएल के लोगों को पराजित होने देगा।”
17 यारोबाम की पत्नी तिरजा को लौट गई। ज्यों ही वह घर में घुसी, लड़का मर गया। 18 पूरे इस्राएल ने उसको दफनाया और उसके लिये वे रोये। यह ठीक वैसे ही हुआ जैसा यहोवा ने होने को कहा था। यहोवा ने अपने सेवक अहिय्याह नबी का उपयोग ये बातें कहने के लिये किया।
19 राजा यारोबाम ने अन्य बहुत से काम किये। उसने युद्ध किये और लोगों पर शासन करता रहा। उसने जो कुछ किया वह सब इस्राएल के राजाओं के इतिहास नामक पुस्तक में लिखा हुआ है। 20 यारोबाम ने बाईस वर्ष तक राजा के रूप में शासन किया। तब वह मरा और अपने पूर्वजों के साथ दफनाया गया। उसका पुत्र नादाब उसके बाद नया राजा हुआ।
समीक्षा
सिखाएं
जब तक हम इतिहास से सीख न लें और 'अगली पीढ़ी को न सिखाये' (भजनसंहिता 78:5-6) वे भूतकाल की गलती को दोहरायेंगे. राजा की पुस्तक परमेश्वर के लोगों के इतिहास को दर्ज करती है, ताकि आगे आने वाली पीढ़ी उनसे सीख पायें.
दुखद रूप से, जो सीख हम इस लेखांश से सीख सकते हैं, वह मुख्य रूप से नकारात्मक है -यारोबाम की कहानी भयभीत करती है. उसने अगली पीढ़ी को एक भयानक विरासत दी.
'राजा ने सम्मति लेकर सोने के दो बछड़े बनाए' (1राजा 12:28). 'सलाह लेना' काफी नहीं है यदि हम गलत लोगों से सलाह ले रहे हैं! ये अध्याय यारोबाम के घराने के पापों का विवरण रखते हैं, जिसकी वजह से 'उसका विनाश हुआ, और वह धरती पर से नष्ट किया गया' (13:34).
यारोबाम का मुख्य पाप यह था कि उसने अपनी सुविधा के अनुसार धर्म और आराधना के प्रकार को बनाया. परमेश्वर की आराधना के बजाय (12:28) उसने मूर्तिपूजा को उत्साहित किया. यारोबाम का धर्म बनाया गया धर्म था, जो उसकी खुद की इच्छाओं और जरुरतों को पूरा करने के लिए बनाया गया था.
शायद से हम सोने के बछड़े की आराधना न करें, लेकिन वही खतरा आज भी प्रकट है. जैसा कि पोप फ्रांसिस ने कहा है, 'सबसे खतरनाक मूर्ति हम खुद हैं जब हम परमेश्वर का स्थान पाना चाहते हैं.'
यह यारोबाम का पाप था, और इसने अगली पीढ़ी को प्रभावित किया. उसका पुत्र अबिय्याह रोगी हुआ और मर गया (अध्याय 14). उसने दाऊद की पीढ़ी के अच्छे उदाहरण की अवहेलना की, जो कि परमेश्वर को प्रसन्न करते हुए एक अविभाजित हृदय के साथ जीए थे. इसके बजाय, उसने 'बुराई में एक नया रिकॉर्ड बनाया' (14:9, एम.एस.जी).
यारोबाम के पास शायद से बहुत सी सैनिक, वाणिज्य और राजनैतिक उपलब्धियाँ थी (व19 देखे), और तब भी ये सफलताएँ व्यर्थ लग रही थी. जैसा कि यीशु ने कहा, ' यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे और उसे अपने प्राण हानि उठानी पड़े, तो उसे क्या लाभ होगा?' (मरकुस 8:36). जीवित परमेश्वर के साथ एक नजदीकी संबंध से अंतर पड़ता है.
प्रार्थना
पिप्पा भी कहते है
भजनसंहिता 78:4-6
'उन्हें हम उनकी संतान से गुप्त न रखेंगे, परंतु होनहार पीढ़ी के लोगों से, यहोवा का गुणानुवाद और उसकी सामर्थ और आश्चर्यकर्मों का वर्णन करेंगे...कि आने वाली पीढ़ी के लोग, अर्थात् जो बच्चे उत्पन्न होने वाले हैं, वे इन्हें जाने.'
अगली पीढ़ी को अपना विश्वास देना एक चुनौती है. मैं एच.टी.बी में बच्चे और युवा कार्यकर्ताओं के लिए बहुत आभारी हूँ. उन्होंने हमारे बच्चों पर और सैकड़ो दूसरे बच्चों पर अपने प्रेम को ऊँडेला है. हर साल फोकस में (हमारा चर्च हॉलीडे) हमने अपने बच्चों के जीवन को और बहुत से दूसरों के जीवन को सप्ताह के दौरान बदलते हुए देखा है. अगली पीढ़ी में परमेश्वर जो कर रहे हैं, उसके द्वारा मैं उत्साहित हूँ. 'जो बच्चे अभी जन्में नही हैं' – मुझे उनके लिए प्रार्थना करने में उत्साह महसूस होता है.
दिन का वचन
भजन संहिता – 78:6
"कि आने वाली पीढ़ी के लोग, अर्थात जो लड़के बाले उत्पन्न होने वाले हैं, वे इन्हे जानें; और अपने"
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संदर्भ
युआन कार्लोस ऑर्टिज, डिसाईपल, (करिस्मा हाउस, 2001) पीपी 101-102
जुली कोलाजो, लिसा रोगक, पोप फ्रांसिस अपने शब्दों में (न्यु वर्ल्ड लाईब्रेअरी 2013) पी 46
जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।
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संपादकीय नोट:
जुआन कॅर्लोस ऑर्टिज़ का उद्धरण डिसाइपल से लिया गया है, पप. 101-102.