दिन 169

तीन परिवर्तन जिनकी सभी को आवश्यकता है

बुद्धि भजन संहिता 74:18-23
नए करार प्रेरितों के काम 12:19-13:12
जूना करार 1 राजा 3:16-5:18

परिचय

अल्फा कॉन्फरेंस में, किसी ने मुझे कागज का एक टुकड़ा दिया जिसमें लिखा था कि उसके मित्र के साथ क्या हुआः

सू (जो कि एक मसीह नहीं थी) रेहाब क्लिनिक में जाया करती थी जो कि सांस की परेशानी वाले लोगों के लिए है. उन्हें एक बीमारी थी (सीओपीडीः क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पलमोनरी डिसीस) जो कि दिन प्रतिदिन बदतर होती जा रही थी. क्लिनिक हमारी चर्च ईमारत के पास है. वह अपने क्लिनिक में आयी, लेकिन वहाँ पर कोई नहीं था (उसे गलत तारीख मिल गई थी!). वह थोड़ी देर रुकी और हमारे अगले अल्फा के विषय में परचे को देखने लगी.

सू हमारी बुधवार शाम की सभा में आयी. उसने यह सब अपने अंदर लिया और उत्साह और रूचि से भर गई. वह रविवार को चर्च में आयी और बुधवार को फिर से आयी. अचानक से सू को समझ में आया कि यीशु परमेश्वर हैं! उसके लिए चित्रों का टूटा हुआ बड़ा टुकड़ा. उसने परमेश्वर को अपना जीवन दिया – नाटकीय. उसने अपनी बहन को बुलाया, उसे बताने के लिए कि वह एक मसीह बन चुकी है और उसकी बहन अपने एक मित्र के साथ सभा में थी, सू के लिए प्रार्थना करने के लिए! वह उसके लिए पच्चीस सालों से प्रार्थना कर रही थी!

अगले रविवार – सू चर्च में आयी, चंगाई के लिए प्रार्थना के लिए आगे आयी और सीओपीडी से उल्लेखनीय रूप से चंगी हो गई. वह घर में सीढ़ीयों से चढ़ती और उतरती हैं, दवाईयाँ लेना बंद कर दिया है, इत्यादि! वह क्लिनिक में अपने चिकित्सक से मिली, जो यह देखकर चकित रह गए कि उसके साथ क्या हुआ था – उल्लेखनीय अंतर. वह चंगी हो गई थी और तब से उसने दूसरों के लिए प्रार्थना की है और उन्हें चंगा होते हुए देखा है, जिसमें एक कैंसर के व्यक्ति शामिल हैं!

30अप्रैल को सू का बपतिस्मा हुआ और उसने 150 से अधिक मित्रों और परिवार को अपने साथ उत्सव मनाने के लिए बुलाया. वह लोगों पर एक महान प्रभाव बना रही है –हर उस व्यक्ति को प्रचार करते हुए जो सुनने के लिए स्थिर खड़े रहते हैं!

जॉन विंबर अक्सर कहते थे कि हम सभी को तीन परिवर्तन की आवश्यकता हैः मसीह में आना, उनके चर्च और उनके उद्देश्य में आना. निश्चित ही सू ना केवल मसीह में आयी, लेकिन तुरंत ही उनके उद्देश्य में आयी! आज का लेखांश विशेष रूप से इस तीसरे परिवर्तन को बताता है.

बुद्धि

भजन संहिता 74:18-23

18 हे परमेश्वर, इन बातों को याद कर। और याद कर कि शत्रु ने तेरा अपमान किया है।
 वे मूर्ख लोग तेरे नाम से बैर रखते हैं!
19 हे परमेश्वर, उन जंगली पशुओं को निज कपोत मत लेने दे!
 अपने दीन जनों को तू सदा मत बिसरा।
20 हमने जो आपस में वाचा की है उसको याद कर,
 इस देश में हर किसी अँधेरे स्थान पर हिंसा है।
21 हे परमेश्वर, तेरे भक्तों के साथ अत्याचार किये गये,
 अब उनको और अधिक मत सताया जाने दे।
 तेरे असहाय दीन जन, तेरे गुण गाते है।
22 हे परमेश्वर, उठ और प्रतिकार कर!
 स्मरण कर की उन मूर्ख लोगों ने सदा ही तेरा अपमान किया है।
23 वे बुरी बातें मत भूल जिन्हें तेरे शत्रुओं ने प्रतिदिन तेरे लिये कही।
 भूल मत कि वे किस तरह से युद्ध करते समय गुर्राये।

समीक्षा

परमेश्वर के उद्देश्य के लिए जोश

भजनसंहिता के लेखक लिखते हैं, 'हे परमेश्वर, उठ, अपना मुकद्दमा आप ही लड़' (व.22). वह परमेश्वर के उद्देश्य के विषय में जोशिले हैं देखते हैं, जैसा कि हम आज देखते हैं कि लोग हँसी उड़ाते हैं (व.18अ) और परमेश्वर की निंदा करते हैं (व.18ब). वह परमेश्वर को कहते हैं, 'हमें भूले नहीं. अपने वायदे को याद रखें' (वव.19ब -20अ, एम.एस.जी).

