दिन 127

परमेश्वर के लिए उपयोगी बनने के लिए बारह कुंजियाँ

बुद्धि भजन संहिता 57:7-11
नए करार यूहन्ना 5:16-30
जूना करार न्यायियों 6:1-7:8a

परिचय

भारत में कहार में दो बड़े बर्तन, एक डंडे के दोनों छोर पर लटके होते हैं, जिसे वह अपनी गर्दन पर रखकर ले जाता है. इनमें से एक बर्तन में दरार थी जबकि दूसरा बर्तन बिल्कुल ठीक था और हमेशा पूरा पानी ले जाता था. जल के झरने से लेकर घर तक की लंबी दूरी में, टूटे हुए बर्तन में से हमेशा आधा पानी ही पहुँच पाता था.

बेचारा टूटा हुआ बर्तन अपनी अपूर्णता की वजह से शर्मिंदा और दु:खी था कि उसे जो काम करना था वह उसका आधा ही कर पाया. दो साल तक लगातार असफलता के बाद, झरने पर उसने पानी भरने वाले से कहा:

"मुझे खुद पर शर्म आ रही है और मैं आपसे क्षमा मांगना चाहता हूँ. अपनी एक तरफ दरार होने के कारण मैं अपनी जिम्मेदारी का सिर्फ आधा ही कर पाया हूँ जिसकी वजह से आपके घर के रास्ते में पानी चू जाता है. मुझ में दरार होने के कारण आपको यह सब करना पड़ता है और आपको अपने प्रयास का पूरा परिणाम नहीं मिल पाता.'

पानी भरने वाले ने उस बर्तन से कहा, 'क्या तुमने ध्यान दिया कि मार्ग में केवल तुम्हारी तरफ ही फूल उगे हैं, लेकिन दूसरे बर्तन की तरफ नहीं? वह इसलिए क्योंकि मैं हमेशा तुम्हारी दरार के बारे में जानता था और मैंने तुम्हारी तरफ के मार्ग में फूल के बीज बो दिये थे और हरदिन जब हम वापस जाते थे, तब तुमने उन पर पानी डाला. यदि तुम ऐसे नहीं होते जिस तरह से तुम हो, तो इस घर में सुंदरता नहीं होती.'

धन्यवाद पूर्वक, परमेश्वर टूटे हुए बर्तन का भी उपयोग करते हैं! परमेश्वर द्वारा उपयोग किये जाने के लिए आपको सिद्ध या परिपूर्ण होना जरूरी नहीं है. यदि आप परमेश्वर के लिए उपयोगी बनना चाहते हैं, तो यहाँ पर बारह कुंजिया दी गई हैं:

बुद्धि

भजन संहिता 57:7-11

7 किन्तु परमेश्वर मेरी रक्षा करेगा। मेरा भरोसा है, कि वह मेरे साहस को बनाये रखेगा।
 मैं उसके यश गाथा को गाया करूँगा।
8 मेरे मन खड़े हो!
 ओ सितारों और वीणाओं! बजना प्रारम्भ करो।
 आओ, हम मिलकर प्रभात को जगायें।

9 हे मेरे स्वमी, हर किसी के लिए, मैं तेरा यश गाता हूँ।
 मैं तेरी यश गाथा हर किसी राष्ट्र को सुनाता हूँ।
10 तेरा सच्चा प्रेम अम्बर के सर्वोच्च मेघों से भी ऊँचा है।

11 परमेश्वर महान है, आकाश से ऊँची,
 उसकी महिमा धरती पर छा जाये।

समीक्षा

1. यह जान लें कि आप से प्यार किया गया है

परमेश्वर आपका उपयोग करते हैं क्योंकि वह आपसे प्रेम करते हैं, दाऊद कहते हैं, 'तेरी करूणा स्वर्ग तक बड़ी है, और तेरी सच्चाई आकाशमण्डल तक पहुंचती है' (व.10). यहीं से सब शुरू होता है – यह जानना कि आपसे प्रेम किया गया है.

2. चाहें जो हो परमेश्वर से प्रेम करें

परमेश्वर आराधना करने वाले को ढूँढते हैं. दाऊद कहते हैं, 'हे परमेश्वर, मेरा मन स्थिर है, मेरा मन स्थिर है;... मैं गाऊंगा वरन भजन कीर्तन करूंगा...... हे प्रभु' (वव.7-9). आपके पास जो भी वरदान है उसके द्वारा परमेश्वर की आराधना करने के द्वारा परमेश्वर के प्रेम की प्रतिक्रिया करें – अकेले में नहीं बल्कि लोगों के बीच में (व.9) –जब आपको अच्छा लगे केवल तब नहीं बल्कि 'लगातार' – मुश्किल समय में भी.

