दिन 131

असीमित शक्ति, अनंत बल

बुद्धि भजन संहिता 59:9-17
नए करार यूहन्ना 6:60-7:13
जूना करार न्यायियों 12:1-13:25

परिचय

हम अक्सर उस कहानी को बताते हैं जब जॉन विम्बर हमारे चर्च में आए थे. हमने पवित्र आत्मा के असाधारण प्रवाह को और अनेक चंगाइयों को देखा. एक घटना जो दूसरी रात में हुई थी, वह मेरी याद्दाश्त में स्थायी रूप से बस गया है. उस समय हमारी एक करीबी महिला दोस्त आठ महीने की गर्भवती थी. पवित्र आत्मा उस पर बड़े सामर्थ से आए. वह जोर जोर से चक्कर काटने लगी. जब उसने ऐसा किया, तो उसने बारबार चिल्लाकर कहा, 'मुझे बहुत शक्तिशाली महसूस हो रहा है!'

कुछ सप्ताह बाद उसने एक बेटे को जन्म दिया, बचपन से ही, उसने केवल आत्मिक और भावनात्मक शक्ति का ही नहीं बल्कि असाधारण शारीरिक शक्ति का भी प्रदर्शन किया. वह एक असाधारण रग्बी खिलाड़ी बन गया, एक बेहतरीन खिलाड़ी और अब वह एक सफल मॉडल है.

कुछ लोगों को (जैसे समशोन, जिसके बारे में हम आज के पुराने नियम के लेखांश में पढ़ेंगे), पवित्र आत्मा असाधारण शारीरिक बल देते हैं. हम सभी को पवित्र आत्मा आत्मिक बल देते हैं.

प्रेरित पौलुस हमारे लिए या जो उन पर विश्वास करते हैं उनके लिए परमेश्वर की असीम ताकत का वर्णन करते हैं. वह ताकत कार्य करने वाली उनकी महान ताकत की तरह है, जो उन्होंने मसीह में डाल दी थी जब वह मृत्यु में से जी उठे थे' (इफीसियों 1:19-20)

पवित्र आत्मा ने ही यीशु को मरे हुओं में से जिलाया (रोमियों 8:11अ). पवित्र आत्मा उनका महान सामर्थ हैं. वही सामर्थ अब आपके अंदर रहती है और वह तुम्हारी मरनहार देहों को भी अपनी आत्मा के द्वारा जो तुम में बसा हुआ है जिलाएगा (व.11ब).

मुझे इफीसियों के लेखांश का युजीन पीटरसन का अनुवाद पसंद है जहाँ परमेश्वर असीमित शक्ति और अनंत बल देते हैं.

बुद्धि

भजन संहिता 59:9-17

9 हे परमेश्वर, तू मेरी शक्ति है। मैं तेरी बाट जोह रहा हूँ।
 हे परमेश्वर, तू ऊँचे पहाड़ों पर मेरा सुरक्षा स्थान है।
10 परमेश्वर, मुझसे प्रेम करता है, और वह जीतने में मेरा सहाय होगा।
 वह मेरे शत्रुओं को पराजित करने में मेरी सहायता करेगा।
11 हे परमेश्वर, बस उनको मत मार डाल। नहीं तो सम्भव है मेरे लोग भूल जायें।
 हे मेरे स्वमी और संरक्षक, तू अपनी शक्ति से उनको बिखेर दे और हरा दे।
12 वे बुरे लोग कोसते और झूठ बोलते रहते हैं।
 उन बुरी बातों का दण्ड उनको दे, जो उन्होंने कही हैं।
 उनको अपने अभिमान में फँसने दे।
13 तू अपने क्रोध से उनको नष्ट कर।
 उन्हें पूरी तरह नष्ट कर!
 लोग तभी जानेंगे कि परमेश्वर, याकूब के लोगों का और वह सारे संसर का राजा है।

14 फिर यदि वे लोग शाम को
 इधर—उधर घूमते गुरर्तें कुत्तों से नगर में आवें,
15 तो वे खाने को कोई वस्तु ढूँढते फिरेंगे,
 और खाने को कुछ भी नहीं पायेंगे और न ही सोने का कोई ठौर पायेंगे।
16 किन्तु मैं तेरी प्रशंसा के गीत गाऊँगा।
 हर सुबह मैं तेरे प्रेम में आनन्दित होऊँगा।
 क्यों क्योंकि तू पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है।
 मैं तेरे पास आ सकता हूँ, जब मुझे विपत्तियाँ घेरेंगी।
17 मैं अपने गीतों को तेरी प्रशंसा में गाऊँगा
 क्योंकि पर्वतों के ऊपर मेरा शरणस्थल है।
 तू परमेश्वर है, जो मुझको प्रेम करता है!

