दिन 156

जीत की तरफ

बुद्धि नीतिवचन 14:5-14
नए करार प्रेरितों के काम 2:22-47
जूना करार 2 शमूएल 7:1-8:18

परिचय

खेल में सबसे बड़ी विजय के रूप में इसे शाबाशी दी गई. लेन्सिस्टर शहर ने सीजन की शुरूवात 5000:1 आउटसाइडर्स के रूप में की और इसका अंत इंग्लैंड के प्रीमियर लीग के विजेता के रूप में हुआ. जितने भी लोग विजय की तरफ थे उनमें खुशियाँ और चिल्लाना और आनंद मनाना छा गया.

निश्चित ही यह एक मामूली सा उदाहरण है. जीत जो कि आज के लेखांश का केंद्र है यह पूरी तरह से अलग और महत्व का है. बल्कि सबसे छोटी और सबसे महत्वपूर्ण जीत भी हमें इसके अर्थ और आनंद का अनुभव प्रदान करती है.

परमेश्वर की महान विजय जिसे हम नये नियम में पढ़ते हैं इसका पूर्वाभास पुराने नियम में है. परमेश्वर की सर्वश्रेष्ठ विजय यीशु के जीवन, मृत्यु, पुनरूत्थान और स्वर्गारोहण तथा पवित्र आत्मा के उंडेले जाने से मिली है.

बुद्धि

नीतिवचन 14:5-14

5 एक सच्चा साक्षी कभी नहीं छलता है
 किन्तु झूठा गवाह, झूठ उगलता रहता है।

6 उच्छृंखल बुद्धि को खोजता रहता है फिर भी नहीं पाता है; किन्तु भले—
 बुरे का बोध जिसको रहता है, उसके पास ज्ञान सहज में ही आता है।

7 मूर्ख की संगत से दूरी बनाये रख,
 क्योंकि उसकी वाणी में तू ज्ञान नहीं पायेगा।

8 ज्ञानी जनों का ज्ञान इसी में है, कि वे अपनी राहों का चिंतन करें,
 मूर्खता मूर्ख की छल में बसती है।

9 पाप के विचारों पर मूर्ख लोग हँसते हैं,
 किन्तु सज्जनों में सद्भाव बना रहता है।

10 हर मन अपनी निजी पीड़ा को जानता है,
 और उसका दुःख कोई नहीं बाँट पाता है।

11 दुष्ट के भवन को ढहा दिया जायेगा,
 किन्तु सज्जन का डेरा फूलेगा फलेगा।

12 ऐसी भी राह होती है जो मनुष्य को उचित जान पड़ती है;
 किन्तु परिणाम में वह मृत्यु को ले जाती।

13 हँसते हुए भी मन रोता रह सकता है,
 और आनन्द दुःख में बदल सकता है।

14 विश्वासहीन को, अपने कुमार्गो का फल भुगतना पड़ेगा;
 और सज्जन सुमार्गो का प्रतिफल पायेगा।

समीक्षा

भलाई की जीत

नीतिवचन की पुस्तक में 'मूर्ख' का मतलब कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके पास बुद्धि की कमी है. बल्कि इसका मतलब विद्रोही है (खासकर के परमेश्वर के विरूद्ध और न्याय तथा शालीनता के विरूद्ध): 'ठट्ठा करने वाले..... मूर्ख... दुष्ट..... अविश्वासयोग्य' (वव.6,7,9,11,14) व्यक्ति को अंत में मृत्यु ही मिलती है (वव. 11-14). उनके मार्ग का अंत मृत्यु है.

दूसरी तरफ, नीतिवचन की पुस्तक सत्यनिष्ठ और पवित्रता की शिक्षा से भरी हुई है. यहाँ हम 'सच्ची साक्षी...... खरापन...... और भले व्यक्ति' के बारे में पढ़ते हैं.

' ऐसा मार्ग है, जो मनुष्य को ठीक देख पड़ता है, परन्तु उसके अन्त में मृत्यु ही मिलती है, वह अपनी चाल चलन का फल भोगता है, परन्तु भला मनुष्य आप ही आप सन्तुष्ट होता है' (वव.11-14). दूसरे शब्दों में, अंत में वे विजयी होंगे: ' परन्तु सीधे लोगों के बीच अनुग्रह होता है' (व.9ब).