3. अपने जीवन में परमेश्वर का आदर करें

परमेश्वर उनका आदर करते हैं, जो परमेश्वर का आदर करते हैं. दाऊद लिखते हैं, 'हे परमेश्वर, तू स्वर्ग के ऊपर अति महान है! तेरी महिमा सारी पृथ्वी के ऊपर फैल जाए!' (व.11). यह दाऊद की अंतिम इच्छा है. यह वही इच्छा है जो यीशु ने उस समय व्यक्त की थी जब वह हमें प्रार्थना करना सिखा रहे थे, 'तेरा नाम पवित्र माना जाए' (मत्ती 6:9).

प्रार्थना

प्रभु, मेरे लिए आपके महान प्रेम के लिए आपका धन्यवाद जो स्वर्ग तक पहुँचता है और आपकी विश्वास योग्यता के लिए जो आकाश तक पहुँचती है। आज मैं प्रार्थना करता हूँ कि मैं जो भी करूँ उसके द्वारा आपके नाम की महिमा हो।
नए करार

यूहन्ना 5:16-30

16 क्योंकि यीशु ने ऐसे काम सब्त के दिन किये थे इसलिए यहूदियों ने उसे सताना शुरू कर दिया। 17 यीशु ने उन्हें उत्तर देते हुए कहा, “मेरा पिता कभी काम बंद नहीं करता, इसीलिए मैं भी निरन्तर काम करता हूँ।” इसलिये यहूदी उसे मार डालने का और अधिक प्रयत्न करने लगे।

18 न केवल इसलिये कि वह सब्त को तोड़ रहा था बल्कि वह परमेश्वर को अपना पिता भी कहता था। और इस तरह अपने आपको परमेश्वर के समान ठहराता था।

यीशु की साक्षी

19 उत्तर में यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम्हें सच्चाई बताता हूँ, कि पुत्र स्वयं अपने आप कुछ नहीं कर सकता है। वह केवल वही करता है जो पिता को करते देखता है। पिता जो कुछ करता है पुत्र भी वैसे ही करता है। 20 पिता पुत्र से प्रेम करता है और वह सब कुछ उसे दिखाता है, जो वह करता है। उन कामों से भी और बड़ी-बड़ी बातें वह उसे दिखायेगा। तब तुम सब आश्चर्य करोगे। 21 जैसे पिता मृतकों को उठाकर उन्हें जीवन देता है। ज

22 “पिता किसी का भी न्याय नहीं करता किन्तु उसने न्याय करने का अधिकार बेटे को दे दिया है। 23 जिससे सभी लोग पुत्र का आदर वैसे ही करें जैसे वे पिता का करते हैं। जो व्यक्ति पुत्र का आदर नहीं करता वह उस पिता का भी आदर नहीं करता जिसने उसे भेजा है।

24 “मैं तुम्हें सत्य बताता हूँ जो मेरे वचन को सुनता है और उस पर विश्वास करता है जिसने मुझे भेजा है, वह अनन्त जीवन पाता है। न्याय का दण्ड उस पर नहीं पड़ेगा। इसके विपरीत वह मृत्यु से जीवन में प्रवेश पा जाता है। 25 मैं तुम्हें सत्य बताता हूँ कि वह समय आने वाला है बल्कि आ ही चुका है-जब वे, जो मर चुके हैं, परमेश्वर के पुत्र का वचन सुनेंगे और जो उसे सुनेंगे वे जीवित हो जायेंगे क्योंकि जैसे पिता जीवन का स्रोत है। 26 वैसे ही उसने अपने पुत्र को भी जीवन का स्रोत बनाया है। 27 और उसने उसे न्याय करने का अधिकार दिया है। क्योंकि वह मनुष्य का पुत्र है।

28 “इस पर आश्चर्य मत करो कि वह समय आ रहा है जब वे सब जो अपनी कब्रों में है, उसका वचन सुनेंगे 29 और बाहर आ जायेंगे। जिन्होंने अच्छे काम किये हैं वे पुनरुत्थान पर जीवन पाएँगे पर जिन्होंने बुरे काम किये हैं उन्हें पुनरुत्थान पर दण्ड दिया जायेगा।

30 “मैं स्वयं अपने आपसे कुछ नहीं कर सकता। मैं परमेश्वर से जो सुनता हूँ उसी के आधार पर न्याय करता हूँ और मेरा न्याय उचित है क्योंकि मैं अपनी इच्छा से कुछ नहीं करता बल्कि उसकी इच्छा से करता हूँ जिसने मुझे भेजा है।

समीक्षा

4. वही करें जो 'पिता करते हैं'

फरीसी जो बहुत ही धार्मिक थे, वे भ्रष्ट, विधि सम्मत और जिद्दी बन गए थे. वे यीशु की निंदा करने लगे क्योंकि अड़तीस साल से लकवे से बीमार व्यक्ति ने सब्त के दिन अपनी खाट उठा ली थी.