जब हम लोगों को परमेश्वर के उद्देश्य पर प्रहार करते हुए देखते हैं, तब निराश होना आसान बात है. उत्तर देने का सर्वश्रेष्ठ तरीका है जोश से भरी प्रार्थना. अपनी निराशाओं को परमेश्वर के पास लाएं: ’हे परमेश्वर उठ, अपना मुकद्दमा आप ही लड़; तेरी जो नामधराई मूढ़ द्वारा दिन भर होती रहती है, उसे स्मरण कर. अपने द्रोहियों का बड़ा बोल न भूल, तेरे विरोधियों का कोलाहल तो निरंतर उठता रहता है' (वव.22-23).

प्रार्थना

परमेश्वर, जैसे ही हम आज अपने आस-पास के समाज को देखते हैं, हम ऐसे बहुत से लोगों को देखते हैं जो आपके नाम पर हँसते हैं और निंदा करते हैं. हे परमेश्वर उठ और अपना मुकद्दमा लड़. होने दीजिए कि आपका नाम महिमा पाएँ. आपका राज्य आएं
नए करार

प्रेरितों के काम 12:19-13:12

19 इसके बाद हेरोदेस जब उसकी खोज बीन कर चुका और वह उसे नहीं मिला तो उसने पहरेदारों से पूछताछ की और उन्हें मार डालने की आज्ञा दी।

हेरोदेस की मृत्यु

हेरोदेस फिर यहूदिया से जा कर कैसरिया में रहने लगा। वहाँ उसने कुछ समय बिताया। 20 वह सूर और सैदा के लोगों से बहुत क्रोधित रहता था। वे एक समूह बनाकर उससे मिलने आये। राजा के निजी सेवक बलासतुस को मनाकर उन्होंने हेरोदेस से शांति की प्रार्थना की क्योंकि उनके देश को राजा के देश से ही खाने को मिलता था।

21 एक निश्चित दिन हेरोदेस अपनी राजसी वेश-भूषा पहन कर अपने सिंहासन पर बैठा और लोगों को भाषण देने लगा। 22 लोग चिल्लाये, “यह तो किसी देवता की वाणी है, मनुष्य की नहीं।” 23 क्योंकि हेरोदेस ने परमेश्वर को महिमा प्रदान नहीं की थी, इसलिए तत्काल प्रभु के एक स्वर्गदूत ने उसे बीमार कर दिया। और उसमें कीड़े पड़ गये जो उसे खाने लगे और वह मर गया।

24 किन्तु परमेश्वर का वचन प्रचार पाता रहा और फैलाता रहा।

25 बरनाबास और शाऊल यरूशलेम में अपना काम पूरा करके मरकुस कहलाने वाले यूहन्ना को भी साथ लेकर अन्ताकिया लौट आये।

बरनाबास और शाऊल का चुना जाना

13अन्ताकिया के कलीसिया में कुछ नबी और बरनाबास, काला कहलाने वाला शमौन, कुरेन का लूकियुस, देश के चौथाई भाग के राजा हेरोदेस के साथ पलितपोषित मनाहेम और शाऊल जैसे कुछ शिक्षक थे। 2 वे जब उपवास करते हुए प्रभु की उपासना में लगे हुए थे, तभी पवित्र आत्मा ने कहा, “बरनाबास और शाऊल को जिस काम के लिये मैंने बुलाया है, उसे करने के लिये मेरे निमित्त, उन्हें अलग कर दो।”

3 सो जब शिक्षक और नबी अपना उपवास और प्रार्थना पूरी कर चुके तो उन्होंने बरनाबास और शाऊल पर अपने हाथ रखे और उन्हें विदा कर दिया।

बरनाबास और शाऊल की साइप्रस यात्रा

4 पवित्र आत्मा के द्वारा भेजे हुए वे सिलुकिया गये जहाँ से जहाज़ में बैठ कर वे साइप्रस पहुँचें। 5 फिर जब वे सलमीस पहुँचे तो उन्होंने यहूदियों के आराधनालयों में परमेश्वर के वचन का प्रचार किया। यूहन्ना सहायक के रूप में उनके साथ था।