प्रार्थना

प्रभु, हर तरह से विश्वासयोग्य बने रहने और उन भले कामों को करने में अपनी पवित्र आत्मा की सामर्थ से मेरी मदद कीजिये, जो आपने मेरे लिए तैयार रखे हैं.
नए करार

प्रेरितों के काम 2:22-47

22 “हे इस्राएल के लोगों, इन वचनों को सुनो: नासरी यीशु एक ऐसा पुरुष था जिसे परमेश्वर ने तुम्हारे सामने अद्भुत कर्मों, आश्चर्यों और चिन्हों समेत जिन्हें परमेश्वर ने उसके द्वारा किया था तुम्हारे बीच प्रकट किया। जैसा कि तुम स्वयं जानते ही हो। 23 इस पुरूष को परमेश्वर की निश्चित योजना और निश्चित पूर्व ज्ञान के अनुसार तुम्हारे हवाले कर दिया गया, और तुमने नीच मनुष्यों की सहायता से उसे क्रूस पर चढ़ाया और कीलें ठुकवा कर मार डाला। 24 किन्तु परमेश्वर ने उसे मृत्यु की वेदना से मुक्त करते हुए फिर से जिला दिया। क्योंकि उसके लिये यह सम्भव ही नहीं था कि मृत्यु उसे अपने वश में रख पाती। 25 जैसा कि दाऊद ने उसके विषय में कहा है:

 ‘मैंने प्रभु को सदा ही अपने सामने देखा है।
 वह मेरी दाहिनी ओर विराजता है, ताकि मैं डिग न जाऊँ।
26 इससे मेरा हृदय प्रसन्न है
 और मेरी वाणी हर्षित है;
 मेरी देह भी आशा में जियेगी,
27 क्योंकि तू मेरी आत्मा को अधोलोक में नहीं छोड़ देगा।
 तू अपने पवित्र जन को क्षय की अनुभूति नहीं होने देगा।
28 तूने मुझे जीवन की राह का ज्ञान कराया है।
 अपनी उपस्थिति से तू मुझे आनन्द से पूर्ण कर देगा।’

29 “हे मेरे भाईयों। मैं विश्वास के साथ आदि पुरूष दाऊद के बारे में तुमसे कह सकता हूँ कि उसकी मृत्यु हो गयी और उसे दफ़ना दिया गया। और उसकी कब्र हमारे यहाँ आज तक मौजूद है। 30 किन्तु क्योंकि वह एक नबी था और जानता था कि परमेश्वर ने शपथपूर्वक उसे वचन दिया है कि वह उसके वंश में से किसी एक को उसके सिंहासन पर बैठायेगा। 31 इसलिये आगे जो घटने वाला है, उसे देखते हुए उसने जब यह कहा था: ‘उसे अधोलोक में नहीं छोड़ा गया और न ही उसकी देह ने सड़ने गलने का अनुभव किया।’ तो उसने मसीह की फिर से जी उठने के बारे में ही कहा था। 32 इसी यीशु को परमेश्वर ने पुनर्जीवित कर दिया। इस तथ्य के हम सब साक्षी हैं। 33 परमेश्वर के दाहिने हाथ सब से ऊँचा पद पाकर यीशु ने परम पिता से प्रतिज्ञा के अनुसार पवित्र आत्मा प्राप्त की और फिर उसने इस आत्मा को उँड़ेल दिया जिसे अब तुम देख रहे हो और सुन रहे हो। 34 दाऊद क्योंकि स्वर्ग में नहीं गया सो वह स्वयं कहता है:

  ‘प्रभु परमेश्वर ने मेरे प्रभु से कहा:
  मेरे दाहिने बैठ,
  35 जब तक मैं तेरे शत्रुओं को तेरे चरणों
  तले पैर रखने की चौकी की तरह न कर दूँ।’

36 “इसलिये समूचा इस्राएल निश्चयपूर्वक जान ले कि परमेश्वर ने इस यीशु को जिसे तुमने क्रूस पर चढ़ा दिया था प्रभु और मसीह दोनों ही ठहराया था!”

37 लोगों ने जब यह सुना तो वे व्याकुल हो उठे और पतरस तथा अन्य प्रेरितों से कहा, “तो बंधुओ, हमें क्या करना चाहिये?”