यीशु परमेश्वर से बाते किया करते थे और वह परमेश्वर के प्रिय पुत्र हैं जो वही करते हैं जो पिता उनसे करवाना चाहते हैं. उन्हें अपने पिता से अलग नहीं किया जा सकता. वह पिता के साथ एक हैं.

यीशु परमेश्वर हैं: वह परमेश्वर को अपना पिता कह कर, अपने आप को परमेश्वर के तुल्य ठहराते थे (व.18). फिर भी यीशु परमेश्वर के आज्ञाकारी पुत्र भी हैं. जो उन्हें मारना चाहते थे, उनसे उन्होंने कहा: ' मैं तुम से सच सच कहता हूँ, पुत्र आप से कुछ नहीं कर सकता, केवल वह जो पिता को करते देखता है, क्योंकि जिन जिन कामों को वह करता है उन्हें पुत्र भी उसी रीति से करता है' (व.19).

अपनी खुद की योजना शुरू करने के बजाय परमेश्वर से उन्हें आशीषित करने के लिए कहिये, और यह देखने की कोशिश कीजिये कि परमेश्वर की क्या योजना है, और उसमे शामिल हो जाइये.

5. परमेश्वर की सुनें

परमेश्वर के लोगों ने खुद को परेशानी में डाल दिया, जैसा कि हमने आज के पुराने नियम के लेखांश में देखा, क्योंकि उन्होंने परमेश्वर की नहीं सुनी (न्यायियों 6:10). यीशु कहते हैं जीवन की कुंजी उनकी सुनना और उस पर विश्वास करना है: ' मैं तुम से सच सच कहता हूँ, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजने वाले की प्रतीति करता है, अनन्त जीवन उसका है, और उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है' (यूहन्ना 5:24).

बल्कि यीशु कहते हैं कि, ' मैं अपने आप से कुछ नहीं कर सकता; जैसा सुनता हूँ, वैसा न्याय करता हूँ' (व. 30).

6. जितना हो सके भला करें

'भलाई करके' आप खुद से अपना उद्धार नहीं कमा सकते. मगर, विश्वास के जीवन का प्रमाण, भलाई करना है. हमें बताया गया है कि, 'स्वयं यीशु भलाई करते रहे' (प्रेरितों के कार्य 10:38). यीशु कहते हैं, ' वह समय आता है, कि जितने कब्र में हैं, उसका शब्द सुनकर निकलेंगे. जिन्हों ने भलाई की है वे जीवन के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे और जिन्हों ने बुराई की है वे दंड के पुनरुत्थान के लिये जी उठेंगे' (यूहन्ना 5:28-29).

जैसा कि जॉन वेसली ने लिखा है, 'जितना हो सके, हर तरह से, हर जगह में, हर समय, जब तक आप कर सकते हैं, ज्यादा से ज्यादा लोगों के साथ भला करें,'

परमेश्वर को प्रसन्न करने का प्रयास करें

मैंने इसे सबसे कठिन पाया है बल्कि इसे व्यवहार में लाते समय भी. खुद को खुश रखने का प्रयास करना बड़ा स्वाभाविक नजर आता है. यीशु ने कहा है, 'मैं अपनी इच्छा नहीं, परन्तु अपने भेजने वाले की इच्छा चाहता हूँ' (व.30).

प्रार्थना

पिता, मुझे आपका सुझाव सुनने में, आप जो कर रहे हैं उसे जानते में और उसमें शामिल होने में – और अपनी इच्छा नहीं बल्कि आपकी इच्छा पूरी करने में मेरी मदद कीजिये.
जूना करार

न्यायियों 6:1-7:8a

मिद्यानी इस्राएल के लोगों से युद्ध करते हैं

6यहोवा ने फिर देखा कि इस्राएल के लोग पाप कर रहे हैं। इसलिए सात वर्ष तक यहोवा ने मिद्यानी लोगों को इस्राएल को पराजित करने दिया।