6 उस समूचे द्वीप की यात्रा करते हुए वे पाफुस तक जा पहुँचे। वहाँ उन्हें एक जादूगर मिला, वह झूठा नबी था। उस यहूदी का नाम था बार-यीशु। 7 वह एक अत्यंत बुद्धिमान पुरुष था। वह राज्यपाल सिरगियुस पौलुस का सेवक था जिसने परमेश्वर का वचन फिर सुनने के लिये बरनाबास और शाऊल को बुलाया था। 8 किन्तु इलीमास जादूगर ने उनका विरोध किया। (यह बार-यीशु का अनुवादित नाम है।) उसने नगर-पति के विश्वास को डिगाने का जतन किया। 9 फिर शाऊल ने (जिसे पौलुस भी कहा जाता था,) पवित्र आत्मा से अभिभूत होकर इलीमास पर पैनी दृष्टि डालते हुए कहा, 10 “सभी प्रकार के छलों और धूर्तताओं से भरे, और शैतान के बेटे, तू हर नेकी का शत्रु है। क्या तू प्रभु के सीधे-सच्चे मार्ग को तोड़ना मरोड़ना नहीं छोड़ेगा? 11 अब देख प्रभु का हाथ तुझ पर आ पड़ा है। तू अंधा हो जायेगा और कुछ समय के लिये सूर्य तक को नहीं देख पायेगा।”

तुरन्त एक धुंध और अँधेरा उस पर छा गया और वह इधर-उधर टटोलने लगा कि कोई उसका हाथ पकड़ कर उसे चलाये। 12 सो नगर-पति ने, जो कुछ घटा था, जब उसे देखा तो उसने विश्वास धारण किया। वह प्रभु सम्बन्धी उपदेशों से बहुत चकित हुआ।

समीक्षा

परमेश्वर के उद्देश्य के पीछे जाना

कुछ भी परमेश्वर के उद्देश्य को नहीं रोक सकता है.

हेरोदेस के पास सफलता, प्रसिद्धी, सामर्थ और बहुत संपत्ति थी. लोग पुकार उठे, ’यह तो मनुष्य का नहीं बल्कि परमेश्वर का शब्द है (12:22). किंतु, 'यह अंतिम चीज थी. परमेश्वर ने हेरोदेस के पर्याप्त अक्खड़पन को देख लिया था और उसे मारने के लिए एक स्वर्गदूत को भेजा. हेरोदेस ने किसी भी चीज के लिए परमेश्वर को श्रेय नहीं दिया था. वह नीचे जाता गया. वह कीड़े पड़ कर मर गया' (व.23, एम.एस.जी).

यह परमेश्वर के वचन के विपरीत है, जो कि हेरोदेस के जीवन की तरह खत्म नहीं होती हैः ’लेकिन परमेश्वर का वचन बढ़ता गया और प्रबल होता गया' (व.24).

हम ऐसी ही एक समान स्थिति को देखते हैं, जिसमें विरोध के बावजूद परमेश्वर का उद्देश्य समृद्ध होता है. शाऊल ’जो पौलुस भी कहलाता था, (13:9) और बरनबास टोन्हा करने वाले यीशु नामक व्यक्ति से मिले जो कि ’बहुत चालाक था' (व.7, एम.एस.जी). उसने हाकिम को विश्वास करने से रोकना चाहा.

पौलुस ने 'पवित्र आत्मा से परिपूर्ण होकर उसकी ओर टकटकी लगाकर देखा और कहा' (व.9, एम.एस.जी), ' क्या तू प्रभु के सीधे मार्गो को टेढ़ा करना न छोड़ेगा?' (व.10 एम.एस.जी). बार-यीशु अंधा बना दिया गया था, हाकिम ने ’विश्वास किया, स्वामी के विषय में वे जो बता रहे थे, उसके विषय में जोश से भर गया' (व.12, एम.एस.जी). वास्तव में बार-यीशु ने परमेश्वर के कार्य में अड़चन डालने की कोशिश की थी लेकिन उसे अपनी आशा का उल्टा ही मिला.

आरंभिक कलीसिया दृढ़ संकल्पित थी यह जानने में कि परमेश्वर क्या कर रहे थे और वे इसमें जुड़ गए. परमेश्वर की आराधना करने और उपवास करने के लिए वे इकट्ठा हुए (व.2). जब वे यह कर रहे थे, पवित्र आत्मा ने उनसे कहा, ' मेरे लिये बरनबास और शाऊल को उस काम के लिये अलग करो जिसके लिये मैं ने उन्हें बुलाया है.' तब उन्होंने उपवास और प्रार्थना करके और उन पर हाथ रखकर उन्हें विदा किया (वव.2-3).

बरनबास और पौलुस को ’पवित्र आत्मा ने कार्य पर भेज दिया' (व.4). वे उनके उद्देश्य के पीछे जा रहे थे. उन्होंने ’परमेश्वर के वचन का प्रचार किया' (व.5). वे ’पवित्र आत्मा से भरे हुए थे' (व.9). यहाँ तक कि हाकिम, एक बुद्धिमान मनुष्य (व.7), प्रभु के विषय में पौलुस की शिक्षा से चकित हो गए (व.12).

यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि आप परमेश्वर के मार्गदर्शन और सहायता को खोजने का प्रयास करें –अपनी सेवकाई में और अपने जीवन में. अगर परमेश्वर आपकी ओर हैं तो आप उससे कही अधिक पा सकते हैं, जितना कि आपने खुद की सामर्थ से पाने का कभी सपना देखा होगा.

प्रार्थना

परमेश्वर, कृपया अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा मुझसे बातें करें. यह जानने में मेरी सहायता करे कि आप मुझे क्या करने के लिए बुला रहे हैं. पवित्र आत्मा की सामर्थ के द्वारा मैं परमेश्वर के वचन का प्रचार करना चाहता हूँ और जोश के साथ आपके उद्देश्य के पीछे जाना चाहता हूँ.
जूना करार

1 राजा 3:16-5:18

16 एक दिन दो स्त्रियाँ जो वेश्यायें थीं, सुलैमान के पास आईं। वे राजा के सामने खड़ी हुईं। 17 स्त्रियों में से एक ने कहा, “महाराज, यह स्त्री और मैं एक ही घर में रहते हैं। हम दोनों गर्भवती हुए और अपने बच्चों को जन्म देने ही वाले थे। मैंने अपने बच्चे को जन्म दिया जब यह वहाँ मेरे साथ थी। 18 तीन दिन बाद इस स्त्री ने भी अपने बच्चे को जन्म दिया। हम लोगों के साथ कोई अन्य व्यक्ति घर में नहीं था। केवल हम दोनों ही थे।। 19 एक रात जब यह स्त्री अपने बच्चे के साथ सो रही थी, बच्चा मर गया। 20 अत: रात को जब मैं सोई थी, इसने मेरे पुत्र को मेरे बिस्तर से ले लिया। यह उसे अपने बिस्तर पर ले गई। तब इसने मरे बच्चे को मेरे बिस्तर पर डाल दिया। 21 अगली सुबह मैं जागी और अपने बच्चे को दूध पिलाने वाली थी। किन्तु मैंने देखा कि बच्चा मरा हुआ है। तब मैंने उसे अधिक निकट से देखा। मैंने देखा कि यह मेरा बच्चा नहीं है।”

22 किन्तु दूसरी स्त्री ने कहा, “नहीं! जीवित बच्चा मेरा है। मरा बच्चा तुम्हारा है!”

किन्तु पहली स्त्री ने कहा, “नहीं! तुम गलत हो! मरा बच्चा तुम्हारा है और जीवित बच्चा मेरा है।” इस प्रकार दोनों स्त्रियों ने राजा के सामने बहस की।

23 तब राजा सुलैमान ने कहा, “तुम दोनों कहती हो कि जीवित बच्चा हमारा अपना है और तुम में से हर एक कहती है कि मरा बच्चा दूसरी का है।” 24 तब राजा सुलैमान ने अपने सेवक को तलवार लाने भेजा 25 और राजा सुलैमान ने कहा, “हम यही करेंगे। जीवित बच्चे के दो टुकड़े कर दो। हर एक स्त्री को आधा बच्चा दे दो।”

26 दूसरी स्त्री ने कहा, “यह ठीक है। बच्चे को दो टुकड़ों में काट डालो। तब हम दोनों में से उसे कोई नहीं पाएगा।” किन्तु पहली स्त्री, जो सच्ची माँ थी, अपने बच्चे के लिये प्रेम से भरी थी। उसने राजा से कहा, “कृपया बच्चे को न मारें! इसे उसे ही दे दें।”

27 तब राजा सुलैमान ने कहा, “बच्चे को मत मारो! इसे, पहली स्त्री को दे दो। वही सच्ची माँ है।”

28 इस्राएल के लोगों ने राजा सुलैमान के निर्णय को सुना। उन्होंने उसका बहुत आदर और सम्मान किया क्योंकि वह बुद्धिमान था। उन्होंने देखा कि ठीक न्याय करने में उसके पास परमेश्वर की बुद्धि थी।

4राजा सुलैमान इस्राएल के सभी लोगों पर शासन करता था। 2 ये प्रमुख अधिकारियों के नाम हैं जो शासन करने में उसकी सहायता करते थे:

सादोक का पुत्र अजर्याह याजक था।

3 शीशा के पुत्र एलीहोरेप और अहिय्याह उस विवरण को लिखने का कार्य करते थे जो न्यायालय में होता था।