38 पतरस ने उनसे कहा, “मन फिराओ और अपने पापों की क्षमा पाने के लिये तुममें से हर एक को यीशु मसीह के नाम से बपतिस्मा लेना चाहिये। फिर तुम पवित्र आत्मा का उपहार पा जाओगे। 39 क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम्हारे लिये, तुम्हारी संतानों के लिए और उन सबके लिये है जो बहुत दूर स्थित हैं। यह प्रतिज्ञा उन सबके लिए है जिन्हें हमारा प्रभु परमेश्वर को अपने पास बुलाता है।”

40 और बहुत से वचनों द्वारा उसने उन्हें चेतावनी दी और आग्रह के साथ उनसे कहा, “इस कुटिल पीढ़ी से अपने आपको बचाये रखो।” 41 सो जिन्होंने उसके संदेश को ग्रहण किया, उन्हें बपतिस्मा दिया गया। इस प्रकार उस दिन उनके समूह में कोई तीन हज़ार व्यक्ति और जुड़ गये।

विश्वासियों का साझा जीवन

42 उन्होंने प्रेरितों के उपदेश, संगत, रोटी के तोड़ने और प्रार्थनाओं के प्रति अपने को समर्पित कर दिया। 43 हर व्यक्ति पर भय मिश्रित विस्मय का भाव छाया रहा और प्रेरितों द्वारा आश्चर्य कर्म और चिन्ह प्रकट किये जाते रहे। 44 सभी विश्वासी एक साथ रहते थे और उनके पास जो कुछ था, उसे वे सब आपस में बाँट लेते थे। 45 उन्होंने अपनी सभी वस्तुएँ और सम्पत्ति बेच डाली और जिस किसी को आवश्यकता थी, उन सब में उसे बाँट दिया। 46 मन्दिर में एक समूह के रूप में वे हर दिन मिलते-जुलते रहे। वे अपने घरों में रोटी को विभाजित करते और उदार मन से आनन्द के साथ, मिल-जुलकर खाते। 47 सभी लोगों की सद्भावनाओं का आनन्द लेते हुए वे प्रभु की स्तुति करते, और प्रतिदिन परमेश्वर, जिन्हें उद्धार मिल जाता, उन्हें उनके दल में और जोड़ देता।

समीक्षा

यीशु की जीत

कलीसिया उत्सव मनाने, प्रफुल्लित होने और आनंद मनाने का स्थान होना चाहिये (व.46, एमएसजी). हम दुनिया में सबसे सकारात्मक लोग होने चाहिये – लगातार यीशु और परमेश्वर की विजय का उत्सव मनाते हुए.

पेंताकुस के दिन पतरस पवित्र आत्मा से भरकर यीशु की महान विजय को समझाता है. वह उनके जीवन, उनकी सेविकाई, मृत्यु और विशेष रूप से उनके पुनरूत्थान के बारे में बताता है. वह चार कारण बताता है कि आप क्यों निश्चित हो सकते हैं कि यीशु मरे हुओं में से जी उठे थे और इसलिए आप सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप भी उनके साथ जी उठेंगे:

  1. तर्कसंगत

शैतान की सामर्थ संभवत: परमेश्वर के मसीह में जीवन की सामर्थ से ज्यादा नहीं हो सकती. पतरस समझाते हैं, 'परन्तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया: क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता था' (व.24).

  1. बाइबल आधारित

वह बताते हैं कि भजन संहिता 16:8-11 में यीशु के पुनरूत्थान की भविष्यवाणी की गई थी (प्रेरितों के कार्य 2:25-28). पतरस कहते हैं कि, '\[दाऊद\] भविष्यद्वक्ता होकर और यह जानकर कि परमेश्वर ने मुझ से शपथ खाई है, कि मैं तेरे वंश में से एक व्यक्ति को तेरे सिंहासन पर बैठाऊंगा। उस ने होनहार को पहले ही से देखकर मसीह के जी उठने के विषय में भविष्यद्वाणी की कि न तो उसका प्राण अधोलोक में छोड़ा गया, और न उस की देह सड़ने पाई' (वव.30-31).

  1. व्यक्तिगत

पतसर खुद की गवाही देता है: 'इसी यीशु को परमेश्वर ने जिलाया, जिस के हम सब गवाह हैं' (व.32). पतरस कहता है, 'हम सबने उन्हें देखा है.'

  1. प्रायोगिक

पवित्र आत्मा का अनुभव स्वयं अपने आप में पुनरूत्थान का सबूत है. यीशु के जीने, मरने, पुनरूत्थानित होने और स्वार्गारोहण के बाद ही उनकी उद्धार की सेविकाई में अंतिम कार्य पूरा हुआ है: 'इस प्रकार परमेश्वर के दाहिने हाथ से सर्वोच्च पद पाकर, और पिता से वह पवित्र आत्मा प्राप्त करके जिस की प्रतिज्ञा की गई थी, उस ने यह उंडेल दिया है जो तुम देखते और सुनते हो' (व.33).