2 मिद्यानी लोग बहुत शक्तिशाली थे तथा इस्राएल के लोगों के प्रति बहुत क्रुर थे। इसलिए इस्राएल के लोगों ने पहाड़ों में बहुत से छिपने के स्थान बनाए। उन्होंने अपना भोजन भी गुफाओं और कठिनाई से पता लगाए जा सकने वाले स्थानों में छिपाए। 3 उन्होंने यह किया, क्योंकि मिद्यानी और अमालेकी लोग पूर्व से सदा आते थे और उनकी फसलों को नष्ट करते थे। 4 वे लोग उस प्रदेश में डेरे डालेते थे और उस फसल को नष्ट करते थे जो इस्राएल के लोग लगाते थे। अज्जा नगर के निकट तक के प्रदेश की इस्राएल के लोगों की फसल को वे लोग नष्ट करते थे। वे लोग इस्राएल के लोगों के खाने के लिये कुछ भी नहीं छोड़ते थे। वे उनके लिए भेड़, या पशु या गधे भी नहीं छोड़ते थे। 5 मिद्यानी लोग आए और उन्होने उस प्रदेश में डेरा डाला। वे अपने साथ अपने परिवारों और जानवरों को भी लाए। वे इतने अधिक थे जितने टिड्डियों के दल। उन लोगों और उनके ऊँटों की संख्या इतनी अधिक थी कि उनको गिनना संभव नहीं था। ये सभी लोग उस प्रदेश में आए और उसे रौंद डाला। 6 इस्राएल के लोग मिद्यानी लोगों के कारण बहुत गरीब हो गए। इसलिए इस्राएल के लोगों ने यहोवा को सहायता के लिए रो कर पुकारा।

7 मिद्यानियों ने वे सभी बुरे काम किये। इसलिए इस्राएल के लोग यहोवा से सहायता के लिए रो कर चिल्लाये। 8 इसलिए यहोवा ने उनके पास एक नबी भेजा। नबी ने इस्राएल के लोगों से कहा, “यहोवा, इस्राएल का परमेश्वर यह कहा है कि, ‘तुम लोग मिस्र देश में दास थे। मैंने तुम लोगों को स्वतन्त्र किया और मैं उस देश से तुम्हें बाहर लाया। 9 मैंने मिस्र के शक्तिशाली लोगों से तुम्हारी रक्षा की। तब कनान के लोगों ने तुमको कष्ट दिया। इसलिए मैंने फिर तुम्हारी रक्षा की। मैंने उन लोगों से उनका देश छुड़वाया और मैंने उनका देश तुम्हें दिया।’ 10 तब मैंने तुमसे कहा, ‘में यहोवा तुम्हारा परमेश्वर हूँ। तुम लोग एमोरी लोगों के प्रदेश में रहोगे, किन्तु तुम्हें उनके असत्य देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए।’ परन्तु तुम लोगों ने मेरी आज्ञा का पालन नहीं किया।”

यहोवा का दूत गिदोन के पास आता है

11-12 उस समय, यहोवा का दूत गिदोन नामक व्यक्ति के पास आया। यहोवा का दूत आया और ओप्रा नामक स्थान पर एक बांज के पेड़ के नीचे बैठा। यह बांज का पेड़ योआश नामक व्यक्ति का था। योआश अबीएजेरी लोगों में से एक था। योआश गिदोन का पिता था। गिदोन कुछ गेहूँ को दाखमधु निकालने के यंत्र में कूट रहा था। यहोवा का दूत गिदोन के पास बैठा। गिदोन मिद्यानी लोगों से अपना गेंहूँ छिपाने का प्रयत्न कर रहा था। यहोवा का दूत गिदोन के सामने प्रकट हुआ और उससे कहा, “यहोवा तुम्हारे साथ है, तुम जैसे शक्तिशाली सैनिकों के साथ है।”

13 तब गिदोन ने कहा, “महोदय, मैं शपथ खाकर कहता हूँ कि यदि यहोवा हमारे साथ है तो हम लोगों को इतने कष्ट क्यों हैं? हम लोगों ने सुना है कि उसने हमारे पूर्वजों के लिए अद्भूत कार्य किये थे। हमारे पूर्वजों ने हम लोगों से कहा कि यहोवा हम लोगों को मिस्र से बाहर लाया। किन्तु अब यहोवा ने हम लोगों को छोड़ दिया है। यहोवा ने मिद्यानी लोगों को हम लोगों को हराने दिया।”

14 यहोवा गिदोन की ओर मुड़ा और उससे बोला, “अपनी शक्ति का प्रयोग करो। जाओ और मिद्यानी लोगों से इस्राएल के लोगों की रक्षा करो। क्या तुम यह नहीं समझते कि वह मैं यहोवा हूँ, जो तुम्हें भेज रहा हूँ?”