समीक्षा

हे मेरे बल

क्या आप अपने जीवन में किसी मामले से जूझ रहे हैं? क्या आप गहरी परेशानी महसूस कर रहे हैं?

दाऊद की तरह, जो कि बहुत ज्यादा परेशानी में था, आज परमेश्वर को पुकारें: 'हे मेरे बल, मुझे तेरी ही आस होगी; क्योंकि परमेश्वर मेरा ऊंचा गढ़ हैं, मेरे प्यारे परमेश्वर (वव.-9-10अ).

इस भजन का अंत विजय में होता है: 'परन्तु मैं तेरी सामर्थ का यश गाऊंगा, और भोर को तेरी करूणा का जयजयकार करूंगा। क्योंकि तू मेरा ऊंचा गढ़ है, और संकट के समय मेरा शरणस्थान ठहरा है। हे मेरे बल, मैं तेरा भजन गाऊंगा, क्योंकि हे परमेश्वर, तू मेरा ऊंचा गढ़ और मेरा करूणामय परमेश्वर है' (वव.16-17).

प्रार्थना

प्रभु, मैं आपको धन्यवाद देता हूँ कि आप मेरा 'बल' है, मेरे प्यारे परमेश्वर. कृपया मुझे आपकी आसीमित शक्ति और अनंत बल दीजिये.
नए करार

यूहन्ना 6:60-7:13

अनन्त जीवन की शिक्षा

60 यीशु के बहुत से अनुयायियों ने इन बातों को सुनकर कहा, “यह शिक्षा बहुत कठिन है, इसे कौन सुन सकता है?”

61 यीशु को अपने आप ही पता चल गया था कि उसके अनुयायियों को इसकी शिकायत है। इसलिये वह उनसे बोला, “क्या तुम इस शिक्षा से परेशान हो? 62 यदि तुम मनुष्य के पुत्र को उपर जाते देखो जहाँ वह पहले था तो क्या करोगे? 63 आत्मा ही है जो जीवन देता है, देह का कोई उपयोग नहीं है। वचन, जो मैंने तुमसे कहे हैं, आत्मा है और वे ही जीवन देते हैं। 64 किन्तु तुममें कुछ ऐसे भी हैं जो विश्वास नहीं करते।” (यीशु शुरू से ही जानता था कि वे कौन हैं जो विश्वासी नहीं हैं और वह कौन हैं जो उसे धोखा देगा।) 65 यीशु ने आगे कहा, “इसीलिये मैंने तुमसे कहा है कि मेरे पास तब तक कोई नहीं आ सकता जब तक परम पिता उसे मेरे पास आने की अनुमति नहीं दे देता।”

66 इसी कारण यीशु के बहुत से अनुयायी वापस चले गये। और फिर कभी उसके पीछे नहीं चले।

67 फिर यीशु ने अपने बारह शिष्यों से कहा, “क्या तुम भी चले जाना चाहते हो?”

68 शमौन पतरस ने उत्तर दिया, “हे प्रभु, हम किसके पास जायेंगे? वे वचन तो तेरे पास हैं जो अनन्त जीवन देते हैं। 69 अब हमने यह विश्वास कर लिया है और जान लिया है कि तू ही वह पवित्रतम है जिसे परमेश्वर ने भेजा है।”

70 यीशु ने उन्हें उत्तर दिया, “क्या तुम बारहों को मैंने नहीं चुना है? फिर भी तुममें से एक शैतान है।” 71 वह शमौन इस्करियोती के बेटे यहूदा के बारे में बात कर रहा था क्योंकि वह यीशु के खिलाफ़ होकर उसे धोखा देने वाला था। यद्यपि वह भी उन बारह शिष्यों में से ही एक था।