यह अनुभव उन लोगों तक सीमित नहीं था जो पेंताकुस के दिन वहाँ पर उपस्थित थे. यह हरएक मसीही के लिए है. यह आपके लिए है. ' यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी सन्तानों, और उन सब दूर दूर के लोगों के लिये भी है जिन को प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा' (व.39). जब भी कोई पवित्र आत्मा का अनुभव पाता है यह पुनरूत्थान का एक और सबूत बन जाता है. जितनी बार आप किसी को पवित्र आत्मा से भरा हुआ देखते हैं या उनकी गवाही सुनते हैं कि किस प्रकार पवित्र आत्मा ने उनके जीवन को बदल दिया है, तो यह यीशु के पुनरूत्थान का एक और सबूत बन जाता है.

पवित्र आत्मा हमें पतरस के शब्दों की सच्चाई पर यकीन करने में मदद करते हैं: ' जिसे तुम ने क्रूस पर चढ़ाया' (व.36). यीशु मेरे पापों के लिए मरे. मैंने यीशु को मारा. मेरे व्यक्तिगत पाप क्रूस पर थे. जिस दिन मैंने यह जाना, उस दिन से मेरा 'हृदय भी छिद गया' (व.37). यह प्रकाशन सच्चे पश्चाताप की ओर ले जाता है.

जिस तरह से आप प्रतिज्ञा प्राप्त करते हैं, वह मन फिराना, यीशु में विश्वास करना, बपतिस्मा लेना और पवित्र आत्मा का वरदान प्राप्त करना है (वव. 37-38). आपको पवित्र आत्मा मिला है इसका सबूत जीवन में आए बदलाव और समाज में आए बदलाव को देखने पर मिलेगा (वव.42-47). कलीसिया केवल उत्सव मनाने, प्रफुल्लित होने और आनंद मनाने का स्थान ही नहीं है बल्कि यह प्रेम का उत्कृष्ट स्थान भी होना चाहिये.

  1. परमेश्वर के लिए प्रेम

कलीसिया परमेश्वर के प्रति प्रेम से भरी होनी चाहिये. उन्हें पवित्र शास्त्र से नया प्रेम हो गया था – ' वे प्रेरितों से शिक्षा पाने, और संगति रखने में लौलीन रहे' (व.42). इनमें से ज्यादातर शिक्षा नये नियम में शामिल की गई है.

विलक्षण बातों के लिए उनका नया प्रेम था – 'वे रोटी तोड़ने में लौलीन रहे' (व.42). 'वे घर घर रोटी तोड़ते हुए आनन्द और मन की सीधाई से भोजन किया करते थे' (व.46).

प्रार्थना के लिए उनका नया प्रेम था. उन्हें साथ मिलकर रहने की इच्छा होती थी – 'वे संगति रखने और प्रार्थना करने में लौलीन रहे' (व.42). पवित्र आत्मा से भरी कलीसिया, प्रार्थना करने वाली कलीसिया होगी.

  1. एक दूसरे के प्रति प्रेम

कलीसिया को एक दूसरे के प्रति प्रेम दर्शाना चाहिये. उन्हें एक दूसरे के साथ मिलने जुलने में नया प्रेम था – 'वे संगति रखने में और रोटी तोड़ने में लौलीन रहे' (व.42). वे एक दूसरे के साथ मिलकर भोजन किया करते थे' (व.46). ' वे सब इकट्ठे रहते थे, और उन की सब वस्तुएं साझे की थीं. और वे अपनी अपनी सम्पत्ति और सामान बेच बेचकर जैसी जिस की आवश्यकता होती थी बांट दिया करते थे' (वव.44-45).

पवित्र आत्मा से भरी कलीसिया, एक संगठित कलीसिया होगी.

  1. दुनिया के लिए प्रेम

कलीसिया में दुनिया के लिए प्यार भरा होना चाहिये. सब लोगों पर भय छा गया, और बहुत से अद्भुत काम और चिन्ह प्रेरितों के द्वारा प्रकट होते थे (व.43). 'और जो उद्धार पाते थे, उन को प्रभु प्रतिदिन उन में मिला देता था' (व.47). पवित्र आत्मा से भरी कलीसिया अद्भुत काम और चिन्ह दिखाने वाली कलीसिया होगी.