15 किन्तु गिदोन ने उत्तर दिया और कहा, “महोदय, क्षमा करें, मैं इस्राएल की रक्षा कैसे कर सकता हूँ? मेरा परिवार मनश्शे के परिवार समूह में सबसे कमजोर है और मैं अपने परिवार में सबसे छोटा हूँ।”

16 यहोवा ने गिदोन को उत्तर दिया और कहा, “मैं निश्चय ही मिद्यानी लोगों को हराने में सहायता करने के लिये तुम्हारे साथ रहूँगा। यह ऐसा मालूम होगा कि तुम एक व्यक्ति के विरद्ध लड़ रहे हो।”

17 तब गिदोन ने यहोवा से कहा, “यदि तू मुझ से प्रसन्न है तो तू प्रमाण दे कि तू सचमुच यहोवा है। 18 कृपा करके तू यहाँ रूक। जब तक मैं लौट न आऊँ तब तक तू न जा। मुझे मेरी भेंट लाने दे और उसे तेरे सामने रखने दे।”

अत: यहोवा ने कहा, “मैं तब तक प्रतीक्षा करूँगा जब तक तुम लौटते नहीं।”

19 इसलिए गिदोन गया और उसने एक जवान बकरा खौलते पानी में पकाया। गिदोन ने लगभग एक एपा आटा भी लिया और अखमीरी रोटीयाँ बनाईं। तब गिदोन ने माँस को एक टोकरे में तथा पके माँस के शोरबे को एक बर्तन में लिया। गिदोन ने माँस, पके माँस का शोरबा और अखमीरी रोटियों को निकाला। गिदोन ने वह भोजन बाँज के पेड़ के नीचे यहोवा को दिया।

20 परमेश्वर के दूत ने गिदोन से कहा, “माँस और अखमीरी रोटीयों को वहाँ चट्टान पर रखो। तब शोरबे को गिराओ।” गिदोन ने वैसा ही किया जैसा करने को कहा गया था।

21 यहोवा के दूत ने अपने हाथ में एक छड़ी ले रखी थी। यहोवा के दूत ने माँस और रोटियों को छड़ी के सिरे से छुआ। तब चट्टान से आग जल उठी। गोश्त और रोटियाँ पूरी तरह जल गईं। तब यहोवा का दूत अर्न्तध्यान हो गया।

22 तब गिदोन ने समझा कि वह यहोवा के दूत से बातें कर रहा था। इसलिए गिदोन चिल्ला उठा, “सर्वशक्तिमान यहोवा महान है। मैंने यहोवा के दूत को आमने सामने देखा है।”

23 किन्तु यहोवा ने गिदोन से कहा, “शान्त रहो।” डरो नहीं। तुम मरोगे नहीं।

24 इसलिए गिदोन ने यहोवा की उपासना के लिए उस स्थान पर एक वेदी बनाई। गिदोन ने उस वेदी का नाम “यहोवा शान्ति है” रखा। वह वेदी अब तक ओप्रा में खड़ी है। ओप्रा वहीं है जहाँ एजेरी लोग रहते हैं।

गिदोन बाल की वेदी को गिरा डालता है

25 उसी रात यहोवा ने गिदोन से बाते कीं। यहोवा ने गिदोन से कहा, “अपने पिता के उस प्रौढ़ बैल को लो जो सात वर्ष का है। तुम्हारे पिता की असत्य देवता बाल की एक वेदी है। उस वेदी की बगल में एक लकड़ी का खम्भा भी है। खम्भा असत्य देवी अशेरा के सम्मान के लिए बनाया गया था। बैल का उपयोग बाल की वेदी को गिराने के लिए करो तथा अशेरा के खम्भे को काट दो। 26 तब यहोवा, अपने परमेश्वर के लिए उचित प्रकार की वेदी बनाओ। इस ऊँचे स्थान पर वह वेदी बनाओ। तब प्रौढ़ बैल को मारो और इस वेदी पर उसे जलाओ। अशेरा के खम्भे की लकड़ी का उपयोग अपनी भेंट को जलाने के लिए करो।”

27 इसलिए गिदोन ने अपने दस नौकरों को लिया और वही किया जो यहोवा ने करने को कहा था। किन्तु गिदोन डर रहा था कि उसका परिवार और उस नगर के लोग देख सकते हैं कि वह क्या कर रहा है। गिदोन ने वही किया जो यहोवा ने उसे करने को कहा किन्तु उसने यह रात में किया, दिन में नहीं।

28 अगली सुबह नगर के लोग सोकर उठे और उन्होंने देखा कि बाल की वेदी नष्ट कर दी गई है। उन्होंने यह भी देखा कि अशेरा का खम्भा काट डाला गया है। अशेरा का खम्भा बाल की वेदी के ठीक पीछे गिरा पड़ा था। उन लोगों ने उस वेदी को भी देखा जिसे गिदोन ने बनाया था और उन्होंने उस वेदी पर बलि दिये गए बैल को भी देखा।

29 नगर के लोगों ने एक दूसरे को देखा और कहा, “हमारी वेदी को किसने गिराया? हमारे अशेरा के खम्भे किसने काटे? इस नयी वेदी पर किसने इस बैल की बलि दी?” उन्होंने कई प्रश्न किये और यह पता लगाना चाहा कि वे काम किसने किये।