अहीलूद का पुत्र यहोशापात, यहोशापात लोगों के इतिहास का विवरण लिखता था।

4 यहोयादा का पुत्र बनायाह सेनापति था,

सादोक और एब्यातार याजक थे।

5 नातान का पुत्र अजर्याह जनपद—प्रशासकों का अधीक्षक था।

नातान का पुत्र जाबूद याजक और राजा सुलैमान का एक सलाहकार था।

6 अहीशार राजा के घर की हर एक चीज़ का उत्तरदायी था।

अब्दा का पुत्र अदोनीराम दासों का अधीक्षक था।

7 इस्राएल बारह क्षेत्रों में बँटा था जिन्हें जनपद कहते थे। सुलैमान हर जनपद पर शासन करने के लिये प्रशासकों को चुनता था। इन प्रशासकों को आदेश था कि वे अपने जनपद से भोजन सामग्री इकट्ठा करें और उसे राजा और उसके परिवार को दें। हर वर्ष एक महीने की भोजन सामग्री राजा को देने का उत्तरदायित्व बारह प्रशासकों में से हर एक का था। 8 बारह प्रशासकों के नाम ये हैं:

बेन्हूर, एप्रैम के पर्वतीय प्रदेश का प्रशासक था।

9 बेन्देकेर, माकस, शाल्बीम, बेतशेमेश और एलोनबेथानान का प्रशासक था।

10 बेन्हेसेद, अरुब्बोत, सौको और हेपेर का प्रशासक था।

11 बेनबीनादाब, नपोत दोर का प्रशासक था। उसका विवाह सुलैमान की पुत्री तापत से हुआ था।

12 अहीलूद का पुत्र बाना, तानाक, मगिद्दो से लेकर और सारतान से लगे पूरे बेतशान का प्रशासक था। यह यिज्रेल के नीचे, बेतशान से लेकर आबेलमहोला तक योकमाम के पार था।

13 बेनगेबेर, रामोत गिलाद का प्रशासक था वह गिलाद में मनश्शे के पुत्र याईर के सारे नगरों और गाँवों का भी प्रशासक था। वह बाशान में अर्गोब के जनपद का भी प्रशासक था। इस क्षेत्र में ऊँची चहारदीवारी वाले साठ नगर थे। इन नगरों के फाटकों में काँसे की छड़ें भी लगी थीं।

14 इद्दो का पुत्र अहीनादाब, महनैम का प्रशासक था।

15 अहीमास, नप्ताली का प्रशासक था। उसका विवाह सुलैमान की पुत्री बासमत से हुआ था।

16 हूशै का पुत्र बाना, आशेर और आलोत का प्रशासक था।

17 पारूह का पुत्र यहोशापात, इस्साकार का प्रशासक था।

18 एला का पुत्र शिमी, बिन्यामीन का प्रशासक था।

19 ऊरी का पुत्र गेबेर गिलाद का प्रशासक था। गिलाद वह प्रदेश था जहाँ एमोरी लोगों का राजा सीहोन और बाशान का राजा ओग रहते थे। किन्तु केवल गेबेर ही उस जनपद का प्रशासक था।

20 यहूदा और इस्राएल में बहुत बड़ी संख्या में लोग रहते थे। लोगों की संख्या समुद्र तट के बालू के कणों जितनी थी। लोग सुखमय जीवन बिताते थेः वे खाते पीते और आनन्दित रहते थे।

21 सुलैमान परात नदी से लेकर पलिश्ती लोगों के प्रदेश तक सभी राज्यों पर शासन करता था। उसका राज्य मिस्र की सीमा तक फैला था। ये देश सुलैमान को भेंट भेजते थे और उसके पूरे जीवन तक उसकी आज्ञा का पालन करते रहे।

22-23 यह भोजन सामग्री है जिसकी आवश्यकता प्रतिदिन सुलैमान को स्वयं और उसकी मेज पर सभी भोजन करने वालों के लिये होती थी: डेढ़ सौ बुशल महीन आटा, तीन सौ बुशल आटा, अच्छा अन्न खाने वाली दस बैल, मैदानों में पाले गये बीस बैल और सौ भेड़ें, तीन भिन्न प्रकार के हिरन और विशेष पक्षी भी।

24 सुलैमान परात नदी के पश्चिम के सभी देशों पर शासन करता था। यह प्रदेश तिप्सह से अज्जा तक था और सुलैमान के राज्य के चारों ओर शान्ति थी। 25 सुलैमान के जीवन काल में इस्राएल और यहूदा के सभी लोग लगातार दान से लेकर बेर्शेबा तक शान्ति और सुरक्षा में रहते थे। लोग शान्तिपूर्वक अपने अंजीर के पेड़ों और अंगूर की बेलों के नीचे बैठते थे।

26 सुलैमान के पास उसके रथों के लिये चार हजार घोड़ों के रखने के स्थान और उसके पास बारह हजार घुड़सवार थे। 27 प्रत्येक महीने बारह जनपद शासकों में से एक सुलैमान को वे सब चीज़ें देता था जिसकी उसे आवश्यकता पड़ती थी। यह राजा के मेज पर खाने वाले हर एक व्यक्ति के लिये पर्याप्त होता था। 28 जनपद प्रशासक राजा को रथों के घोड़ों और सवारी के घोड़ों के लिये पर्याप्त चारा और जौ भी देते थे। हर एक व्यक्ति इस अन्न को निश्चित स्थान पर लाता था।