प्रार्थना

प्रभु, पाप पर यीशु की महान विजय और उनके बलिदान होने के लिए आपको धन्यवाद. कृपया आज मुझे फिर से अपनी पवित्र आत्मा से भर दीजिये.
जूना करार

2 शमूएल 7:1-8:18

दाऊद एक उपासना गृह बनाना चाहता है

7जब राजा दाऊद अपने नये घर गया। यहोवा ने उसके चारों ओर के शत्रुओं से उसे शान्ति दी। 2 राजा दाऊद ने नातान नबी से कहा, “देखो, मैं देवदारू की लकड़ी से बने महल में रह रहा हूँ। किन्तु परमेश्वर का पवित्र सन्दूक अब भी तम्बू में रखा हुआ है।”

3 नातान ने राजा दाऊद से कहा, “जाओ, और जो कुछ तुम करना चाहते हो, करो। यहोवा तुम्हारे साथ होगा।”

4 किन्तु उसी रात नातान को यहोवा का सन्देश मिला। 5 यहोवा ने कहा,

“जाओ, और मेरे सेवक दाऊद से कहो, ‘यहोवा यह कहता है: तुम वह व्यक्ति नहीं हो जो मेरे रहने के लिये एक गृह बनाये। 6 मैं उस समय गृह में नहीं रहता था जब मैं इस्राएलियों को मिस्र से बाहर लाया। नहीं, मैं उस समय से चारों ओर तम्बू में यात्रा करता रहा। 7 मैंने इस्राएल के किसी भी परिवार समूह से देवदारू की लकड़ी का सुन्दर घर अपने लिए बनाने के लिए नहीं कहा।’

8 “तुम्हें मेरे सेवक दाऊद से यह कहना चाहिये: सर्वशक्तिमान यहोवा यह कहता है, ‘मैं तुम्हें चरागाह से लाया। मैंने तुम्हें तब अपनाया जब तुम भेंड़े चरा रहे थे। मैंने तुमको अपने लोग इस्राएलियों का मार्ग दर्शक चुना। 9 मैं तुम्हारे साथ तुम जहाँ कहीं गए रह। मैंने तुम्हारे शत्रुओं को तुम्हारे लिए पराजित किया। मैं तुम्हें पृथ्वी महान व्यक्तियों में से एक बनाऊँगा। 10-11 और मैं अपने लोग इस्राएलियों के लिये एक स्थान चुनूँगा। मैं इस्राएलियों को इस प्रकार जमाऊँगा कि वे अपनी भूमि पर रह सकें। तब वे फिर कभी हटाये नहीं जा सकेंगे। अतीत में मैंने अपने इस्राएल के लोगों को मार्गदर्शन के लिये न्यायाधीशों को भेजा था और पापी व्यक्तियों ने उन्हें परेशान किया। अब वैसा नहीं होगा। मैं तुम्हें तुम्हारे सभी शत्रुओं से शान्ति दूँगा। मैं तुमसे यह भी कहता हूँ कि मैं तुम्हारे परिवार को राजाओं का परिवार बनाऊँगा।

12 “‘तुम्हारी उम्र समाप्त होगी और तुम अपने पूर्वजों के साथ दफनाये जाओगे। उस समय मैं तुम्हारे पुत्रों में से एक को राजा बनाऊँगा। 13 वह मेरे नाम पर मेरा एक गृह (मन्दिर) बनवायेगा। मैं उसके राज्य को सदा के लिये शक्तिशाली बनाऊँगा। 14 मैं उसका पिता बनूँगा और वह मेरा पुत्र होगा। जब वह पाप करेगा, मैं उसे दण्ड देने के लिये अन्य लोगों का उपयोग करूँगा। उसे दंडित करने के लिये वे मेरे सचेतक होंगे। 15 किन्तु मैं उससे प्रेम करना बन्द नहीं करूँगा। मैं उस पर कृपालु बना रहूँगा। मैंने अपने प्रेम और अपनी कृपा शाऊल से हटा ली। मैंने शाऊल को हटा दिया, जब मैं तुम्हारी ओर मुड़ा। मैं तुम्हारे परिवार के साथ वही नहीं करूँगा। 16 तुम्हारे राजाओं का परिवार सदा चलता रहेगा तुम उस पर निर्भर रह सकते हो तुम्हारा राज्य तुम्हारे लिये सदा चलता रहेगा। तुम्हारा सिहांसन (राज्य) सदैव बना रहेगा।’”

17 नातान ने दाऊद को हर एक बात बताई। उसने दाऊद से हर एक बात कही जो उसने दर्शन में सुनी।