किसी ने कहा, “योआश के पुत्र गिदोन ने यह काम किया।”

30 इसलिए नगर के लोग योआश के पास आए। उन्होंने योआश से कहा, “तुम्हें अपने पुत्र को बाहर लाना चाहिए। उसने बाल की वेदी को गिराया है और उसने उस अशेरा के खम्भे को काटा है जो उस वेदी की बगल में था। इसलिए तुम्हारे पुत्र को मारा जाना चाहिए।”

31 तब योआश ने उस भीड़ से कहा जो उसके चारों ओर खड़ी थी। योआश ने कहा, “क्या तुम बाल का पक्ष लेने जा रहे हो? क्या तुम बाल की रक्षा करने जा रहे हो? यदि कोई बाल का पक्ष लेता है तो उसे सवेरे मार दिए जाने दो। यदि बाल सचमुच देवता है तो उसे अपनी रक्षा स्वयं करने दो, यदि कोई उस वेदी को गिराता है।” 32 योआश ने कहा, “यदि गिदोन ने बाल की वेदी को गिराया तो बाल को उससे संघर्ष करने दो।” अत: उस दिन योआश ने गिदोन को एक नया नाम दिया। उसने उसे यरूब्बाल कहा।

गिदोन मिद्यान के लोगों को हराता है

33 मिद्यानी, अमालेकी एवं पूर्व के अन्य सभी लोग इस्राएल के लोगों के विरुद्ध युद्ध करने के लिए एक साथ मिले। वे लोग यरदन नदी के पार गए और उन्होंने यिज्रेल की घाटी में डेरा डाला। 34 किन्तु गिदोन पर यहोवा की आत्मा उतरी और उसे बड़ी शक्ति प्रदान की। गिदोन ने अबीएजेरी लोगों को अपने साथ चलने के लिए तुरही बजाई। 35 गिदोन ने मनश्शे परिवार समूह के सभी लोगों के पास दूत भेजे। उन दूतों ने मनश्शे के लोगों से अपने हथियार निकालने और युद्ध के लिए तैयार होने को कहा गिदोन ने आशेर, जबूलून और नप्ताली के परिवार समूहों को भी दूत भेजे। इसलिए वे परिवार समूह भी गिदोन से और उसके आदमियों से मिलने गए।

36 तब गिदोन ने यहोवा से कहा, “तूने मुझसे कहा कि तू इस्राएल के लोगों की रक्षा करने में मेरी सहायता करेगा। मुझे प्रमाण दे। 37 मैं खलिहान के फर्श पर एक भेड़ का ऊन रखता हूँ। यदि भेड़ के ऊन पर ओस की बूँदें होंगी, जबकी सारी भूमि सूखी है, तब मैं समझूँगा कि तू अपने कहने के अनुसार मेरा उपयोग इस्राएल की रक्षा करने में करेगा।”

38 और यह ठीक वैसा ही हुआ। गिदोन अगली सुबह उठा और भेड़ के ऊन को निचोड़ा । वह भेड़ के ऊन से प्याला भर पानी निचोड़ सका।

39 तब गीदोन ने परमेश्वर से कहा, “मुझ पर क्रोधित न हो। मुझे केवल एक और प्रश्न करने दे। मुझे भेड़ के ऊन से एक बार और परीक्षण करने दे। इस समय भेड़ के ऊन को उस दशा में सूखा रहने दे जब इसके चारों ओर की भूमि ओस से भीगी हो।”

40 उस रात परमेश्वर ने वही किया। केवल भेड़ की ऊन ही सूखी थी, किन्तु चारों ओर की भूमि ओस से भीगी थी।

7सवेरे प्रात: काल, यरुब्बाल (गिदोन) और उसके सभी लोगों ने अपने डेरे हरोद के झरने पर लगाए। मिद्यानी लोग गिदोन और उसके आदमियों के उत्तर में डेरा डाले थे। मिद्यानी लोग मोरे नामक पहाड़ी के नीचे घाटी में डेरा डाले पड़े थे।

2 तब यहोवा ने गिदोन से कहा, “मैं तुम्हारे आदमियों की सहायता मिद्यानी लोगों को हराने के लिये करने जा रहा हूँ। किन्तु तुम्हारे पास इस काम के लिए आवश्यकता से अधिक व्यक्ति हैं। मैं नहीं चाहता कि इस्राएल के लोग मुझे भूल जायें और शेखी मारें कि उन्होंने स्वयं अपनी रक्षा की। 3 इसलिए अपने लोगों में घोषणा करो। उनसे कहो, ‘जो कोई डर रहा हो, अपने घर लौट सकता है।’”