29 परमेश्वर ने सुलैमान को उत्तम बुद्धि दी। सुलैमान अनेकों बातें समझ सकता था। उसकी बुद्धि कल्पना के परे तीव्र थी। 30 सुलैमान की बुद्धि पूर्व के सभी व्यक्तियों की बुद्धि से अधिक तीव्र थी और उसकी बुद्धि मिस्र में रहने वाले सभी व्यक्तियों की बुद्धि से अधिक तीव्र थी। 31 वह पृथ्वी के किसी भी व्यक्ति से अधिक बुद्धिमान था। वह एज्रेही एतान से भी अधिक बुद्धिमान था। वह हेमान, कलकोल तथा दर्दा से अधिक बुद्धिमान था। ये माहोल के पुत्र थे। राजा सुलैमान इस्राएल और यहूदा के चारों ओर के सभी देशों में प्रसिद्ध हो गया। 32 अपने जीवन काल में राजा सुलैमान ने तीन हजार बुद्धिमत्तापूर्ण उपदेश लिखे। उसने पन्द्रह सौ गीत भी लिखे।

33 सुलैमान प्रकृति के बारे में भी बहुत कुछ जानता था। सुलैमान ने लबानोन के विशाल देवदारु वृक्षों से लेकर दीवारों में उगने वाली जूफा के विभिन्न प्रकार के पेड़े—पौधों में से हर एक के विषय में शिक्षा दी। राजा सुलैमान ने जानवरों, पक्षियों और रेंगने वाले जन्तुओं और मछलियों की चर्चा की है। 34 सुलैमान की बुद्धिमत्तापूर्ण बातों को सुनने के लिये सभी राष्ट्रों से लोग आते थे। सभी राष्ट्रों के राजा अपने बुद्धिमान व्यक्तियों को राजा सुलैमान की बातों को सुनने के लिये भेजते थे।

सुलैमान मन्दिर बनाता है

5हीराम सोर का राजा था। हीराम सदैव दाऊद का मित्र रहा। अतः जब हीराम को मालूम हुआ कि सुलैमान दाऊद के बाद नया राजा हुआ है तो उसने सुलैमान के पास अपने सेवक भेजे। 2 सुलैमान ने हीराम राजा से जो कहा, वह यह है:

3 “तुम्हें याद है कि मेरे पिता राजा दाऊद को अपने चारों ओर अनेक युद्ध लड़ने पड़े थे। अत: वह यहोवा अपने परमेश्वर का मन्दिर बनवाने में समर्थ न हो सका। राजा दाऊद तब तक प्रतीक्षा करता रहा जब तक यहोवा ने उसके सभी शत्रुओं को उससे पराजित नहीं हो जाने दिया। 4 किन्तु अब यहोवा मेरे परमेश्वर ने मेरे देश के चारों ओर मुझे शान्ति दी है। अब मेरा कोई शत्रु नहीं है। मेरी प्रजा अब किसी खतरे में नहीं है।

5 “यहोवा ने मेरे पिता दाऊद के साथ एक प्रतिज्ञा की थी। यहोवा ने कहा था, ‘मैं तुम्हारे पुत्र को तुम्हारे बाद राजा बनाऊँगा और तुम्हारा पुत्र मेरा सम्मान करने के लिये एक मन्दिर बनाएगा।’ अब मैंने, यहोवा अपने परमेश्वर का सम्मान करने के लिये वह मन्दिर बनाने की योजना बनाई है 6 और इसलिये मैं तुमसे सहायता माँगता हूँ। अपने व्यक्तियों को लबानोन भेजो। वहाँ वे मेरे लिये देवदारू के वृक्षों को काटेंगे। मेरे सेवक तुम्हारे सेवकों के साथ काम करेंगे। मैं वह कोई भी मजदूरी भुगतान करूँगा जो तुम अपने सेवकों के लिये तय करोगे। किन्तु मुझे तुम्हारी सहायता की आवश्यकता है। मेरे बढ़ई सीदोन के बढ़ईयों की तरह अच्छे नहीं हैं।”

7 जब हीराम ने, जो कुछ सुलैमान ने माँगा, वह सुना तो वह बहुत प्रसन्न हुआ। राजा हीराम ने कहा, “आज मैं यहोवा को धन्यवाद देता हूँ कि उसने दाऊद को इस विशाल राष्ट्र का शासक एक बुद्धिमान पुत्र दिया है।” 8 तब हीराम ने सुलैमान को एक संदेश भेजा। संदेश यह था,