दाऊद परमेश्वर से प्रार्थना करता है

18 तब राजा दाऊद भीतर गया और यहोवा के सामने बैठ गया। दाऊद ने कहा,

“यहोवा, मेरे स्वामी, मैं तेरे लिये इतना महत्वपूर्ण क्यों हूँ? मेरा परिवार महत्वपूर्ण क्यों है? तूने मुझे महत्वपूर्ण क्यों बना दिया। 19 मैं तेरे सेवक के अतिरिक्त और कुछ नहीं हूँ, और तू मुझ पर इतना अधिक कृपालु रहा है। किन्तु तूने ये कृपायें मेरे भविष्य के पिरवार के लिये भी करने को कहा है। यहोवा मेरे स्वामी, तू सदा लोगों के लिये ऐसी ही बातें नहीं कहता, क्या तू कहता है? 20 मैं तुझसे और अधिक, क्या कह सकता हूँ? यहोवा, मेरे स्वामी, तू जानता है कि मैं केवल तेरा सेवक हूँ। 21 तूने ये अद्भुत कार्य इसलिये किया है क्योंकि तूने कहा है कि तू इनको करेगा और क्योंकि यह कुछ ऐसा है जिसे तू करना चाहता है, और तूने निश्चय किया है कि मैं इन बड़े कार्यों को जानूँ। 22 हे यहोवा! मेरे स्वामी यही कारण है कि तू महान है! तेरे समान कोई नहीं है। तेरी तरह कोई देवता नहीं है। हम यह जानते हैं क्योंकि हम लोगों ने स्वयं यह सब सुना है। उन कार्यों के बारे में जो तूने किये।

23 “तेरे इस्राएल के लोगों की तरह पृथ्वी पर कोई राष्ट्र नहीं है। ये विशेष लोग हैं। वे दास थे। किन्तु तूने उन्हें मिस्र से निकाला और उन्हें स्वतन्त्र किया। तूने उन्हें अपने लोग बनाया। तूने इस्राएलियों के लिये महान और अद्भुत काम किये। तूने अपने देश के लिये आश्चर्यजनक काम किये। 24 तूने इस्राएल के लोगों को सदा के लिये अपने लोग बनाया, और यहोवा तू उनका परमेश्वर हुआ।

25 “यहोवा परमेश्वर, तूने अभी, मेरे बारे में बातें कीं। मैं तेरा सेवक हूँ। तूने मेरे परिवार के बारे में भी बातें कीं। अपने वचनों को सदा सत्य कर जो तूने करने की प्रतिज्ञा की है। मेरे परिवार को राजाओं का परिवार हमेशा के लिये बना। 26 तब तेरा नाम सदा सम्मानित रहेगा, और लोग कहेंगे, ‘सर्वशक्तिमान यहोवा परमेश्वर इस्राएल पर शासन करता है और होने दे कि तेरे सेवक दाऊद का परिवार तेरे सामने सदा चलता रहे।’

27 “सर्वशक्तिमान यहोवा, इस्राएल के परमेश्वर, तूने मुझे बहुत कुछ दिखाया है। तूने कहा, ‘मैं तुम्हारे परिवार को महान बनाऊँगा।’ यही कारण है कि मैं तेरे सेवक ने, तेरे प्रति यह प्रार्थना करने का निश्चय किया। 28 यहोवा मेरे स्वामी, तू परमेश्वर है और तेरे कथन सत्य होते हैं और तूने इस अपने सेवक के लिये, यह अच्छी चीज का वचन दिया है। 29 कृपया मेरे परिवार को आशीष दे। हे यहोवा! हे स्वामी! जससे वह तेरे सम्मुख सदैव बना रहे। तूने ये ही वचन दिया था। अपने आशीर्वाद से मेरे परिवार को सदा के लिये आशीष दे।”

दाऊद अनेक युद्ध जीतता है

8बाद में दाऊद ने पलिश्तियों को हराया। उसने उनकी राजधानी पर अधिकार कर लिया। 2 दाऊद ने मोआब के लोगों को भी हराया। उसने उन्हें भूमि पर लेटने को विवश किया। तब उसने एक रस्सी का उपयोग उन्हें नापने के लिये किया। जब दो व्यक्ति नाप लिये तब दाऊद ने उनको आदेश दिया कि वे मारे जायेंगे। किन्तु हर एक तीसरा व्यक्ति जीवित रहने दिया गया। मोआब के लोग दाऊद के सेवक बन गए। उन्होंने उसे राजस्व दिया।

3 रहोब का पुत्र हददेजेर, सोबा का राजा था। दाऊद ने हददेजेर को उस समय पराजित किया जब उसने महानद के पास के क्षेत्र पर अधिकार करने का प्रयत्न किया। 4 दाऊद ने हददेजेर से सत्रह सौ घुड़सवार सैनिक लिये। उसने बीस हजार पैदल सैनिक भी लिये। दाऊद ने एक सौ के अतिरिक्त, सभी रथ के अश्वों को लंगड़ा कर दिया। उसने इन सौ अश्व रथों को बचा लिया।