इस प्रकार गिदोन ने लोगों की परीक्षा ली। बाईस हजार व्यक्तियों ने गिदोन को छोड़ा और वे अपने घर लौट गए। किन्तु दस हजार फिर भी डटे रहे।

4 तब यहोवा ने गिदोन से कहा, “अब भी आवश्यकता से अधिक लोग हैं। इन लोगों को जल के पास ले जाओ और वहाँ मैं इनकी परीक्षा तुम्हारे लिये करूँगा। यदि मैं कहूँगा, ‘यह व्यक्ति तुम्हारे साथ जायेगा’ तो वह जायेगा। किन्तु यदि मैं कहूँगा, ‘यह व्यक्ति तुम्हारें साथ नहीं जाएगा।’ तो वह नहीं जाएगा।”

5 इसलिए गिदोन लोगों को जल के पास ले गया। उस जल के पास यहोवा ने गिदोन से कहा, “इस प्रकार लोगों को अलग करोः जो व्यक्ति कुत्ते की तरह लपलप करके जल पीएंगे, वे एक वर्ग में होंगे। जो पीने के लिए झुकेंगे, दूसरे वर्ग में होंगे।”

6 वहाँ तीन सौ व्यक्ति ऐसे थे जिन्होंने जल मुँह तक लाने के लिए अपने हाथों का उपयोग किया और उसे कुत्ते की तरह लपलप करके पिया। बाकी लोग घुटनों के बल झुके और उन्होंने जल पिया। 7 तब यहोवा ने गिदोन से कहा, “मैं तीन सौ व्यक्तियों का उपयोग करूँगा जिन्होंने कुत्ते की तरह लपलप करके जल पिया। मैं उन्हीं लोगों का उपयोग तुम्हारी रक्षा करने के लिए करूँगा और मैं तुम्हें मिद्यानी लोगों को परास्त करने दूँगा। अन्य लोगों को अपने घर लौट जाने दो।”

8 इसलिए गिदोन ने इस्राएल के शेष व्यक्तियों को उनके घर भेज दिया। किन्तु गिदोन ने तीन सौ व्यक्तियों को अपने साथ रखा। उन तीन सौ आदमियों ने अन्य जाने वाले आदमियों के भोजन, सामग्री और तुरहियों को रख लिया।

अभी मिद्यानी लोग, गिदोन के नीचे घाटी में डेरा डाले हुए थे।

समीक्षा

8. मदद के लिए प्रभु को पुकारें

परमेश्वर के लोग एक बार फिर परेशानी में आ गए. उन्होंने प्रभु की नजर में बुरा किया था (6:1). इसलिए वे दबाव में आ गए (व.2) और बड़ी दुर्दशा में पड़ गए (व.6).

यह उनके लिए नया मोड़ा था, जैसा कि अक्सर हमारे साथ भी होता है, जब उन्होंने मदद के लिए प्रभु की दोहाई दी (व.6).

9. यह जान लें कि परमेश्वर आपके साथ हैं

परमेश्वर ने गिदोन को खड़ा किया और उससे कहा, ' हे शूरवीर, प्रभु तेरे संग हैं' (व.12). गिदोन ने परमेश्वर से कहा, 'लेकिन परमेश्वर.... मैं इस्राएल को क्योंकर छुड़ाऊ? देख, मेरा कुल मनश्शे में सब से कंगाल है, फिर मैं अपने पिता के घराने में सब से छोटा हूँ (व.15) परमेश्वर ने उस से कहा, निश्चय मैं तेरे संग रहूंगा (व.16).

यीशु ने वायदा किया है कि वह जगत के अंत तक हमेशा आपके संग रहेंगे (मत्ती 28:20).

10. अपनी कमजोरियों को जानें

गिदोन एक और उदाहरण है परमेश्वर द्वारा टूटे हुए बर्तन का उपयोग करने का! गिदोन ने कहा, ' मैं इस्राएल को क्योंकर छुड़ाऊ? देख, मेरा कुल मनश्शे में सब से कंगाल है, फिर मैं अपने पिता के घराने में सब से छोटा हूँ' (न्यायियों 6:15). मैं अक्सर महसूस करता हूँ कि मेरी कमजोरियों के कारण परमेश्वर मेरा उपयोग नहीं कर सकते. लेकिन परमेश्वर कभी-कभी हमारी शक्तियों से ज्यादा हमारी कमजोरियों का बेहतर उपयोग करते हैं

व्यक्तिगत रूप से, मुझे प्रेरित पौलुस के इन शब्दों से बेहद शांति मिलती है: ' इसलिये मैं बड़े आनन्द से अपनी निर्बलताओं पर घमण्ड करूंगा,.... क्योंकि जब मैं निर्बल होता हूँ, तभी बलवन्त होता हूँ' (2कुरिंथियों 12:9-10).