यीशु और उसके भाई

7इसके बाद यीशु ने गलील की यात्रा की। वह यहूदिया जाना चाहता था क्योंकि यहूदी उसे मार डालना चाहते थे। 2 यहूदियों का खेमों का पर्व आने वाला था। 3 इसलिये यीशु के बंधुओं ने उससे कहा, “तुम्हें यह स्थान छोड़कर यहूदिया चले जाना चाहिये। ताकि तुम्हारे अनुयायी तुम्हारे कामों को देख सकें। 4 कोई भी वह व्यक्ति जो लोगों में प्रसिद्ध होना चाहता है अपने कामों को छिपा कर नहीं करता। क्योंकि तुम आश्चर्य कर्म करते हो इसलिये सारे जगत के सामने अपने को प्रकट करो।” 5 यीशु के भाई तक उसमें विश्वास नहीं करते थे।

6 यीशु ने उनसे कहा, “मेरे लिये अभी ठीक समय नहीं आया है। पर तुम्हारे लिये हर समय ठीक है। 7 यह जगत तुमसे घृणा नहीं कर सकता पर मुझसे घृणा करता है। क्योंकि मैं यह कहता रहता हूँ कि इसकी करनी बुरी है। 8 इस पर्व में तुम लोग जाओ, मैं नहीं जा रहा क्योंकि मेरे लिए अभी ठीक समय नहीं आया है।” 9 ऐसा कहने के बाद यीशु गलील मे रुक गया।

10 जब उसके भाई पर्व में चले गये तो वह भी गया। पर वह खुले तौर पर नही; छिप कर गया था। 11 यहूदी नेता उसे पर्व में यह कहते खोज रहे थे, “वह मनुष्य कहाँ है?”

12 यीशु के बारे में छिपे-छिपे उस भीड़ में तरह-तरह की बातें हो रही थीं। कुछ कह रहे थे, “वह अच्छा व्यक्ति है।” पर दूसरों ने कहा, “नहीं, वह लोगों को भटकाता है।” 13 कोई भी उसके बारे में खुलकर बातें नहीं कर पा रहा था क्योंकि वे लोग यहूदी नेताओं से डरते थे।

समीक्षा

एक कठिन बुलाहट

क्या आपने कभी पाया है कि जीने के लिए यीशु की शिक्षा काफी कठिन है? क्या आपको कभी-कभी मसीही होना कठिन लगता है, उदाहरण के लिए काम की जगह में? क्या आपने पाया है कि लोग कभी-कभी आपको बिना किसी कारण के पसंद नहीं करते? क्या आपने कभी महसूस किया है कि यीशु के पीछे न चलें?

यदि आप आसान जीवन चाहते हैं, तो मैं यीशु के पीछे चलने की राय नहीं दूँग़ा. फिर यह आसान नहीं होगा. अब यह आसान नहीं है. एलीस कूपर, रॉक गायक ने कहा है, 'बीयर पीना आसान है. होटल में मौज मस्ती करना आसान है. लेकिन मसीही बनना, एक कठिन बुलाहट है. यह सच में विद्रोही है.'

यीशु के पीछे चलना कठिन है. फिर भी, अपनी परिपूर्णता में यह जीवन का तरीका है. यीशु समझाते हैं, जीवन की परिपूर्णता पवित्र आत्मा से आती है.

यीशु की शिक्षा आसान नहीं है. ' इसलिये उसके चेलों में से बहुतों ने यह सुनकर कहा, कि यह बात नागवार है; इसे कौन सुन सकता है?' (6:60). वास्तव में यीशु की कुछ शिक्षा इतनी कठिन थी कि, 'उसके चेलों में से बहुतेरे उल्टे फिर गए और उसके बाद उसके साथ न चले' (व.66). अध्याय की शुरुवात में कई लोग यीशु के पीछे हो लिये. लेकिन अंत में कई लोग पलट गए और उनके साथ न चले.

यह इतना कठिन नहीं था कि यह सुनने वाले को यीशु की शिक्षा समझ न आए, लेकिन उन्हें इसकी विषय-सामग्री पसंद नहीं आई. वास्तव में उन्होंने उनकी शिक्षा को अप्रिय जाना (व.61). ऐसा प्रतीत होता है कि वे लोग विशेष रूप से अपने जीवन पर यीशु के बड़े दावे को लेकर अप्रसन्न हुए. उन्होंने कहा था कि, 'वह जीवन की रोटी हैं', यीशु ने उन लोगों को उन से कहा जो उन पर विश्वास करेगा वह अनंत जीवन पाएगा.