“तुमने जो माँग की है, वह मैंने सुनी है। मैं तुमको सारे देवदारु के पेड़ और चीड़ के पेड़ दूँगा, जिन्हें तुम चाहते हो। 9 मेरे सेवक लबानोन से उन्हें समुद्र तक लाएंगे। तब मैं उन्हें एक साथ बाँध दूँगा और उन्हें समुद्र तट से उस स्थान की ओर बहा दूँगा जहाँ तुम चाहते हो। वहाँ मैं लट्ठों को अलग कर दूँगा और पेड़ों को तुम ले सकोगे।”

10-11 सुलैमान ने हीराम को लगभग एक लाख बीस हजार बुशल गेहूँ और लगभग एक लाख बीस हजार गैलन शुद्ध जैतून का तेल प्रति वर्ष उसके परिवार के भोजन के लिये दिया।

12 यहोवा ने अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार सुलैमान को बुद्धि दी और सुलैमान और हीराम के मध्य शान्ति रही। इन दोनों राजाओं ने आपस में एक सन्धि की।

13 राजा सुलैमान ने इस काम में सहायता के लिये इस्राएल के तीस हजार व्यक्तियों को विवश किया। 14 राज सुलैमान ने अदोनीराम नामक एक व्यक्ति को उनके ऊपर अधिकारी बनाया। सुलैमान ने उन व्यक्तियों को तीन टुकड़ियों में बाँटा। हर एक टुकड़ी में दस हजार व्यक्ति थे। हर समूह एक महीने लबानोन में काम करता था और तब दो महीने के लिये अपने घर लौटता था। 15 सुलैमान ने अस्सी हजार व्यक्तियों को भी पहाड़ी प्रदेश में काम करने के लिये विवश किया। इन मनुष्यों का काम चट्टानों को काटना था और वहाँ सत्तर हजार व्यक्ति पत्थरों को ढोने वाले थे 16 और तीन हजार तीन सौ व्यक्ति थे जो काम करने वाले व्यक्तियों के ऊपर अधिकारी थे। 17 राजा सुलैमान ने, मन्दिर की नींव के लिये विशाल और कीमती चट्टानों को काटने का आदेश दिया। ये पत्थर सावधानी से काटे गये। 18 तब सुलैमान के कारीगरों और हीराम के कारीगरों तथा गबाली के व्यक्तियों ने पत्थरों पर नक्काशी का काम किया। उन्होंने मन्दिर को बनाने के लिये पत्थरों और लट्ठों को तैयार किया।

समीक्षा

परमेश्वर के उद्देश्य के पीछे जाओ

सुलैमान एक विशेष तरीके से परमेश्वर के उद्देश्य को पूरा करने के लिए बुलाए गए थे.

दाऊद ने अपने युग में परमेश्वर के उद्देश्य को पूरा किया (प्रेरितों के कार्य 13:36). किंतु, उन्हें मंदिर बनाने की अनुमति नहीं थी. परमेश्वर ने उस बुलाहट को सुलैमान को दियाः ’तेरा पुत्र जिसे मैं तेरे स्थान में गद्दी पर बैठाऊँगा, वही मेरे नाम का भवन बनवाएगा' (1राजाओं 5:5).

अपनी बुलाहट को पूरा करने के लिए सुलैमान को महान बुद्धि की आवश्यकता थी. उसने बुद्धि के लिए प्रार्थना की थी. उसके माँगने से कही अधिक या कल्पना से कही अधिक परमेश्वर ने उनकी प्रार्थना का उत्तर दिया. परमेश्वर आपको वही बुद्धि देने का वायदा करते हैं, यदि आप इसे मांगते हैं (यदि तुम में से किसी को बुध्दि की घटी हो तो परमेश्वर से माँगे, जो बिना उलाहना दिए सब को उदारता से देता है, और उसको दी जाएगी), याकूब 1:5). इन सभी क्षेत्रों में बुद्धि को माँगेः

  1. निर्णय लेने में बुद्धि ’न्याय' करने के लिए परमेश्वर ने उसे बुद्धि दी (1राजाओं 3:28). जब असंभव कार्य दिया गया कि निर्णय लें कि कौन सी माँ का यह बच्चा है, तब वह एक महान विचार को प्रकट करते हैं.

जिंदा बच्चे की मृत्यु का डर काफी है यह बताने के लिए कि असली माँ कौन हैः’जो न्याय राजा ने चुकाया था, उसका समाचार समस्त इस्राएल को मिला, और उन्होंने राजा का भय माना, क्योंकि उन्होंने यह देखा, कि उसके मन में न्याय करने के लिये परमेश्वर की बुद्धि है' (व.28).

  1. एक समूह का चुनाव करने में बुद्धि

सुलैमान ने अपनी सरकार के लिए एक लीडरशिप समूह इकट्ठा किया. इसमें याजक, मैनेजर, मित्र, सेक्रटरी, इतिहासकार और उनकी सेना के सेनापति शामिल थे. वे सब मिलाकर ग्यारह थे, बारह लोगों का समूह. यीशु के मुख्य समूह का यही आकार है (बारह चेले). यह लीडरशिप समूह के लिए सही आकार लगता है.