11. निडरता से परमेश्वर की आज्ञा का पालन करें

गिदोन ने वही किया जैसा कि परमेश्वर ने उसे कहा था (न्यायियों 6:27), हालाँकि उसे मृत्यु का खतरा था (व.30). मैंने पाया है कि मैं अक्सर विरोध के समय में डर जाता हूँ. मगर, हमने जो विरोध का सामना किया है वह यीशु और गिदोन द्वारा सामना किये गए विरोध की उसकी तुलना में बहुत ही कम है. जैसा कि जॉयस मेयर कहती हैं, 'जब डर का दरवाजा खटखटाता है, तो विश्वास को उत्तर देने दें!'

12. परमेश्वर-विश्वासी बनें

गिदोन की ताकत का रहस्य यह था कि 'परमेश्वर का आत्मा गिदोन में समाया' (व.34). आत्म-विश्वासी न बनें, परमेश्वर-विश्वासी बनें.

परमेश्वर को गिनती में ज्यादा लोग नहीं चाहिये. वास्तव में उन्होंने गिदोन से कहा, 'तुम्हारे पास बहुत से लोग थे' (7:2). वह नहीं चाहते कि लोग यह सोचें कि वे अपने ही भुजबल द्वारा बचे हैं. उनके बत्तीस हजार लोग लौट गए और तीन सौ रह गए (व.1-7).

देश को परिवर्तित होता हुआ देखने के लिए हमें ज्यादा संख्या में लोगों की जरूरत नहीं है, बल्कि हमें पवित्र आत्मा के सामर्थ की जरूरत है. यदि आप परमेश्वर पर भरोसा करते हैं, तो वह आपके द्वारा कार्य कर सकते हैं, जैसाकि उन्होंने गिदोन के साथ किया था.

प्रार्थना

प्रभु, यदि मुझे आपकी बुलाहट को पूरा करना है तो मुझे आपकी पवित्र आत्मा चाहिये. कृपया आज अपनी पवित्र आत्मा मुझ पर भेजिये. आ, पवित्र आत्मा.

पिप्पा भी कहते है

न्यायियों 6

मैं गिदोन से तुलना कर सकता हूँ. वह डरा हुआ, अयोग्य और अनिश्चित था. यह उसे और भी नायक बनाता है. यह दर्शाता है कि वह कितना शूरवीर था (व.27). वह यह जाँचने के लिए इतना समझदार भी था कि उसे सही होना जरूरी है. यदि आप कुछ अनोखा करने जा रहे हैं, तो आपको यह जानना जरूरी है कि आप परमेश्वर को सही रीति से सुनें. जब गिदोन निश्चित हो गया कि परमेश्वर की यही इच्छा है, तो उसे कोई नहीं रोक सकता.

दिन का वचन

न्यायियों – 6:14

"तब यहोवा ने उस पर दृष्टि करके कहा, अपनी इसी शक्ति पर जा और तू इस्राएलियों को मिद्यानियों के हाथ से छुड़ाएगा; क्या मैं ने तुझे नहीं भेजा?"

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संदर्भ

नोट्स:

जॉयस मेयर, एवरीडे लाइफ बाइबल, (फेथवर्ड्स, 2009) प. 385)

जहाँ पर कुछ बताया न गया हो, उन वचनों को पवित्र बाइबल, न्यू इंटरनैशनल संस्करण एन्ग्लिसाइड से लिया गया है, कॉपीराइट © 1979, 1984, 2011 बिबलिका, पहले इंटरनैशनल बाइबल सोसाइटी, हूडर और स्टोगन पब्लिशर की अनुमति से प्रयोग किया गया, एक हॅचेट यूके कंपनी सभी अधिकार सुरक्षित। ‘एनआईवी’, बिबलिका यू के का पंजीकृत ट्रेडमार्क संख्या 1448790 है।

जिन वचनों को (एएमपी, AMP) से चिन्हित किया गया है उन्हें एम्प्लीफाइड® बाइबल से लिया गया है. कॉपीराइट © 1954, 1958, 1962, 1964, 1965, 1987 लॉकमैन फाउंडेशन द्वारा प्राप्त अनुमति से उपयोग किया गया है। (www.Lockman.org)

जिन वचनों को (एमएसजी MSG) से चिन्हित किया गया है उन्हें मैसेज से लिया गया है। कॉपीराइट © 1993, 1994, 1995, 1996, 2000, 2001, 2002. जिनका प्रयोग एनएवीप्रेस पब्लिशिंग ग्रुप की अनुमति से किया गया है।

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