यह शिक्षा केवल 'कठिन' ही नहीं बल्कि 'अप्रिय' भी थी. यीशु कहते हैं, 'संसार..... मुझ से बैर करता है, क्योंकि मैं उसके विरोध में यह गवाही देता हूँ, कि उसके काम बुरे हैं' (7:7). उन पर दोष लगाया गया था कि वह लोगों को भरमाते हैं (व.12). जो इस तरह से अप्रिय जाना जाता था उसके पीछे चलने की कीमत बहुत बड़ी थी.

जब कई लोग पलट गए और कोई उनके पीछे न चला, स्पष्ट रूप से, अपने दिल में दु:खी होकर, यीशु ने बारह चेलों से कहा, 'क्या तुम भी चले जाना चाहते हो? शिमौन पतरस ने उस को उत्तर दिया, कि हे प्रभु हम किस के पास जाएं? अनन्त जीवन की बातें तो तेरे ही पास हैं। और हम ने विश्वास किया, और जान गए हैं, कि परमेश्वर का पवित्र जन तू ही है' (6:67-69).

यह बहुत बड़ी सच्चाई है. यीशु के वचनो में अनंत जीवन है. वह परमेश्वर के पवित्र पुत्र हैं. केवल उनके द्वारा ही परमेश्वर तक पहुँचा जा सकता है.

इस लेखांश में हम पूर्ण त्रिएक्य को देखते हैं. पतरस जान जाते हैं कि यीशु 'परमेश्वर के पवित्र पुत्र हैं' (व.69). यीशु अनोखे हैं. वह परमेश्वर की पवित्रता को धारण किये हुए हैं. वह दैवीय हैं. वह पिता के बारे में बताते हैं (व.65). वह पवित्र आत्मा के बारे में भी बताते हैं (व.63).

वह कहते हैं, 'पवित्र आत्मा जीवन देता है' (व. 63अ). जिस तरह से शरीर, शरीर को जन्म देता है, उसी तरह से पवित्र आत्मा आत्मिक जीवन देते हैं. वह कहते हैं, 'जो बातें मैं ने तुम से कहीं हैं वे आत्मा हैं, और जीवन भी हैं' (व.63ब).

यह सब मंडपों के पर्व के थोड़ा पहले हुआ (7:2, आईएसवी). जहाँ परिवार अपने घर छोड़कर आठ दिनों तक मंडपों में रहते थे और आनंद का उत्सव मनाते थे (बल्कि हमारे फोकस चर्च छुट्टियों की तरह!). वे लोग जीवन के जल के लिए परमेश्वर को धन्यवाद करते थे – यीशु ने यह सेटिंग उन्हें जीवन देने वाले पवित्र आत्मा के बारे में अपनी शिक्षा देने के लिए चुनी थी.

जब यीशु अंनत जीवन के बारे में बताते हैं, तो वह जीवन की उत्तमता के बारे में बताते हैं जो अभी शुरू होता है और हमेशा तक बना रहता है: 'मैं इसलिये आया हूँ कि वे जीवन पाएं, और बहुतायत से पाएं' (10:10). इस तरह का जीवन पवित्र आत्मा से मिलता है. इसलिए, हालाँकि यीशु के पीछे चलने की कीमत बहुत ज्यादा है, मगर इस कीमत के बदले जो फायदे हैं वह कहीं ज्यादा हैं. वास्तव में इसका कोई विकल्प नहीं है. केवल यीशु ही आपको पवित्र आत्मा दे सकते हैं. केवल यीशु ही आपको बहुतायत का जीवन दे सकते हैं.

प्रार्थना

प्रभु, जीवन पाने के लिए मुझे पवित्र आत्मा की जरूरत है. कृपया मुझे अपनी पवित्र आत्मा से भर दीजिये ताकि आज मैं जो भी शब्द बोलूँ वह सुनने वालों के लिए 'आत्मा' और 'जीवन' हो (6:63).
जूना करार

न्यायियों 12:1-13:25

यिप्तह और एप्रैम

12एप्रैम के परिवार समूह के लोगों ने अपने सैनिकों को इकट्ठा किया। तब वे नदी पार करके सापोन नगर गए। उन्होंने यिप्तह से कहा, “तुमने अम्मोनी लोगों से लड़ने में सहायता के लिये हमें क्यों नहीं बुलाया? हम लोग तुमको और तुम्हारे घर को जला देंगे।”

2 यिप्तह ने उन्हें उत्तर दिया, “अम्मोनी लोग हम लोगों के लिये अनेक समस्यायें उत्पन्न कर रहे थे। इसलिए मैं और हमारे लोग उनके विरुद्ध लड़े। मैंने तुम लोगों को बुलाया, किन्तु तुम लोग हम लोगों की सहायता करने नहीं आए। 3 मैंने देखा कि तुम लोग सहायता नहीं करोगे। इसलिए मैंने अपना जीवन खतरे में डाला। मैं अम्मोनी लोगों से लड़ने के लिये नदी के पार गया। यहोवा ने उन्हें हराने में मेरी सहायता की। अब आज तुम मेरे विरुद्ध लड़ने क्यों आए हो?”