  1. कार्य सौंपने में बुद्धि

इसके अतिरिक्त, सुलैमान के पास पूरे इस्राएल में बारह प्रदेशों के मैनेजर्स का दूसरा समूह था. इसमें उनके दो दामाद थे (4:11,15). कार्य को सौंपना पूरी तरह से ऊर्जा समाप्ति को रोकने और एक लीडरशिप भूमिका को पूरा करने की मुख्य पूंजी है.

  1. शांती रखने में बुद्धि

उनके लीडरशिप के अंतर्गत इतनी वृद्धि आयी कि लोगों की ’जनसंख्या बहुत बढ़ गई' (व.20अ, एम.एस.जी.). फिर भी, 'उनकी सभी जरुरतें पूरी होती थी; वे खाते-पीते और आनंद करते थे' (व.20ब, एम.एस.जी) और ’वे चारों ओर से शांती में थे...(वे) सुरक्षा में जी रहे थे' (वव.24-25).

  1. अंतर्ज्ञान और भेद करने में बुद्धि

’परमेश्वर ने सुलैमान को बुद्धि दी, और उसकी समझ बहुत ही बढ़ाई, और उसके हृदय में समुद्र तट की बालू के किनको के तुल्य अनगिनत गुण दिए' (व.29)...उनका यश फैलता गया (व.31)...उन्होंने तीन हजार नीतिवचन कहे और उनके एक हजार पाँच गीत थे (व.32). भजनसंहिता 72 और 127, नीतिवचन 10:1-22:16; 24:1-29:27 उनको समर्पित है. सभी देशों से लोग उनकी बुद्धि को सुनने के लिए आते थे (1राजाओं 4:34).

सुलैमान के पास यह जानने की बुद्धि थी कि कब उन लोगों से सहायता को स्वीकार करना है जो लोग परमेश्वर के लोग नहीं थे (अध्याय 5). ’यहोवा ने सुलैमान को अपने वचन के अनुसार बुद्धि दी' (5:12).

परमेश्वर के उद्देश्य को पूरा करने में बुद्धि

परमेश्वर के नाम का सम्मान करने के लिए सुलैमान के पास मंदिर बनाने का एक दर्शन था (वव.4-5). एक तरीका जिससे आप आज परमेश्वर के उद्देश्य के पीछे जा सकते है, वह चर्च (नये मंदिर) को बनता देखने का प्रयास करना ताकि परमेश्वर के नाम को महिमा मिले.

प्रार्थना

परमेश्वर, कृपया हमें बुद्धि दें ताकि हम अपनी बुलाहट को पूरा कर पायें. हमारी सहायता करें कि हम आपके नाम का सम्मान करें और पृथ्वी पर यीशु के उद्देश्य को आगे ले जाएँ.

पिप्पा भी कहते है

1राजा 4:24-25

’वह महानदी के इस पार के समस्त देश पर अर्थात् तिप्सह से लेकर अज्जा तक जितने राजा थे, उन सभी पर सुलैमान प्रभुता करता, और अपने चारों ओर के सब रहने वालों से मेल रखता था. दान से बेर्शेबा तक के सब यहूदी और इस्राएली अपनी अपनी दाखलता और अंजीर के वृक्ष तले सुलैमान के जीवन भर निडर से रहते थे.'

यह अवश्य ही इस्राएल में और यहूदा के इतिहास में ऐसा समय था जब पूरे देश में शांती और सुरक्षा थी. बुद्धिमान प्रशासन सच में एक देश को बदल सकता है. विश्व भर में बहुत से देशों में शांती और सुरक्षा की आवश्यकता है. हमें बुद्धिमान लीडर्स के लिए निरंतर प्रार्थना करने की आवश्यकता है.

दिन का वचन

भजन संहिता – 74:18-20

"हे यहोवा स्मरण कर, कि शत्रु ने नामधराई की है, और मूढ़ लोगों ने तेरे नाम की निन्दा की है। अपनी पिण्डुकी के प्राण को वनपशु के वश में न कर; अपने दीन जनों को सदा के लिये न भूल अपनी वाचा की सुधि ले; क्योंकि देश के अन्धेरे स्थान अत्याचार के घरों से भरपूर हैं।"

reader

App

Download the Bible in One Year app for iOS or Android devices and read along each day.

reader

Email

Sign up now to receive Bible in One Year in your inbox each morning. You’ll get one email each day.

Podcast

Subscribe and listen to Bible in One Year delivered to your favourite podcast app everyday.

reader

Website

Start reading today’s devotion right here on the BiOY website.

संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

Bible in One Year

  • Bible in One Year

This website stores data such as cookies to enable necessary site functionality and analytics. Find out more