5 दमिश्क से अरामी लोग सोबा के राजा हददेजेर की सहायता के लिये आए। किन्तु दाऊद ने उन बाईस हजार अरामियों को पराजित किया। 6 तब दाऊद ने दमिश्क के अराम में सेना की टुकड़ियाँ रखीं। अरामी दाऊद के सेवक बन गए और राजस्व लाए। यहोवा ने दाऊद को, जहाँ कहीं वह गया विजय दी।

7 दाऊद ने उन सोने की ढालों को लिया जो हददेजेर के सैनिकों की थीं। दाऊद ने इन ढालों को लिया और उनको यरूशलेम लाया। 8 दाऊद ने तांबे की बनी बहुत सी चीजें बेतह और बरौते से भी लीं। (बेतह और बरौते दोनों नगर हददेजेर के थे)

9 हमात के राजा तोई ने सुना कि दाऊद ने हददेजेर की पूरी सेना को पराजित कर दिया। 10 तब तोई ने अपने पुत्र योराम को दाऊद के पस भेजा। योराम ने दाऊद का अभिवादन किया और आशीर्वाद दिया क्योंकि दाऊद ने हददेजेर के विरुद्ध युद्ध किया और उसे पराजित किया था। (हददेजेर ने, तोई से पहले, युद्ध किये थे।) योराम चाँदी, सोने और ताँबे की बनी चीजें लाया। 11 दाऊद ने इन चीजों को लिया और यहोवा को समर्पित कर दिया। उसने उसे अन्य सोने—चाँदी के साथ रखा जिसे उसने पराजित राष्ट्रों से लेकर यहोवा को समर्पित किया था। 12 ये राष्ट्र अराम, मोआब, अम्मोन, पलिश्ती और अमालेक थे। दाऊद ने सोबा के राजा रेहोब के पुत्र हददेजेर को भी पराजित किया। 13 दाऊद ने अट्ठारह हजार अरामियों को नमक की घाटी में पराजित किया। वह उस समय प्रसिद्ध था जब वह घर लौटा। 14 दाऊद ने एदोम में सेना की टुकड़ियाँ रखीं। उसने इन सैनिकों की टुकड़ियों को एदोम के पूरे देश में रखा। एदोम के सभी लोग दाऊद के सेवक हो गए। जहाँ कहीं दाऊद गया यहोवा ने उसे विजय दी।

दाऊद का शासन

15 दाऊद ने सारे इस्राएल पर शासन किया। दाऊद के निर्णय सभी लोगों के लिये महत्वपूर्ण और उचित होते थे। 16 सरूयाह का पुत्र योआब सेना का सेनापति था। अहीलूद का पुत्र इतिहासकार था। 17 अहीतूब का पुत्र सादोक और एब्यातर का पुत्र अहीमेलेक दोनों याजक थे। सरायाह सचिव था। 18 यहोयादा का पुत्र बनायाह करेतियों और पलेतियों का शासक था, और दाऊद के पुत्र महत्वपूर्ण प्रमुख थे।

समीक्षा

आप जहाँ जाएं वहाँ जीत

दाऊद का जीवन यीशु की विजय का पूर्वाभास था. बाइबल में दाऊद के बारे में हजारों संदर्भ दिये गए हैं. वह एक अभिषेकित (मसीहा) राजा था. परमेश्वर ने उसे सब शत्रुओं से विश्राम दिलाया था (7:1). नातान ने राजा से कहा, जो कुछ तेरे मन में हो उसे कर; क्योंकि यहोवा तेरे संग है (व.3). वह जहाँ कहीं गया परमेश्वर ने उसे विजय दी (8:6,14).

दाऊद की प्रार्थना में हम अनुसरण करने योग्य उदाहरण देखते हैं:

  1. परमेश्वर की महानता के लिए उनकी स्तुती करना

दाऊद को परमेश्वर की उपस्थिति में अपनी अयोग्यता (7:`18) और इसके साथ-साथ परमेश्वर की महानता में दोनों की समझ थी: ' हे यहोवा परमेश्वर, तू महान् है; क्योंकि जो कुछ हम ने अपने कानों से सुना है, उसके अनुसार तेरे तुल्य कोई नहीं, और न तुझे छोड़ कोई और परमेश्वर है' (व.22). 'वह परमेश्वर की स्तुती करता है जिसने अपनी प्रजा को छुड़ाया है' (व.23).