4 तब यिप्तह ने गिलाद के लोगों को एक साथ बुलाया। वे एप्रैम के परिवार समूह के लोगों के साथ लड़े। वे एप्रैम के लोगों के विरुद्ध इसलिए लड़े, क्योंकि उन लोगों ने गिलाद के लोगों का अपमान किया था। उन्होंने कहा था, “गिलाद के लोगो, तुम लोग एप्रैम के बचे हुए लोगों के अतिरिक्त अन्य कुछ नहीं हो। तुम लोगों के पास अपना प्रदेश भी नहीं है। तुम लोगों का एक भाग एप्रैम में से है तथा दूसरा भाग मनश्शे में से है।” गिलाद के लोगों ने एप्रैम के लोगों को हराया।

5 गिलाद के लोगों ने यरदन नदी के घाटों पर अधिकार कर लिया। वे घाट एप्रैम प्रदेश तक ले जाते थे। एप्रैम में से बचा हुआ जो कोई भी नदी पर आता, वह कहता, “मुझे पार करने दो” तो गिलाद के लोग उससे पूछते, “क्या तुम एप्रैम में से हो?” यदि वह “नहीं” कहता तो, 6 वे कहते, “‘शिब्बोलेत’ शब्द का उच्चारण करो।” एप्रैम के लोग उस शब्द का शुद्ध उच्चारण नहीं कर सकते थे। वे उसे “सिब्बोलेत” शब्द उच्चारण करते थे। यदि एप्रैम में से बचा व्यक्ति “सिब्बोलेत” शब्द का उच्चारण करता तो गिलाद के लोग उसे घाट पर मार देते थे। इस प्रकार उस समय एप्रैम में से बयालीस हजार व्यक्ति मारे गए थे।

7 यिप्तह इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश छ: वर्ष तक रहा। तब गिलाद का निवासी यिप्तह मर गया। उसे गिलाद में उसके अपने नगर में दफनाया गया।

न्यायाधीश इबसान

8 यिप्तह के मरने के बाद इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश इबसान नामक व्यक्ति हुआ। इबसान बेतलेहेम नगर का निवासी था। 9 इबसान के तीस पुत्र और तीस पुत्रियाँ थीं। उसने अपनी पुत्रियों को उन लोगों के साथ विवाह करने दिया, जो उसके रिश्तेदार नहीं थे। वह ऐसी तीस स्त्रियों को अपने पुत्रों की पत्नियों के रूप में लाया जो उसकी रिश्तेदार नहीं थीं। इबसान इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश सात वर्ष तक रहा। 10 तब इबसान मर गया। वह बेतलेहेम नगर में दफनाया गया।

न्यायाधीश एलोन

11 इबसान के मरने के बाद इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश एलोन नामक व्यक्ति हुआ। एलोन जबूलून के परिवार समूह से था। वह इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश दस वर्ष तक रहा। 12 तब जबूलून के परिवार समूह का व्यक्ति एलोन मर गया। वह जबूलून के प्रदेश में अय्यालोन नगर में दफनाया गया।

न्यायाधीश अब्दोन

13 एलोन के मरने के बाद इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश अब्दोन नामक व्यक्ति हुआ। अब्दोन हिल्लेल नामक व्यक्ति का पुत्र था। अब्दोन पिरातोन नगर का निवासी था। 14 अब्दोन के चालीस पुत्र और तीस पौत्र थे। वे सत्तर गधों पर सवार होते थे। अब्दोन इस्राएल के लोगों का न्यायाधीश आठ वर्ष तक रहा। 15 तब हिल्लेल का पुत्र अब्दोन मर गया। वह पिरातोन नगर में दफनाया गया। पिरातोन एप्रैम प्रदेश में है। यह वह पहाड़ी प्रदेश है जहाँ अमालेकी लोग रहते हैं।

शिमशोन का जन्म

13यहोवा ने इस्राएल के लोगों को फिर पाप करते हुए देखा। इसलिए यहोवा ने पलिश्ती लोगों को उन पर चालीस वर्ष तक शासन करने दिया।

2 एक व्यक्ति सोरा नगर का निवासी था। उस व्यक्ति का नाम मानोह था। वह दान के परिवार समूह से था। मानोह की एक पत्नी थी। किन्तु वह कोई सन्तान उत्पन्न नहीं कर सकती थी। 3 यहोवा का दूत मानोह की पत्नी के सामने प्रकट हुआ और उसने कहा, “तुम सन्तान उत्पन्न नहीं कर सकती हो। किन्तु तुम गर्भवती होगी और तुम्हें एक पुत्र होगा। 4 तुम दाखमधु या कोई नशीली पीने की चीज न पीओ। किसी भी अशुद्ध जानवर को न खाओ। 5 क्यों? क्योंकि तुम सचमुच गर्भवती होगी और तुम्हें एक पुत्र होगा। वह विशेश रूप से परमेश्वर के प्रति एक विशेष रूप में समर्पित होगा। वह एक नाज़ीर होगा। इसलिए तुम्हें उसके बाल कभी नहीं काटने चाहिये। वह पैदा होने से पहले परमेश्वर का व्यक्ति होगा। वह इस्राएल के लोगों को पलिश्ती लोगों की शक्ति से मुक्त करायेगा।”

6 तब वह स्त्री अपने पति के पास गई और जो कुछ हुआ था, बताया। उसने कहा, “परमेश्वर के पास से एक व्यक्ति मेरे पास आया। वह परमेश्वर के दूत की तरह ज्ञात होता था। वह बहुत भयानक दिखाई पड़ता था और मैं डर गई थी। मैंने उससे यह नहीं पूछा कि, तुम कहाँ से आये हो। उसने मुझे अपना नाम नहीं बताया। 7 किन्तु उसने मुझसे कहा, ‘तुम गर्भवती हो और तुम्हें एक पुत्र होगा। कोई दाखमधु या नशीली पीने की चीज़ मत पीओ। कोई ऐसा जानवर न खाओ जो अशुद्ध हो, क्योंकि वह लड़का विशेष रूप से परमेश्वर को समर्पित होगा। वह लड़का जन्म के पहले से लेकर मरने के दिन तक परमेश्वर का विशेष व्यक्ति होगा।’”

8 तब मानोह ने यहोवा से प्रार्थना की, “हे यहोवा, मैं तुझसे प्रार्थना करता हूँ कि तू परमेश्वर के व्यक्ति को हम लोगों के पास फिर भेज। हम चाहते हैं कि वह हमें सिखाए कि हम लोगों के यहाँ जन्म लेने वाले बच्चे के साथ हमें क्या करना चाहिए।”

9 परमेश्वर ने मानोह की प्रार्थना सुनी। परमेश्वर का दूत फिर उस स्त्री के पास, तब आया जब वह खेत में बैठी थी। किन्तु उसका पति मानोह उसके साथ नहीं था। 10 इसलिए वह स्त्री अपने पति से यह कहने के लिये दौड़ी, “वह व्यक्ति लौटा है। पिछले दिन जो व्यक्ति मेरे पास आया था, वह यहाँ है।”

11 मानोह उठा और अपनी पत्नी के पीछे चला। जब वह उस व्यक्ति के पास पहुँचा तो उसने कहा, “क्या तुम वही व्यक्ति हो जिसने मेरी पत्नी से बातें की थीं?”

दूत ने कहा, “मैं ही हूँ।”

12 अत: मानोह ने कहा, “मुझे आशा है कि जो तुम कहते हो वह होगा। यह बताओ कि वह लड़का कैसा जीवन बिताएगा? वह क्या करेगा?”