  1. परमेश्वर के नाम को महिमा देना

परमेश्वर के नाम को महिमा देना दाऊद को अच्छा लगता था: 'हे परमेश्वर तू ने जो वचन दिया है उसके अनुसार ही कर कि लोग तेरे नाम की स्तुति सदा किया करें' (वव. 25-26).

  1. परमेश्वर का परिवार के लिए वायदा

दाऊद ने परमेश्वर के वचन पर भरोसा किया (व.28). वह एक बात और मांगता है: ' तो अब प्रसन्न हो कर अपने दास के घराने पर ऐसी आशीष दे, कि वह तेरे सम्मुख सदैव बना रहे; क्योंकि, हे प्रभु यहोवा, तू ने ऐसा ही कहा है, और तेरे दास का घराना तुझ से आशीष पाकर सदैव धन्य रहे' (व.29).

परमेश्वर ने दाऊद के साथ वाचा बांधी. जबकि परमेश्वर एक तंबू में रहते थे (7:2), वह बताता है कि परमेश्वर तेरा घर बनाएगा (वव. 7,10-11). वह वायदा करते हैं कि, 'मैं तेरे निज वंश को स्थिर करूँगा.... तेरी राजगद्दी को सदैव स्थिर करूँगा.....वरन तेरा घराना और तेरा राज्य मेरे सामने सदा अटल बना रहेगा; तेरी गद्दी सदैव बनी रहेगी' (वव. 12,13,16).

दाऊद के साथ बांधी गई वाचा केवल यीशु में ही पूरी होती है मानवीयर राजा असफल रहा, लेकिन आने वाले राजा की आशा बनी रही जो राजा के आदर्श को पूरा करेगा. यीशु दाऊद की संतान थे (उदाहरण के लिए मत्ती 1:1 देखें). जब उन्होंने येरूशलेम में प्रवेश किया तो लोग चिल्ला उठे, 'हमारे पिता दाऊद का राज्य जो आ रहा है; धन्य हैः आकाश में होशाना!' (मरकुस 11:10).

मगर, यीशु का राज्य और यीशु की विजय किसी की भी कल्पना से बहुत ज्यादा बड़ी है. इसे किसी राजा पर सांसारिक युद्ध जीत कर हासिल नहीं किया गया, बल्कि एक उद्धारकर्ता के बलिदान होने के द्वारा हमारे पाप, अपराध दोष, व्यसन, डर और स्वयं मृत्यु पर महान विजय हासिल की गई.

हम यीशु के उदाहरण से देखते हैं कि यह विजय आकर्षक या प्रकट रूप से नहीं थी. लेकिन परमेश्वर आपसे वायदा करते हैं, जैसा कि उन्होंने दाऊद से वायदा किया था कि, आप जहाँ भी जाएं वह आपके संग रहेंगे और यह कि अंत में आप मसीह में विजयी होंगे.

प्रार्थना

प्रभु, दाऊद के समान, मैं आपकी उपस्थिति में खुद को अयोग्य महसूस करता हूँ. 'हे सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर, तेरे सामने मैं क्या हूँ?' (7:1). आपको धन्यवाद कि आपने मसीह में हमें पाप, अपराध दोष, डर और मृत्य पर दाऊद से भी बड़ी विजय दी है. प्रभु, आज मैं आप पर भरोसा करता हूँ कि मैं जहाँ भी जाऊँ आप मेरे संग रहेंगे और मेरी मदद करेंगे.

पिप्पा भी कहते है

प्रेरितों के कार्य 2:22-41

पतरस के सभी दोस्त प्रसन्न और गर्वित हुए होंगे (अच्छी भावना से) जब उसने खड़े होकर अपना पहला संदेश प्रचार किया. वे पतरस के साथ उसके सभी उतार-चढ़ाव और असफलता में साथ थे. अब परमेश्वर का अभिषेक उस पर था. आखिरी तीन साल इस समय के लिए तैयारी के वर्ष थे.

बुलाहट में संघर्ष के समय में लोगों को अपने साथ देखकर बड़ा आश्चर्य होता है

दिन का वचन

प्रेरितों के कार्य – 2:38-39

“….तो तुम पवित्र आत्मा का दान पाओगे। क्योंकि यह प्रतिज्ञा तुम, और तुम्हारी सन्तानों, और उन सब दूर दूर के लोगों के लिये भी है जिन को प्रभु हमारा परमेश्वर अपने पास बुलाएगा।"

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संदर्भ

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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