13 यहोवा के दूत ने मानोह से कहा, “तुम्हारी पत्नी को वह सब करना चाहिए, जो मैंने उसे करने को कहा है। 14 उसे अंगूर की बेल पर उगी कोई चीज़ नहीं खानी चाहिए। उसे दाखमधु या कोई नशीली पीने की चीज़ नहीं पीनी चाहिए। उसे किसी ऐसे जानवर को नहीं खाना चाहिए जो अशुद्ध हो। उसे वह सब करना चाहिए, जो करने का आदेश मैंने उसे दिया है।”

15 तब मानोह ने यहोवा के दूत से कहा, “हम यह चाहते हैं कि तुम थोड़ी देर और रुको। हम लोग तुम्हारे भोजन के लिये नया बकरा पकाना चाहते हैं।”

16 तब यहोवा के दूत ने मानोह से कहा, “यदि तुम यहाँ से जाने से मुझे रोकोगे तो भी मैं तुम्हारा भोजन ग्रहण नहीं करूँगा। किन्तु यदि तुम कुछ तैयार करना चाहते हो तो यहोवा को होमबलि दो।” (मानोह ने नहीं समझा कि वह व्यक्ति सचमुच यहोवा का दूत था।)

17 तब मानोह ने यहोवा के दूत से पूछा, “तुम्हारा नाम क्या है? हम लोग इसलिए जानना चाहते हैं कि हम तुम्हारा सम्मान तब कर सकेंगे, जब वह सचमुच होगा जो तुम कह रहे हो।”

18 यहोवा के दूत ने कहा, “तुम मेरा नाम क्यों पूछते हो? यह इतना आश्चर्यजनक है कि तुम विश्वास नहीं कर सकते।”

19 तब मानोह ने चट्टान पर एक बकरे की बलि दी। उसने यहोवा तथा उस व्यक्ति को, कुछ अन्न भी भेंट के रूप में दिया, जो अद्भुत चीज़ें करता है। 20 मानोह और उसकी पत्नी उसे ध्यान से देख रहे थे, जो हो रहा था। जैसे ही लपटें वेदी से आकाश तक उठीं, वैसे ही यहोवा का दूत अग्नि में आकाश को चला गया।

जब मानोह और उसकी पत्नी ने यह देखा तो वे धरती पर गिर गए। उन्होंने अपने सिर को धरती से लगाया। 21 मानोह अन्त में समझा कि वह व्यक्ति सचमुच यहोवा का दूत था। यहोवा का दूत फिर मानोह के सामने प्रकट नहीं हुआ। 22 मानोह ने कहा, “हम लोगों ने परमेश्वर को देखा है। निश्चय ही इस कारण से हम लोग मरेंगे।”

23 लेकिन उसकी पत्नी ने उससे कहा, “यहोवा हम लोगों को मारना नहीं चाहता। यदि यहोवा हम लोगों को मारना चाहता तो वह हम लोगों की होमबलि और अन्नबलि स्वीकार न करता। उसने हम लोगों को वह सब न दिखाया होता, और वह हम लोगों से ये बातें न कहा होता।”

24 अत: स्त्री को एक पुत्र हुआ। उसने उसका नाम शिमशोन रखा। शिमशोन बड़ा हुआ और योहवा ने उसे आशीर्वाद दिया। 25 यहोवा का तेज शिमशोन में तभी कार्यशील हो गया जब वह महनेदान नगर में था। वह नगर सोरा और एशताओल नगरों के मध्य है।

समीक्षा

उनकी असाधारण सामर्थ

परमेश्वर द्वारा आपकी प्रार्थनाओं का उत्तर देने में काफी देरी होने के कारण क्या कभी आपने परेशानी महसूस की है? परमेश्वर कभी जल्दी में नहीं रहते, बल्कि वह हमेशा समय पर होते हैं.

इस लेखांश में हम शिमशोन के जन्म के लिए परमेश्वर की विस्तृत तैयारी देखते हैं, जिसकी असाधारण ताकत ने उसके समय के लोगों को बचाया था. लेकिन यह किसी और चीज का आदिरूप था जिसमे और भी ज्यादा समय लगने वाला था. सैकड़ों साल बाद, बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना का जन्म जगत के उद्धारकर्ता के लिए मार्ग तैयार करने के लिए हुआ था (जो कई तरफ से शिमशोन के समान था).

परमेश्वर अक्सर उन लोगों को विशेष रूप से आशीष देते हैं जो काफी समय से इंतजार कर रहे थे और जिन्होंने सोचा था कि यह असंभव सा नजर आ रहा है, उदाहरण के लिए सारा के साथ इसहाक और एलिबीशा के साथ यूहन्ना.

शिमशोन कई तरीके से बपतिस्मा देने वाले यूहन्ना के समान था:

दोनों ही मामलों में, ऐसा सोचा गया कि माँ को बच्चा नहीं होगा और किसी चमत्कार की जरूरत होगी (न्यायियों 13:3; लूका 1:7)

दोनों ही मामलों में, प्रभु के स्वर्गदूत ने इन माता-पिता से स्पष्ट रूप से कहा था (न्यायियों 1:7; लूका 1:13)

दोनों बच्चों को जन्म से ही परमेश्वर के लिए अलग रखा गया था (न्यायियों 13:7; लूका 1:14-17)

दोनों में से किसी को भी शराब छूने की अनुमति नहीं थी (न्यायियों 13:7, लूका 1:15)

उन दोनों के जीवन के आरंभिक समय में ही प्रभु का आत्मा उन पर उतरा था (न्यायियों 13:25, लूका 1:15).

एक बार फिर से, इस लेखांश में हम संपूर्ण त्रिएक्य का इशारा देखते हैं. हमने 'प्रभु' के बारे में पढ़ा (न्यायियों 13:1), लेकिन हमने 'प्रभु के स्वर्गदूत' के बारे में अद्भुत बातें भी सुनी (वव.3,6) और जो बाद में एक लौ में से स्वर्ग में चढ़ गया (व.19).

यह देखकर, मनोह और उसकी पत्नी भूमि पर मुंह के बल गिर गए.... मनोह जान गया कि यह प्रभु का स्वर्गदूत था. 'हम निश्चय मर जाएंगे, क्योंकि हम ने परमेश्वर का दर्शन पाया है!' (वव.19-22). (धन्यवाद रूप से उसकी पत्नी काफी बुद्धिमान थी! व.23, एएमपी).

क्या 'प्रभु का दूत' त्रिएक्य का दूसरा व्यक्तित्व हो सकता है? यीशु 'मनुष्य के पुत्र' के उठा लिये जाने की भाषा का उपयोग करते हैं (यूहन्ना 6:62). यूहन्ना के सुसमाचार में पहले हमने पढ़ा कि, ' तुम स्वर्ग को खुला हुआ, और परमेश्वर के स्वर्गदूतों को ऊपर जाते और मनुष्य के पुत्र को ऊपर से उतरते हुए देखोगे' (यूहन्ना 1:51).

त्रिएक्य का तीसरा व्यक्तित्व, पवित्र आत्मा, शिमशौन के जन्म के समय स्पष्ट रूप से कार्य कर रहा था: ' उस स्त्री के एक बेटा उत्पन्न हुआ, और उसका नाम शिमशोन रखा; और वह बालक बढ़ता गया, और यहोवा उसको आशीष देता रहा। और यहोवा का आत्मा उसको उभारने लगा....' (न्यायियों 13:24-25). पवित्र आत्मा ने शिमशौन को असाधारण और असामान्य सामर्थ और बल दिया.

प्रार्थना

प्रभु, शिमशौन को असाधारण बल देने के लिए आपको धन्यवाद. कृपया आज मुझे अपनी पवित्र आत्मा से भर दीजिये. शत्रुओं का सामना करने और पवित्र जीवन जीने के लिए मुझे आत्मिक बल और सामर्थ दीजिये.

पिप्पा भी कहते है

पीपा विज्ञापन

न्यायियों 12:8-9अ

' उसके बाद बेतलेहेम का निवासी इबसान इस्राएल का न्याय करने लगा।
और उसके तीस बेटे-बेटियाँ हुए;'

वॉव! वह बहुत ही व्यस्त था!

दिन का वचन

भजन संहिता – 59:10

"परमेश्वर करूणा करता हुआ मुझ से मिलेगा; परमेश्वर मेरे द्रोहियों के विषय मेरी इच्छा पूरी कर देगा॥"

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संदर्भ

नोट्स:

http://www.godscare.net/witness/alice\_cooper.htm 3 May 2012 से एलीस कूपर का उद्धरण

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

जिन वचनों को \[आईएसवी ISV\] से चिन्हित किया गया है वे पवित्र बाइबल के स्टैंडर्ड संस्करण से लिए गए हैं. रिलीज 2.0, बिल्ड 2015.02.09. कॉपीराइट © 1995-2014 by ISV Foundation. सभी अधिकार सुरक्षित. Davidson Press, LLC. की अनुमति से उपयोग किया गया है।

संपादकीय नोट्स 2013

http://www.godscare.net/witness/alice\_cooper.htm 3 May 2012 से एलीस कूपर का उद्धरण

Bible in One Year

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